Year Ender 2024: लोकसभा चुनाव से बांग्लादेश हिंसा तक, इनके इर्द-गिर्द खूब फैली फेक न्यूज
बूम ने साल 2024 की उन घटनाओं का विश्लेषण किया, जिनके इर्द-गिर्द सबसे ज्यादा फर्जी खबरें फैलाई गईं और सच को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया.
साल 2024 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण रहा. जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की हलचल रही. अप्रैल से जून तक लोकसभा चुनाव के दौरान सियासी पारा उफान पर रहा. अगस्त- सितंबर में पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंसा भड़क उठी और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की घटनाएं सामने आईं. वहीं पश्चिम बंगाल के कोलकाता में डॉक्टर के रेप और हत्या को लेकर पूरे देश में आक्रोश देखने को मिला.
सोशल मीडिया पर इन घटनाओं से जुड़े फोटो-वीडियो को लेकर झूठे दावे किए गए और सच को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. जेनरेटिव एआई में हुई तकनीकी प्रगति ने फेक न्यूज की समस्या को और भी बढ़ा दिया. बूम लाइव हिंदी ने 2024 की इन सभी प्रमुख घटनाओं और उनसे जुड़े फर्जी दावों का गहराई से विश्लेषण किया है.
1- अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में राम लला की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान भव्य आयोजन हुआ जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के लगभग 7000 गणमान्य शामिल हुए. उद्घाटन समारोह से पहले और बाद में सोशल मीडिया पर कई फर्जी दावे किए गए और भ्रामक जानकारियां फैलाईं गईं. बूम हिंदी ने राम मंदिर के उद्घाटन समारोह से जुड़े करीब 21 फैक्ट चेक रिपोर्ट किए. इनमें से अधिकतर अयोध्या से जोड़कर पुराने और असंबंधित वीडियो का फैक्ट चेक शामिल है.
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने दावा किया कि राम मंदिर का निर्माण राम जन्मभूमि से दूर एक अलग स्थान पर किया गया है. बूम ने मंदिर परिसर का दौरा करने वाले पत्रकारों से बात की कि जिन्होंने हमसे पुष्टि की कि मंदिर विवादित स्थल पर ही बनाया जा रहा है.
इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर एक और फर्जी दावा किया गया कि इजराइल ने प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन 22 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है.
इसके अलावा भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा के एक पुराने वीडियो को अयोध्या से जोड़कर वायरल करने का फैक्ट चेक किया गयाहै. इसके अलावा हाथ के बल चलते एक संन्यासी के अयोध्या जाने के गलत दावे से वीडियो सामने आया. इसे कई मीडिया आउटलेट ने भी कवर किया. वहीं सोशल मीडिया पर नाग, गिद्ध और बंदरों के पुराने और असंबंधित वीडियो शेयर कर झूठे दावे किए गए.
भारत की अध्यक्षता में सितंबर 2023 में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने आए वैश्विक नेताओं के वीडियो को राम मंदिर से जोड़कर वायरल किया गया.
2- लोकसभा चुनाव के दौरान वायरल हुए झूठे दावे
इसी साल 19 अप्रैल से लेकर 1 जून तक कुल सात चरणों में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हुए. चार जून को नतीजे घोषित हुए जिसमें बीजेपी अकेले पूर्ण बहुमत पाने में असफल रही. हालांकि नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी की मदद से एनडीए की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
इस पूरे चुनावी घटनाक्रम के बीच सोशल मीडिया पर तरह-तरह के फर्जी दावे किए गए और बूम ने लगभग 183 फैक्ट चेक रिपोर्ट लिखीं. इस दौरान सबसे ज्यादा लगभग 50 फैक्ट चेक अधूरे और एडिटेड तस्वीरें और वीडियो पर लिखे गए. इस तरह के फर्जी पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेता विपक्ष राहुल गांधी निशाने पर रहे. इनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी को लेकर भी कई अधूरे वीडियो गलत संदर्भ में शेयर किए गए.
इसके अलावा असंबंधित और पुराने वीडियो को चुनाव से जोड़कर भी खूब शेयर किया गया. इस कैटिगरी में हमने कुल 40 फैक्ट चेक लिखे. वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान फर्जी ग्राफिक और न्यूज एंकर्स के वॉइस क्लोन वीडियो भी खूब सामने आए जिसकी एआई डिटेक्टर टूल से जांच करके फैक्ट चेक लिखे गए. चुनाव के दौरान ही बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह और आमिर खान के डीपफेक वीडियो ने भी खूब सनसनी पैदा की जिसमें वह कथित रूप से पीएम मोदी की आलोचना करते नजर आ रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम में धांधली और फेक पोलिंग को लेकर भी कई फर्जी दावे किए गए. बूम हिंदी ने इस तरह के दावों की पड़ताल के लिए कुल 15 फैक्ट चेक किए. हमने पाया कि इनमें से अधिकतर दावों में पुराने और असंबंधित वीडियो को फिर से शेयर किया जा रहा था.
सोशल मीडिया यूजर और विभिन्न दलों के आईटी सेल ने विरोधी पार्टी और नेता के खिलाफ कैंपेन चलाते हुए कई अधूरे वीडियो झूठे दावे से शेयर किए. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा का कृष्णानगर से प्रचार के दौरान एक वीडियो सामने आया था जिसे लेकर दावा किया गया कि वह अपनी मॉर्निंग एनर्जी का राज सेक्स बता रही थीं. बूम ने फैक्ट चेक के दौरान वीडियो स्लो स्पीड पर सुना तो पाया कि महुआ ने एग्स (अंडे) कहा था.
गृहमंत्री अमित शाह का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह कह रहे थे कि बीजेपी की सरकार बनने पर एससी, एसटी और ओबीसी रिजर्वेशन समाप्त कर दिया जाएगा. बूम ने जब इस वीडियो की पड़ताल की तो पाया कि अमित शाह अपने भाषण में तेलंगाना में मुस्लिम आरक्षण खत्म करने की बात कह रहे थे. बूम ने पाया कि वीडियो को क्रॉप करके एडिट किया गया था.
3- विधानसभा चुनावों में खूब फैली फेक न्यूज
लोकसभा के साथ ही देश के चार राज्यों- आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव भी संपन्न हुए. इसके बाद सितंबर-अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और नवंबर में महाराष्ट्र, झारखंड में भी विधानसभा चुनाव हुए. हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव के दौरान कई फेक न्यूज शेयर की गईं और बूम हिंदी ने लगभग 31 फैक्ट चेक रिपोर्ट लिखीं.
अक्टूबर में हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए जिसे लेकर सोशल मीडिया पर अगस्त महीने से ही फेक न्यूज फैलने लगी. बूम हिंदी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के इर्द गिर्द 11 फैक्ट चेक लिखे. इनमें से अधिकतर फेक सर्वे ग्राफिक, असंबंधित और अधूरे वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर किया गया था.
हरियाणा बीजेपी ने चुनाव से ऐन पहले राहुल गांधी का एक अधूरा बयान शेयर कर दावा किया था कि कांग्रेस की सरकार आने पर आरक्षण हटा दिया जाएगा. बूम ने जांच में पाया था कि अमेरिका यात्रा पर राहुल की स्पीच के एक अंश को भ्रामक दावे से शेयर किया गया था.
इसी तरह नवंबर महीने में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर बूम हिंदी ने 13 फैक्ट चेक रिपोर्ट लिखी. इसमें एनसीपी (शरद पवार) नेता सुप्रिया सुले और कांगेस नेता नाना पटोले के एआई जनरेटेड ऑडियो क्लिप प्रमुख है जो सबसे पहले बूम ने प्रकाशित किया था. दरअसल वोटिंग के एक दिन पहले बीजेपी ने बिटकॉइन के बदले नकद लेने और चुनाव धोखाधड़ी में संलिप्तता के सबूत के तौर पर सुप्रिया सुले और नाना पटोले के एआई जनरेटेड ऑडियो क्लिप को पोस्ट किया था.
