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फैक्ट चेक

बांग्लादेश: मारे गए एडवोकेट को चिन्मय दास का वकील बताकर गलत दावा वायरल

बूम ने अपनी जांच में पाया कि बांग्लादेश में सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में मारे गए सैफुल इस्लाम चिन्मय कृष्ण दास के वकील नहीं थे.

By - Jagriti Trisha |
Published -  27 Nov 2024 10:44 AM
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    Fact check on lawyer killed in Bangladesh violence
    CLAIMबांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा में उनके वकील की हत्या हो गई.
    FACT CHECKबूम ने पड़ताल के दौरान पाया कि मारे गए वकील चिन्मय दास के बचाव पक्ष के प्रतिनिधि नहीं थे.

    बांग्लादेश के चटगांव में इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ किए जा रहे प्रदर्शन में वकील सैफुल इस्लाम की हत्या हो गई. इसके बाद से सोशल मीडिया पर सैफुल को हिंदू धर्मगुरु चिन्मय दास का वकील बताते हुए कई पोस्ट शेयर किए गए.

    कई मीडिया आउटलेट्स ने भी मृतक एडवोकेट सैफुल इस्लाम की पहचान चिन्मय दास के वकील के रूप में की.

    बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि एडवोकेट सैफुल इस्लाम चिन्मय दास के वकील नहीं बल्कि चटगांव बार एसोसिएशन के सदस्य और असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर थे, जिनकी चिन्मय दास के समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़प में हत्या कर दी गई.

    मीडिया ने की गलत रिपोर्टिंग

    असल में इस गलत सूचना का प्रसार तब शुरू हुआ जब इंटरनेशल न्यूज आउटलेट रायटर्स ने अपनी रिपोर्ट में एक पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि वकील सैफुल इस्लाम चिन्मय दास के बचाव पक्ष के वकील थे.

    रायटर्स ने बाद में लेख को अपडेट करते हुए लिखा, "पुलिस के उस कोट को हटाकर स्टोरी को सही किया गया है, जिसमें कहा गया था कि मारा गया वकील दास का बचाव कर रहा था." रायटर्स ने अपडेटेड रिपोर्ट में सैफुल को सिर्फ मुस्लिम वकील के रूप में पेश किया.

    दक्षिणपंथी आउटलेट ऑपइंडिया समेत द डेली गार्डियन, लाइव मिंट, हिंदुस्तान टाइम्स, फर्स्ट पोस्ट, इंडिया टुडे ग्लोबल और पत्रिका न्यूज ने भी अपनी रिपोर्ट में सैफुल इस्लाम को चिन्मय दास के वकील के रूप में चिन्हित किया.

    इंशॉर्ट्स के आर्टिकल में रिपब्लिक वर्ल्ड के हवाले से भी यही दावा किया गया. हालांकि रिपब्लिक ने बाद में अपनी मूल रिपोर्ट में अपडेट कर सैफुल की पहचान पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के रूप में की.

    वहीं द वायर ने अपनी रिपोर्ट में रॉयटर्स के हवाले से सैफुल की पहचान 'दास का बचाव करने वाले मुस्लिम वकील' और प्रोथोम आलो के हवाले से 'असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर' बताई.

    गौरतलब है कि बीते 25 नवंबर को इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की लॉ एंफोर्समेंट एजेंसी ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया. 26 नवंबर को बांग्लादेश की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें जेल भेज दिया. इसे लेकर चिन्मय दास के समर्थक सड़कों पर उतर आए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प में लगभग 10 लोग घायल हो गए और वहीं एक वकील की हत्या हो गई.

    आजतक की रिपोर्ट में चटगांव लॉयर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट नाजिम उद्दीन चौधरी के हवाले बतया गया कि प्रदर्शनकारियों ने वकील सैफुल इस्लाम को उनके चैम्बर से खींचकर उनकी हत्या कर दी.

    आपको बताते चलें कि चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के एक जाने-माने चेहरे और इस्कॉन के एक धर्मगुरु हैं. उनपर आरोप है कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है.

    घटना पर भारत और बांग्लादेश का बयान

    चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में बयान जारी कर घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और चिन्मय दास की गिरफ्तारी को लेकर चिंता जाहिर की. इस बयान में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को भी चिन्हित किया गया.

    इसके बाद बांग्लादेश ने भी इसके जवाब में एक बयान जारी करते हुए कहा कि "चिन्मय कृष्ण दास को विशिष्ट आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है. कुछ लोग इसे गलत तरीके से पेश कर रहे हैं. बांग्लादेश सरकार देश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. बांग्लादेश सरकार चटगांव में वकील सैलफु इस्लाम की बेरहमी से की गई हत्या को लेकर चिंतित है."

    सोशल मीडिया पर भी वायरल है गलत दावा

    सोशल मीडिया पर भी यूजर्स सैफुल इस्लाम की एक तस्वीर के साथ उन्हें चिन्मय दास के वकील के रूप में शेयर कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि बांग्लादेश में मुसलमानों ने उनकी पीट-पीट कर हत्या कर दी.



    फैक्ट चेक: सैफुल इस्लाम चिन्मय दास के वकील नहीं थे

    हालांकि लल्लनटॉप, आजतक और बांग्ला आउटलेट प्रोथोम आलो, ढाका ट्रिब्यून, बिजनेस स्टैण्डर्ड समेत कई आउटलेट्स ने मृतक सैफुल इस्लाम की पहचान असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के रूप में की थी.

    डेली स्टार की एक रिपोर्ट में घटना के चश्मदीद मोहम्मद दीदार के हवाले से बताया गया, "चिन्मय दास के कुछ समर्थकों ने रंगम कन्वेंशन हॉल के बगल वाली सड़क पर वकील पर हमला किया." मोहम्मद दीदार गोलाम रसूल मार्केट के एक कर्मचारी हैं, जिन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर सैफुल को बचाया और अस्पताल ले गए.

    बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की प्रेस विंग ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज से भी एक स्पष्टीकरण साझा किया गया. इस पोस्ट में इन्होंने चिन्मय दास के वकील वाले दावे का खंडन करते हुए लिखा, "चिन्मय कृष्ण दास द्वारा मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किए गए वकालतनामे से पता चला है कि एडवोकेट सुबाशीष शर्मा उनके वकील हैं."


    बूम की बांग्लादेश टीम ने चटगांव जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नाजिम उद्दीन चौधरी से संपर्क किया. उन्होंने बूम से इसकी पुष्टि की कि सैफुल इस्लाम चिन्मय दास का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे थे. उन्होंने बताया, "सैफुल इस्लाम चटगांव बार एसोसिएशन के सदस्य थे. वह न तो चिन्मय दास का बचाव कर रहे थे और न ही वह इस मामले में सरकारी वकील थे."

    बूम ने सैफुल इस्लाम के दोस्त उम्मुल हयात आपी से भी संपर्क किया, हयात चटगांव के जज कोर्ट में वकील हैं. उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की. उम्मुल हयात ने बूम को बताया कि झड़प के हिंसक होने के बाद उनकी हत्या कर दी गई. हालांकि बूम स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं करता है.

    उम्मारा इवा, बूम बांग्लादेश के इनपुट के साथ

    Tags

    Bangladesh CrisisMedia Coveragebangladesh violenceFact Check
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    Claim :   बांग्लादेश में इस्कॉन के धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में उनके वकील की हत्या कर दी गई.
    Claimed By :  News Outlets like Mint, Republic, Opindia & Social Media Posts
    Fact Check :  Misleading
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