लोकसभा चुनाव 2024 के बीच गाड़ी में ईवीएम पकड़े जाने का पुराना वीडियो वायरल, जानें सच
बूम ने जांच में पाया कि वायरल वीडियो साल यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान का है. तब वाराणसी में एक गाड़ी में ईवीएम पकड़ी गई थीं.
लोकसभा चुनाव 2024 के बीच सोशल मीडिया पर एक गाड़ी में ईवीएम पकड़े जाने का वीडियो वायरल है. वीडियो में एक शख्स भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर आरोप लगाते हुए बोल रहा है कि जनता ने पहाड़िया मंडी में ईवीएम पकड़ीं. बूम ने जांच में पाया कि वीडियो यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान का है.
तब समाजवादी पार्टी (सपा) ने वाराणसी में ईवीएम से छेड़खानी का आरोप लगाया था. हालांकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया था कि ईवीएम को काउंटिंग से पहले ट्रेनिंग के लिए ले जाया जा रहा था.
वायरल वीडियो में कुछ लोग एक गाड़ी में रखीं ईवीएम दिखाते हुए हंगामा कर रहे हैं. वहीं वीडियो बनाने वाला शख्स कह रहा है, "बीजेपी का सरेआम घोटाला देखिए, पहाड़िया मंडी में. जनता द्वारा पकड़ा गया. यही बीजेपी का सच है, चैलेंज ठोकते हैं कि सरकार बनाएंगे."
वीडियो शेयर करते हुए एक एक्स यूजर ने लिखा, "EVM जिंदाबाद."
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फैक्ट चेक
बूम ने जांच में पाया कि वायरल वीडियो साल 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में मतगणना (10 मई 2022) से दो दिन पहले का है. तब सपा ने वाराणसी के पहाड़िया मंडी में ईवीएम से लदी गाड़ी पकड़े जाने का दावा किया था.
वायरल वीडियो में लोकेशन पहाड़िया मंडी बताई जा रही है. इससे संकेत लेते हुए हमने संबंधित कीवर्ड पहाड़िया मंडी में पकड़ी गई ईवीएम की मदद से गूगल पर सर्च किया. हमें नवभारत टाइम्स के यूट्यूब चैनल पर 9 मार्च 2022 की एक वीडियो रिपोर्ट मिली. इसका शीर्षक था- Varanasi Pahariya Mandi में EVM को लेकर SP Workers का रातभर हंगामा. रिपोर्ट में 1.39 मिनट पर वायरल वीडियो वाला फुटेज भी दिखता है.
वीडियो के विवरण में बताया गया कि वाराणसी के पहाड़िया मंडी में ईवीएम मशीन बाहर भेजे जाने को लेकर बवाल हुआ. सपा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि ईवीएम मशीनों को बदला जा रहा है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस घटना का जिक्र किया.
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि 8 मार्च 2022 की रात पहाड़िया मंडी स्थित स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर पांच हजार से अधिक सपा कार्यकर्ताओं ने ईवीएम में धांधली का आरोप लगाकर बवाल किया. इस दौरान एडीजी जोन की गाड़ी पर पथराव भी हुआ था. इस मामले में 300 अज्ञात लोगों पर हत्या के प्रयास और सरकारी काम में बाधा डालने समेत 16 संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.
तत्कालीन वाराणसी डीएम कौशल राज शर्मा ने इस पर कहा था कि ईवीएम मशीनें काउंटिंग की ट्रेनिंग के लिए यूपी कॉलेज में ले जाई जा रही थीं. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया था, "9 मार्च वाराणसी के काउंटिंग कर्मचारियों की एक कॉलेज में ट्रेनिंग है. इसके लिए 20 ईवीएम मशीनें एक छोटी गाड़ी में ले जाई जा रही थीं. इसे कुछ लोगों द्वारा रोका गया, उन लोगों में यह भ्रम हुआ कि कहीं ये वो EVM मशीनें तो नहीं हैं जिनसे वोट डाले गए हैं." (आर्काइव लिंक)
डीएम ने आगे कहा, "बाद में यहां भीड़ इकट्ठा हो गई थी. सभी अधिकारियों ने उन्हें समझाया. अब सभी पार्टियों के प्रत्याशियों और अध्यक्षों को बुलाया गया है कि आप सभी स्पष्ट कर लीजिए कि जो EVM ले जाई जा रही थीं वह सभी ट्रेनिंग के लिए थीं."
मामले में 8 मार्च 2022 को चुनाव आयोग की ओर से प्रेस रिलीज जारी की गई थी. इसमें बताया गया था कि 'ये ईवीएम प्रशिक्षण के लिए चिह्नित थीं. जिले में मतगणना अधिकारियों की ट्रेनिंग के लिए 9 मार्च 2022 को आयोजन किया जा रहा है. इसके लिए ईवीएम मंडी में स्थित अलग खाद्य गोदाम में बने स्टोरेज से यूपी कॉलेज स्थित प्रशिक्षण स्थल ले जाई जा रही थीं.' (आर्काइव लिंक)
बाद में ईवीएम के रखरखाव और ट्रांसपोर्टेशन के लिए जिम्मेदार वाराणसी एडीएम आपूर्ति नलिनी कांत सिंह को निलंबित कर दिया गया था. चुनाव आयोग ने माना था कि ईवीएम के ट्रांसपोर्टेशन में प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया.