Haryana Elections: नायब सैनी और BJP नेताओं के विरोध का वायरल वीडियो पुराना है
वायरल वीडियो साल 2020 का है जब तीन कृषि कानून के विरोध में किसानों ने बीजेपी नेताओं की ट्रैक्टर रैली रोकी थी और उन्हें काले झंडे दिखाए थे.
हरियाणा विधानसभा चुनाव की चल रही गहमागहमी के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें कुछ लोग काले और सफेद झंडे के साथ ट्रैक्टर पर सवार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं का विरोध करते नजर आ रहे हैं.
यूजर्स इस वीडियो को अगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ते हुए दावा कर रहे हैं कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और अन्य बीजेपी नेताओं को चुनाव प्रचार के दौरान किसानों और युवाओं के विरोध का सामना करना पड़ा.
वायरल वीडियो में लोगों द्वारा लगाए जा रहे नारे को सुना जा सकता है, 'रतनलाल कटारिया मुर्दाबाद, नायब सैनी शर्म करो, नायब सैनी वापस जाओ...'
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा गलत है. वायरल वीडियो साल 2020 का है जब बीजेपी नेताओं ने तीन कृषि कानून (Three farm laws) के समर्थन में ट्रैक्टर रैली निकाली थी, जिसके बाद उन्हें भारतीय किसान यूनियन (Bharatiya Kisan Union) से जुड़े किसानों के द्वारा विरोध का सामना करना पड़ा था. नायब सिंह सैनी उस वक्त कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद थे.
गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग 5 अक्टूबर को होगी जबकि मतगणना 8 अक्टूबर को होगी. हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं.
साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव बीजेपी को 90 में से 40 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस के खाते 31 सीटें आई थीं. जननायक जनता पार्टी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई थी.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल वीडियो को पोस्ट करते हुए एक वेरिफाइड यूजर ने लिखा, 'पूरे हरियाणा में भाजपा चुनाव प्रचार तक नहीं कर पा रही है. सही मायने में ये अपने गलत कर्मों का फल भुगत रहे हैं. @NayabSainiBJP के सामने युवा, किसान हाथों के काले झंडे लेकर खड़े हैं, मुर्दाबाद के नारे लग रहे हैं. भाजपा का इस बार सफाया होने वाला है.' (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर भी यह वीडियो ऐसे ही मिलते-जुलते दावे के साथ वायरल है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
फैक्ट चेक: वायरल वीडियो अक्टूबर 2020 का है
बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए वीडियो के अलग-अलग कीफ्रेम को जब गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें फेसबुक पर यह वीडियो मिला, जिसे 16 अक्टूबर 2020 को फेसबुक पर पोस्ट किया गया था. इससे हमें पता चला कि यह वीडियो लगभग चार साल पहले से ही इंटरनेट पर मौजूद है.
इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा था, 'हरियाणा में सरकार के खिलाफ लगे नारे. किसानों ने बीजेपी हरियाणा द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर रैली को घेर लिया.' (अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद)
इसकी मदद से जब हमने इससे जुड़े कीवर्ड को गूगल पर सर्च किया तो हमें न्यूज वेबसाइट DainikBhasker.com की एक रिपोर्ट मिली.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा के अंबाला के नारायणगढ़ में बीजेपी हरियाणा द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर रैली को भारतीय किसान यूनियन (BKU) से जुड़ें किसानों द्वारा विरोध का सामना करना पड़ा था. इस ट्रैक्टर रैली को साढ़े तीन घंटे तक हाइवे पर ही रोककर रखा गया था. इस दौरान एक बीजेपी नेता की हार्टअटैक से मौत भी हो गई थी.
इस ट्रैक्टर रैली में तत्कालीन केंद्रीय राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया, कुरुक्षेत्र से तत्कालीन सांसद नायब सैनी और बीजेपी नेता राजबीर बराड़ा शामिल थे.
इसके अलावा हमें अंग्रेजी न्यूजपेपर The Tribune के फेसबुक पेज पर भी यह वीडियो मिला, जिसे 15 अक्टूबर 2020 को अपलोड किया गया था. इसमें वायरल वीडियो से जुड़े क्लिप को दूसरे एंगल से देखा जा सकता है.
The Tribune की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी हरियाणा ने नारायणगढ़ में 150 ट्रैक्टर के साथ रैली निकाली थी, लेकिन नारायणगढ़ के सैनी धर्मशाला से कुछ दूर आगे ही भारतीय किसान यूनियन (BKU) के जिला प्रमुख मलकीत सिंह के नेतृत्व में किसानों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया और उन्हें काले झंडे दिखाए. बाद में किसानों और भाजपा नेताओं ने बातचीत कर पुलिस की मदद से इस ट्रैक्टर रैली को आगे बढ़ाया.
बीकेयू नेता ने मलकीत सिंह ने उस वक्त कहा था, "जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते, किसान आंदोलन जारी रखेंगे."
तीन कृषि कानून और किसानों का विरोध
5 जून 2020 को मोदी सरकार अध्यादेश के जरिए तीन कृषि बिल लेकर आई थी. 14 सितंबर 2020 को केंद्र सरकार ने इन अध्यादेशों को संसद में पेश किया. 17 सितंबर 2020 को तीनों कृषि बिल लोकसभा में पारित किया गया और 20 सितंबर 2020 को तीनों कृषि बिल राज्यसभा में पारित किया गया.
27 सितंबर 2020 को राष्ट्रपति तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीनों कृषि बिलों को हरी झंडी दे दी, जिसके बाद यह कानून बन गए.
हालांकि, किसान संगठनों ने इन तीनों कृषि कानून का विरोध करना शुरू कर दिया, जिसके बाद 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी.