'राम मंदिर' का निर्माण 'बाबरी मस्जिद' से दूर अलग स्थान पर किए जाने का झूठा दावा वायरल
बूम ने निर्माणाधीन मंदिर परिसर का दौरा करने वाले पत्रकारों से बात की, जिन्होंने हमसे पुष्टि की कि मंदिर ध्वस्त किए गए 'बाबरी मस्जिद' वाले स्थल पर ही बनाया जा रहा है.
सोशल मीडिया पर अयोध्या में निर्माणाधीन 'राम मंदिर' 'बाबरी मस्जिद' के स्थान से 3 किमी दूर बनाये जाने का झूठा दावा काफ़ी वायरल हो रहा है. यूज़र्स सोशल मीडिया पर 'बाबरी मस्जिद' की स्थिति दिखाने के लिए गूगल मैप्स के भ्रामक स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं.
बूम ने निर्माणाधीन मंदिर परिसर का दौरा करने वाले पत्रकारों से बात की, जिन्होंने हमसे पुष्टि की कि मंदिर ध्वस्त किए गए 'बाबरी मस्जिद' वाले स्थल पर ही बनाया जा रहा है.
हमने अयोध्या व्यापार मंडल के प्रमुख नंद कुमार से बात की, जिन्होंने मंदिर को मस्जिद से दूर बनाए जाने के दावे को फे़क बताया. नंद कुमार ने हमें बताया कि "1992 में मस्जिद के विध्वंस बाद जहां भगवान राम की मूर्ति स्थित थी, वर्तमान में निर्माणाधीन राम मंदिर में उस स्थान को संरक्षित रखा गया है."
सोशल मीडिया पर 'श्री सीता राम मंदिर' और 'बिड़ला धर्मशाला' जैसे अन्य धार्मिक स्थलों के Google Map से सैटेलाइट व्यू वाले स्क्रीनशॉट 'बाबरी मस्जिद' स्थल होने के झूठे दावे के साथ शेयर किए जा रहे हैं.
16वीं शताब्दी में मुगल जनरल मीर बाकी द्वारा निर्मित बाबरी मस्जिद, भारत के हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सबसे बड़े विवादों में से एक रही है, जिसमें दावा था कि मस्जिद हिंदू देव भगवान राम के जन्मस्थान पर बनाई गई थी. इसके बाद दिसंबर 06, 1992 को दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी संगठन विश्व हिंदू परिषद और अन्य संगठनों द्वारा मस्जिद को ढहा दिया गया, जिससे देश भर में व्यापक सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की. कई वर्षों के धार्मिक विवाद के बाद, नवंबर 09, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के खंडहरों वाली भूमि को राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए सौंपने का आदेश दिया. वहीं मस्जिद के निर्माण के लिए अलग 5 एकड़ भूमि दी गई.
ग़ौरतलब है कि आगामी 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम में शामिल होने वाले हैं. देश भर के भक्त मंदिर के उद्घाटन की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हालांकि, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रमुख धर्म गुरुओं सहित विपक्षी नेताओं ने कार्यक्रम में भाग लेने से इनकार कर दिया है. जहां विपक्ष का दावा है कि उद्घाटन को बीजेपी-आरएसएस के कार्यक्रम तक सीमित कर दिया गया है, वहीं धार्मिक प्रमुखों ने अधूरे मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह करने पर सवाल उठाए हैं. इसी संदर्भ से जोड़ते हुए ये झूठा दावा वायरल हो रहा है.
फे़सबुक पर यूज़र ने लिखा, "भाजपा का नारा क्या था?? "मंदिर वही बनाएंगे" बोल बोल कर बाबरी मस्ज़िद गिराई। बाबरी मस्जिद के गुंबज के नीच राम लला का जन्म हुआ था, इसलिए मस्जिद गिराई गई। फिर मंदिर वहां से 3 किलोमीटर दूर क्यों बन रहा?? अगर 3 किलोमीटर दूर ही मंदिर बनाना था तो मस्ज़िद क्यों गिराई??
प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर यूज़र ने लिखा, "मंदिर वहीं बनाएंगे" कहकर भक्तों को उल्लू बना दिया!! "वहीं" से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर बन रहा है मंदिर।"
"मंदिर वहीं बनाएंगे" कहकर भक्तों को उल्लू बना दिया!!
— Churu Congress (@INC_Churu) January 15, 2024
"वहीं" से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर बन रहा है मंदिर। pic.twitter.com/VJAxQik05t
फै़क्ट चेक
बूम ने Google Map पर सर्च किए गए परिणामों के आधार पर पाया कि मैप पर 'बाबरी मस्जिद' को प्रदर्शित करने वाले स्थान अनुमानित स्थिति के आधार पर फ़र्ज़ी मार्क किए गए थे.
बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए Google Map पर 'Babri Masjid' को सर्च किया, लेकिन हमें कोई भी सटीक परिणाम नहीं मिला.
हमने ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के कथित स्थान को सर्च करने के लिए Google Map पर हिंदी कीवर्ड्स "बाबरी मस्जिद परिसर" के साथ भी सर्च किया, जो हमें एक आवासीय स्थान तक ले गया, जिसे कई यूज़र्स द्वारा 'बाबरी मस्जिद' के रूप में अनुमानित स्थान के रूप में मार्क करके शेयर किया गया है.
इस स्थान पर ज़ूम करने पर, हमें कुछ इमारती संरचनाएँ मिलीं जिनके बारे में दावा किया जा रहा था कि ये ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के खंडहर हैं. हालाँकि ज़ूम इन करने पर Google Maps ने इन इमारती संरचनाओं के लिए अलग-अलग नाम बताए. एक को "बिड़ला धर्मशाला' के रूप में लेबल किया गया था, जबकि इसके ठीक बगल में दूसरी इमारती संरचना को 'श्री सीता राम मंदिर' के रूप में लेबल किया गया था.
बूम ने गूगल मैप के इस सैटेलाइट व्यू की तुलना बाबरी मस्जिद के खंडहर के रूप में वायरल हो रही तस्वीरों से की और पाया कि यह उसी स्थान की तस्वीरें हैं.
इसके अलावा, हमने यह भी देखा कि कुछ वायरल स्क्रीनशॉट में "बाबर मस्जिद" लिखा हुआ था, जो कि 'बाबरी मस्जिद' की गलत वर्तनी है. इससे हमें विश्वास हो गया कि Google Map पर 'बाबरी मस्जिद' के स्थान के लिए गलत जानकारी मार्क करके लोगों को गुमराह किया गया है.
हमने फ्रीलांस रिपोर्टर कैसर अंद्राबी से संपर्क किया, जिन्होंने हाल ही में अयोध्या का दौरा किया था. अंद्राबी ने बूम को बताया कि "बाबरी मस्जिद" अब वहां मौजूद नहीं हैं, क्योंकि मंदिर ठीक इसके ऊपर बनाया गया है".
हमने स्क्रॉल के लिए रिपोर्ट करने वाले पत्रकार आयुष तिवारी से भी संपर्क किया. तिवारी ने बूम को बताया कि उन्होंने विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2019 में बाबरी मस्जिद के खंडहरों (विवादित ढांचे) वाली जगह का दौरा किया था.
उन्होंने हमसे कहा कि "मैंने विवादित ढांचे वाले स्थल का दौरा किया है, मैं स्पष्टता से कह सकता हूं कि नया मंदिर परिसर इसके ठीक ऊपर बनाया गया है,"
स्थानीय निवासी और व्यापार मंडल अयोध्या के प्रमुख नंद कुमार ने भी बूम से इसकी पुष्टि की. नंद कुमार ने हमें बताया कि "राम की मूर्ति की स्थिति, जो 1992 में मस्जिद के विध्वंस के बाद थी. वर्तमान में उसी स्थान पर 'राम मंदिर' का निर्माण किया जा रहा है." इसके अलावा, बाबरी मस्जिद के खंडहर अब मौजूद नहीं हैं." उन्होंने आगे कहा कि "अयोध्या का कोई भी व्यक्ति इस बात की पुष्टि कर सकता है''.
मंदिर को बाबरी मस्जिद वाले स्थल से 3 किमी दूर बनाए जाने के वायरल दावों के बारे में उन्होंने कहा, "ये पूरी तरह से झूठ है".
इसके अलावा, बूम ने निर्माणाधीन राम जन्मभूमि मंदिर के स्थल को निर्देशांक 26°47'43.74″N 82°11'38.77″E पर देखने के लिए Google Earth Pro का उपयोग किया.
Historical view टूल का प्रयोग करके हमने फरवरी 2011 की उसी स्थान की एक सैटेलाइट वाली तस्वीर प्राप्त की. इस तस्वीर के माध्यम से हम उस संरचना के ठीक सामने एक गोलाकार खाई का पता लगाने में सक्षम थे, जो एक बोरवेल जैसी थी, जहां वर्तमान में मंदिर बनाया जा रहा है.
हमने इसकी तुलना मस्जिद के गिराए जाने वाले फुटेज से की (बोरवेल को 21 मिनट 39 सेकण्ड पर देखा जा सकता है), जिसमें दिखाया गया कि मस्जिद के ठीक सामने ऐसी ही गोलाकार खाई थी, जब इसे ध्वस्त किया जा रहा था.
जिससे यह स्थापित होता है कि निर्माणाधीन राम मंदिर के निर्देशांक बाबरी मस्जिद के खंडहरों से मेल खाते हैं, और मंदिर मस्जिद के ठीक ऊपर बनाया गया है.
(सुजीत ए के इनपुट के साथ)
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