वहीं नवंबर में ही झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बूम हिंदी ने पांच प्रमुख फैक्ट चेक लिखे. चंपाई सोरेन, बाबूलाल मरांडी और हेमंत सोरेन के पुराने वीडियो को भ्रामक दावे के साथ फिर से शेयर किया गया. इसके अलावा हेमंत सोरेन के गैर आदिवासी वोटों के खिलाफ एक फेक न्यूजपेपर क्लिप वायरल हुई. वहीं गृहमंत्री अमित शाह के एक क्रॉप्ड और एडिटेड वीडियो को झारखंड के वरिष्ठ नेता चंपाई सोरेन के अपमान के गलत दावे से शेयर किया गया.
4- बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन और हिंसा का दौर
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में इस साल में काफी उथल-पुथल रहा. पहले आरक्षण सिस्टम के विरोध में हिंसा फैली जिसमें 400 के करीब मौतें दर्ज की गईं. इसके बाद 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार के इस्तीफा देने के बाद वहां बड़े स्तर पर राजनीतिक अराजकता फैल गई. शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग और उसके सहयोगी दलों के सदस्यों पर हमले की घटनाएं सामने आईं.
इसके अलावा पुलिसकर्मी और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने के मामले भी दर्ज हुए. इसके बाद नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार नियुक्त हुई. बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अगस्त के आखिर में जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में जुलाई से शुरू हुई हिंसा में 1000 से अधिक लोग मारे गए.
बूम ने बांग्लादेश हिंसा से जुड़े फर्जी और गलत दावों पर तकरीबन 50 फैक्ट चेक रिपोर्ट लिखीं. पांच अगस्त को शेख हसीना के देश छोड़ने के तुरंत बाद प्रदर्शकारियों ने उनके आधिकारिक आवास पर धावा बोला था. इस दौरान शेख हसीना के बेडरूम और स्वीमिंग पूल के गलत दावे से श्रीलंकाई राष्ट्रपति आवास की तस्वीरें शेयर की गईं. इसी तरह इनरवियर पकड़े प्रदर्शनकारियों की तस्वीर बांग्लादेश में हिंदू लड़कियों के रेप के झूठे दावे से वायरल हुई.
इसके बाद बांग्लादेश में हिंसा के दौरान अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरें भी सामने आईं. अराजक भीड़ द्वारा ढाका के जात्राबाड़ी पुलिस थाने की घटना के वीडियो को हिंदुओं के घरों में आग लगा देने के दावे से शेयर किया गया. बांग्लादेश के राजनीतिक दल 'गण अधिकार परिषद' द्वारा फरवरी 2024 में किए गए विरोध प्रदर्शन के वीडियो को यह कहते हुए वायरल किया गया कि बांग्लादेश में नई सरकार बनने के बाद मुसलमान दुकानदार भारत के उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं.
असंबंधित फोटो वीडियो वायरल
बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच बेंगलुरु में 2021 में हुए एक गैंगरेप की घटना के वीभत्स वीडियो को ढाका विश्वविद्यालय के मुस्लिम छात्रों द्वारा एक हिंदू महिला का यौन उत्पीड़न का बताया गया. इसी तरह, जुलाई 2024 में यूपी के हाथरस में नारायण साकार हरि के सत्संग में मची भगदड़ के बाद के वीडियो को बांग्लादेश की हिंसा से जोड़कर शेयर किया गया. वीडियो के साथ झूठा सांप्रदायिक दावा किया गया कि बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं का रेप और उनकी हत्या की जा रही है.
हिंसा के बीच भी बांग्लादेश में प्राकृतिक आपदा भी देखने को मिली. इस दौरान भी कई पुराने और असंबंधित वीडियो को बांग्लादेश से जोड़कर वायरल किया गया. बाढ़ राहत कार्य के दौरान एक मौलवी द्वारा बच्चे के गले से तावीज हटाने का वीडियो सांप्रदायिक दावे से वायरल किया गया.
अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं को देश छोड़ने के लिए सात दिन के अल्टिमेटम के गलत दावे के साथ एक वीडियो वायरल हुआ. वास्तव में वह वीडियो बांग्लादेशी एक्टिविस्ट सैफुद्दीन मोहम्मद इमदाद के अवामी लीग के सहयोगियों को धमकाने से जुड़ा था.
बांग्लादेश में हिंसा के दूसरे दौर के दौरान फैली फेक न्यूज
बांग्लादेश में नवंबर महीने में इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के एक आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. इसके विरोध में उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हो गई. इस दौरान चटगांव बार एसोसिएशन के एक सदस्य वकील सैफुल इस्लाम की मौत हो गई. मीडिया में सैफुल इस्लाम को लेकर झूठा दावा किया गया कि वह चिन्मय कृष्ण दास के वकील थे.
इसी प्रदर्शन में शामिल हुए एक और वकील रमन रॉय घायल हो गए. अस्तपाल में भर्ती रमन रॉय की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर इस दावे से वायरल हुई कि चिन्मय कृष्ण प्रभु का केस लड़ रहे वकील रमन रॉय पर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया और उनके घर को भी तहस-नहस कर दिया. इस मामले में बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि रमन रॉय भी चिन्मय कृष्ण दास के वकील नहीं थे.
5- कोलकाता रेप एंड मर्डर केस
अगस्त महीने में पश्चिम बंगाल के कोलकाता से दिल दहलाने वाली बड़ी घटना सामने आई. शहर के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज में से एक आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त 2024 को 31 वर्षीय महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की वारदात ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया.
इस मामले को जहां सोशल मीडिया पर एक ओर लोगों का आक्रोश देखने को मिला, वहीं दूसरी ओर फेक न्यूज भी खूब फैलाई गई. बूम ने इस दौरान 13 फैक्ट चेक रिपोर्ट लिखीं. डॉक्टर की हत्या के बाद कई न्यूज साइट में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के हवाले से दावा किया गया कि पीड़िता के शरीर से 150 मिलीग्राम सीमन पाया गया.
हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जे. ए. जयलाल ने इसका खंडन करते हुए बूम को बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार '150 मिलीग्राम का आंकड़ा' बाहरी और आंतरिक जननांग के पूरे वजन का है.
इस घटना के खिलाफ 14 अगस्त 2024 की देर रात कोलकाता समेत बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में 'रीक्लेम द नाइट' प्रोटेस्ट का आयोजन हुआ. इस बीच सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि विरोध प्रदर्शन से लौट रही बर्धमान यूनिवर्सिटी की एक छात्रा की बर्बर हत्या कर दी गई. हालांकि बूम को बंगाल की बर्धमान पुलिस ने बताया कि यह फेक न्यूज है और उनके पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है.
इसके अलावा बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कोलकाता की घटना को लेकर हुए कैंडल मार्च के गलत दावे से बांग्लादेश का वीडियो शेयर कर दिया.
6- भारत- कनाडा विवाद और फेक न्यूज
खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा और भारत के बीच विवाद इस साल भी जारी रहा. दोनों देश एक दूसरे के कुछ राजनयिकों को निकाल चुके हैं.
इस बीच भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया की ओर से दावा किया गया कि कनाडा सरकार ने एक ऑस्ट्रेलियाई न्यूज वेबसाइट के फेसबुक पेज का कंटेट इसलिए ब्लॉक कर विदेश मंत्री एस जयशंकर की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के टेलीकास्ट पर रोक लगा दी.
हालांकि बूम ने पाया कि मेटा (Meta) ने एक एक्ट को लेकर गतिरोध के चलते कनाडा में अपने प्लेटफॉर्म पर सभी न्यूज कंटेट (लोकल और इंटरनेशनल) का एक्सेस प्रतिबंधित कर दिया है. इसी के चलते ऑस्ट्रेलिया टुडे के फेजबुक पेज पर पोस्ट दिखाई नहीं दे रहे हैं.
7- तिरुपति लड्डू विवाद
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने 17 सितंबर को तिरुपति मंदिर के प्रसाद में बारे में एक दावा किया, जिसने एक नए धार्मिक राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया. नायडू ने दावा किया कि पूर्ववर्ती जगनमोहन रेड्डी की सरकार के दौरान मंदिर में 'प्रसादम' लड्डू के लिए प्रयोग किए गए घी में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया था. आधिकारिक रूप से कुछ भी पुष्टि होने से पहले ही इस विवाद के संबंध में सोशल मीडिया पर कई तरह की फेक न्यूज सामने आने लगीं.
इस विवाद से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक सांप्रदायिक दावा किया गया कि मंदिर में प्रसाद के लिए घी सप्लाई करने वाली फूड कंपनी के टॉप मैनेजमेंट के अधिकारी मुस्लिम हैं. बूम ने जब इस दावे की पड़ताल की तो पाया कि यह इस्लामाबाद की एक कंपनी ए.आर. फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारियों के नाम थे.
इसी विवाद के दौरान तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने एक क्रॉप्ड वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि जगन मोहन रेड्डी ने हाथ में चरणामृत लेकर उसे ग्रहण करने की बजाय फेंक दिया. बूम ने पाया कि यह दावा पूरी तरह से गलत था. पूरे वीडियो में जगन मोहन रेड्डी को चरणामृत ग्रहण करते हुए देखा जा सकता था.
8- बाबा सिद्दीकी मर्डर और लॉरेंस गैंग की जिम्मेदारी
मुंबई में एनसीपी (अजित पवार गुट) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री रहे बाबा सिद्दीकी की 12 अक्टूबर 2024 को गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्या की जिम्मेदारी एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से कथित रूप से लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली. हत्या के बाद बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को लॉरेंस गैंग से कई बार धमकियां मिलने के बाद उनकी सुरक्षा भी बढ़ाई गई.
सोशल मीडिया पर सलमान खान और लॉरेंस बिश्नोई से जोड़कर कई तरह के फर्जी दावे किए गए. सलमान खान के कोरोना समय के एक पुराने वीडियो को क्रॉप्ड कर फर्जी दावा किया गया कि उन्होंने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को धमकी दी. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक क्रॉप्ड वीडियो शेयर करते हुए भी ऐसा ही झूठा दावा किया गया कि उन्होंने सलमान खान से लॉरेंस बिश्नोई और बिश्नोई समाज से माफी मांग लेने की सलाह दी.
बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय लोकसभा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के 2018 के एक वीडियो को लेकर फर्जी दावा किया गया कि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को चुनौती देने के बाद पप्पू यादव की कुछ लोगों ने पिटाई कर दी. बूम ने बाबा सिद्दीकी मर्डर और लॉरेंस गैंग से जुड़े फर्जी दावों पर लगभग 10 फैक्ट चेक लिखे.
9- AI वॉइस क्लोन के इस्तेमाल के साथ स्कैम विज्ञापन
इस साल मेटा प्लेटफॉर्म खासकर फेसबुक पर फर्जी विज्ञापनों की भरमार देखने को मिली जिसमें बॉलिवुड सिलेब्स, न्यूज एंकर्स और पॉलिटिकल लीडर्स के एआई वॉइस क्लोन का इस्तेमाल किया गया. इनमें से अधिकतर विज्ञापन प्रायोजित थे जो यूजर्स की प्रोफाइल पर नहीं दिखे. साथ ही इन वीडियो को स्पॉन्सर करने वाले अधिकतर अकाउंट फर्जी थे.
बूम ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, उद्योगपति मुकेश अंबानी, बॉलिवुड ऐक्टर अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अक्षय कुमार के अलावा जनर्लिस्ट रजत शर्मा और सुधीर चौधरी के फेक वीडियो का फैक्ट चेक किया.
इसी तरह एक फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बिमल छाजेड़ की कार एक्सीडेंट में मौत का फेक वीडियो वायरल किया गया. वीडियो में रजत शर्मा की एआई जनरेटेड वॉइस का इस्तेमाल किया गया. बाद में डॉ. बिमल छाजेड़ ने वीडियो जारी कर खुद इस खबर का खंडन किया था.
इसके अलावा अधिकतर वीडियो में डायबिटीज और आर्थराइटिस के लिए दवा और ऑनलाइन गेमिंग के लिए जानी-मानी हस्तियों की फेक वॉइस इस्तेमाल की गई.