पुलिस अधिकारियों द्वारा लॉकअप में कुछ व्यक्तियों को पीटते हुए दिखाने का वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल है. जिसे इस झूठे दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि ये राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से सम्बंधित मुम्बई के मीरा रोड में हुए दंगों के आरोपियों को हिरासत में लिए जाने का है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा झूठा है. वीडियो जून 2022 का उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई एक घटना का है. इसका मुंबई के मीरा रोड में हुए हाल के दंगों से कोई संबंध नहीं है.
ग़ौरतलब है कि 22 जनवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर में हिंदू देवता राम की 'प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम' संपन्न हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित देश के लगभग 7000 गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए थे.
अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के दौरान देश में हिंसा और बर्बरता की कम से कम छह घटनाएं हुईं, जिसमें महाराष्ट्र का मीरा रोड भी शामिल है, जहां 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
राम मंदिर की 'प्राण प्रतिष्ठा' के आयोजन की घोषणा के बाद से लेकर अब तक सोशल मीडिया पर इससे संबंधित तरह-तरह के झूठे और भ्रामक दावे के साथ तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं. इसी क्रम में अब यह वीडियो भी वायरल है. बूम ने राम मंदिर से जुड़े तमाम फ़र्जी खबरों का फै़क्ट चेक किया है, जिनको यहां, यहां पढ़ा जा सकता है.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "मीरा रोड वालों को अब समझ आया होगा शायद , वैसे तो गीदड़ों की तरह झुंड में दंगा कर लेते हैं , जब डंडे पड़ते हैं तो मोये मोये हो जाती है😂😂😂😂"
फे़सबुक पर भी यूज़र ने इसी दावे के साथ ये वीडियो शेयर किया है.
कई अन्य यूज़र्स ने भी इसी दावे के साथ ये वीडियो शेयर किया है.
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फै़क्ट चेक
बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए वीडियो के कीफ्रेम को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें एनडीटीवी की 12 जून 2022 को प्रकाशित न्यूज़ रिपोर्ट मिली, जिसका शीर्षक था 'वायरल वीडियो में यूपी पुलिस प्रदर्शनकारियों को बेरहमी से पीटती दिख रही है' रिपोर्ट में वायरल वीडियो के एक दृश्य को भी देखा जा सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, यह वीडियो यूपी के भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने शेयर किया था, जिसमें पैगंबर मुहम्मद पर तत्कालीन भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के बाद पुलिस द्वारा लोगों को पीटा जा रहा है.
इसके बाद हमने त्रिपाठी के एक्स अंकाउट को देखा. हमें "बलवाइयों को रिटर्न गिफ्ट" कैप्शन के साथ 11 जून, 2022 को शेयर की गई ये वीडियो पोस्ट मिली.
नीचे वायरल वीडियो और जून 2022 में त्रिपाठी द्वारा शेयर किए गए मूल वीडियो के बीच तुलना दिखाई गई है.
वीडियो में दिखाई दे रहे पुलिस के क्रूर और असंवेदनशील व्यवहार के कारण इस वीडियो की घोर अलोचना हुई थी. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "मानवाधिकार उल्लंघन में यूपी शीर्ष पर है और दलित उत्पीड़न में भी यूपी सबसे आगे है. वकील प्रशांत भूषण ने भी वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए पुलिस अधिकारियों को "वर्दी में अपराधी" कहा था.
हालांकि त्रिपाठी ने शेयर किए गए वीडियो स्थान के उल्लेख नहीं किया था, लेकिन मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि यह वीडियो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का था.
इसके साथ ही हमने देखा कि वायरल वीडियो के शुरुआत में कुछ लोगों को जेल की कोठरी में बैठे हुए दिखाया गया था.
इस कीफ्रेम को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें विरोध प्रदर्शन के संबंध में 11 जून को प्रकाशित दैनिक जागरण की न्यूज़ रिपोर्ट मिली, जिसका शीर्षक था, "सहारनपुर में बवालियों पर कड़ी कार्रवाई, 64 को भेजा जेल, दो के घर पर चला बुलडोजर"
इस रिपोर्ट में बताया गया कि "जुमे की नमाज के बाद घंटाघर, नेहरू मार्केट और मोरगंज में बवाल करने वाले 64 आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया."
रिपोर्ट में शामिल तस्वीर वायरल वीडियो से काफी मिलती-जुलती है. नीचे दोनों के बीच तुलना देखिए.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नूपुर शर्मा की पैगंबर मुहम्मद पर विभाजनकारी टिप्पणियों की प्रतिक्रिया में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद अकेले यूपी में ही 300 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था. कथित तौर पर प्रयागराज और सहारनपुर में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस कर्मियों पर भी पथराव किया. पश्चिम बंगाल, झारखंड और नई दिल्ली की जामा मस्जिद सहित भारत के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन दिखाई दिया था.
इसके अलावा, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर और ईरान सहित इस्लामी देशों की आलोचना के कारण शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने भी शर्मा की उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए आलोचना की थी और "देश भर में भावनाओं को भड़काने" के लिए उन्हें फटकार भी लगाई थी. भाजपा ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देेते हुए कहा था कि शर्मा की टिप्पणियां भाजपा पार्टी के विचार को प्रतिबिंबित नहीं करतीं हैं.
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