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फ़ैक्ट चेक

पुराने वीडियो को सी.ए.ए के ख़िलाफ हो रहे प्रदर्शन से जोड़कर किया जा रहा शेयर

वीडियो में दिखाया गया है कि एक पुलिस अधिकारी, महिला को थप्पड़ मार रहा है। महिला नाबालिग बलात्कार के विरोध प्रदर्शन में शामिल थी।

By - Shachi Sutaria | 28 Dec 2019 10:01 AM GMT

दिल्ली पुलिस का छह साल पुराना वीडियो गलत दावों के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में पुलिस को एक किशोरी लड़की को थप्पड़ मारते हुए दिखाया गया है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह घटना नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस की बर्बरता का हालिया उदाहरण है।

वीडियो मूल रूप से अप्रैल 2013 का है जहां पुलिस अधिकारी को एक नाबालिग लड़की की पिटाई करते हुए दिखाया गया है, जो 5 साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार के ख़िलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल थी।

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2.27 मिनट के वीडियो में पुलिसकर्मियों के एक समूह को दो लड़कियों के साथ बहस करते हुए दिखाया गया है और कुछ ही मिनटों बाद अधिकारी उनमें से एक लड़की को थप्पड़ मारता है। इस वीडियो को "शेमफुल दिल्ली पुलिस, # IndiaAgainstNRC" कहते हुए शेयर किया जा रहा है। इसे देश भर में नागरिक संशोधन अधिनियम के खिलाफ हो रहे विरोध के मद्देनजर शेयर किया जा रहा है। इन विरोध प्रदर्शनों में 26 दिसंबर तक कथित तौर पर पुलिस की बर्बरता के कारण 25 लोगों की मौत हो गई। इनमें से पांच असम से, दो मंगलुरु से और 18 लोग उत्तर प्रदेश से गए हैं।

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फ़ैक्ट चेक

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो मूल रूप से 2013 का है। वीडियो के टॉप दाएं कोने में एनडीटीवी का लोगो देखा जा सकता है। इस वीडियो से जानकारी और स्टिल्स का इस्तेमाल करते हुए, हमने मूल क्लिपिंग को खोजने के लिए 'एनडीटीवी + पुलिस + इंस्पेक्टर + थप्पड़ + प्रदर्शनकारी' शब्दों का उपयोग करके एक यूट्यूब खोज की।

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2:27 वीडियो क्लिपिंग को एनडीटीवी ने 19 अप्रैल, 2013 को चैनल के आधिकारिक यूट्यूब पेज पर पोस्ट किया था।

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समाचार रिपोर्टों के अनुसार, वीडियो में स्वामी दयानंद अस्पताल में इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों के एक समूह को दिखाया गया है जहां बलात्कार पीड़ित पांच वर्षीय बच्ची को भर्ती कराया गया था।

असिसटेंट कमिश्नर, बीएस अहलावत को तक ड्यूटी से निलंबित कर दिया गया जब पीड़ित लड़की के पिता यह खुलासा किया कि लड़की को थप्पड़ मारने की घटना को दबाने के लिए उन्हें रिश्वत की पेशकश की गई है। कथित तौर पर हमला करने के बाद प्रदर्शनकारी को कान में चोट लगी थी।

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टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, आम आदमी पार्टी ने इन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था क्योंकि उन्हें पीड़ित को स्वामी दयानंद अस्पताल ले जाने के विचार का विरोध किया था। उनके मुताबिक बच्चे के मामले को संभालने के लिए वह अस्पताल अच्छी तरह से सुसज्जित नहीं है। प्रदर्शनकारी अस्पताल में थे जब कांग्रेस के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री एके वालिया और सांसद संदीप दीक्षित पीड़ित परिवार से मिलने गए थे।

पांच साल की नाबालिग लड़की को उसके पड़ोसी ने अगवा कर लिया और लगातार यौन शोषण का शिकार बनाया था। प्रदर्शन वाली रात ही उसे दयानंद अस्पताल से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में स्थानांतरित कर दिया गया था।

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