बांग्लादेश: 2021 बेंगलुरु गैंगरेप का वीडियो सांप्रदायिक दावे से वायरल
बूम ने पाया कि यह घटना मई 2021 में बेंगलुरु के राममूर्तिनगर में हुई थी, जहां 11 बांग्लादेशी नागरिकों ने एक 22 वर्षीय युवती का यौन उत्पीड़न किया था.
बेंगलुरु में एक महिला के साथ गैंगरेप का पुराना और दिल दहला देने वाला वीडियो बांग्लादेशी टेलीग्राम चैनलों पर शेयर किया जा रहा है. इसके साथ झूठा दावा किया जा रहा है कि ढाका विश्वविद्यालय के मुस्लिम छात्रों ने एक हिंदू महिला का यौन उत्पीड़न किया.
फेसबुक और एक्स पर भी इस वीभत्स घटना का स्क्रीनशॉट बांग्लादेश में मुस्लिमों द्वारा हिंदू महिलाओं के बलात्कार के दावे से वायरल है.
बूम ने अक्टूबर 2023 में भी इस वीडियो का फैक्ट चेक किया था, तब यह मणिपुर में हिंदुओं द्वारा एक ईसाई महिला के बलात्कार के दावे से वायरल था.
बताते चलें कि बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के विरोध के बाद हुई हिंसा ने पूरे देश में अराजकता की स्थिति पैदा कर दी. शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद वहां मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार देश की बागडोर थामी है. यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में 16 जुलाई से 11 अगस्त के बीच लगभग 650 लोग मारे गए हैं.
खबरों के मुताबिक, वहां रह रहे अल्पसंख्यक हिंदू भी इस हिंसा की जद में आए. कई जिलों में हिंदू घरों और उनकी दुकानों पर हमले किए गए. इसके बाद से सोशल मीडिया पर यूजर्स बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले से जोड़कर फर्जी खबरें शेयर कर रहे हैं.
वीडियो बांग्ला के एक कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसका हिंदी अनुवाद इस प्रकार है: हमें हिंदुओं को ऐसे ही सबक सिखाना होगा. सभी हिंदू भारत के एजेंट हैं. विरोध प्रदर्शन के दौरान एक हिंदू महिला का हमारे चार/पांच भाइयों ने यौन शोषण किया और उसका मजा लिया.
भड़काऊ कैप्शन में हिंदू महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न का आह्वान भी किया गया है.
बूम वीडियो की विचलित करने वाली प्रकृति के कारण इसे अपनी स्टोरी में शामिल नहीं कर रहा है.
नीचे फेसबुक और एक्स पर शेयर किए जा रहे वीडियो के स्क्रीनशॉट दिए गए हैं.
फैक्ट चेक
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट बेंगलुरु में साल 2021 में हुए गैंगरेप की घटना का है.
हमने सबसे पहले टेलीग्राम चैनल इस्लामिक आर्मी: लेटेस्ट वर्जन की जांच की तो पाया कि चैनल पर 26 जुलाई 2024 को यह वीडियो शेयर किया गया था.
हमने इससे संबंधित कीवर्ड्स सर्च किया था तो हमें न्यूज बांग्ला 24 की एक रिपोर्ट मिली थी, रिपोर्ट के फीचर इमेज में वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल किया गया था. रिपोर्ट में बेंगलुरु में एक बांग्लादेशी नागरिक से बलात्कार की घटना के बारे में बताया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश और भारत के बीच चल रहे तस्करी रैकेट के सरगना अशरफुल मंडल उर्फ बॉस रफी और अब्दुर रहमान ने ढाका की अदालत में अपना अपराध कबूल कर लिया है. रिपोर्ट में उस भयावह वीडियो का भी जिक्र किया गया है जिसमें पांच लोग एक महिला के कपड़े उतारते और उसका यौन शोषण करते नजर आ रहे हैं.
मई 2021 की एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस यौन शोषण का दिल दहला देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसने लोगों के बीच काफी आक्रोश पैदा कर दिया था. वीडियो में आरोपियों द्वारा एक महिला को प्रताड़ित करते हुए दिखाया गया था. यहां तक कि उसके प्राइवेट पार्ट में बोतल डालते हुए भी दिखाया गया था. 22 वर्षीय महिला के साथ कथित तौर पर बाद में सामूहिक बलात्कार किया गया."
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बेंगलुरु पुलिस ने 12 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया था. महज पांच हफ्ते के कम समय में पुलिस ने यह जांच पूरी की थी. बेंगलुरु के तत्कालीन पुलिस आयुक्त कमल पंत ने भी उस समय एक्स पोस्ट के जरिए यह जानकारी दी थी.
इस मामले की जांच बेंगलुरु की व्हाइटफील्ड पुलिस कर रही थी, जिसने छह आरोपियों को पकड़ा. बाद में राममूर्तिनगर पुलिस ने अन्य पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया.
यह घटना 2021 के मई में बेंगलुरु के राममूर्तिनगर इलाके में हुई थी. पुलिस ने 22 वर्षीय युवती के साथ मारपीट और बलात्कार के आरोप में तीन महिलाओं समेत 12 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया कि आरोपियों की पहचान शोबुज शेख, रफीक, रिदोय बाबू, रकीबुल इस्लाम सागर, मोहम्मद बाबू शेख, हकील, अजीम, जमाल, दलिम, नसरथ, काजल और तान्या के रूप में हुई. रिदोय बाबू एक मशहूर टिकटॉकर था और महिलाओं की तस्करी में भी संलिप्त था. बाबू, रफीक और शोबुज के साथ मिलकर बांग्लादेश की महिलाओं को नौकरी दिलाने के बहाने भारत लाता था और बाद में उन्हें वेश्यावृत्ति के धंधे में उतरने के लिए मजबूर करता था.
रिपोर्ट में यह भी बताया बताया गया है कि रफीक और शोबुज गैंगरेप पीड़िता से नाराज थे क्योंकि वह उनके गिरोह से अलग हो गई थी और उसने इस रैकेट से भागने में महिलाओं की मदद की थी. इसी का बदला लेने के लिए उन्होंने उसके साथ मारपीट की. 21 मई 2022 को बेंगलुरु की एक अदालत ने इस आरोप में 11 लोगों को दोषी पाया.