फैक्ट चेक

मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर के गलत आंकड़े सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल

बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि वायरल पोस्ट में मुस्लिमों की प्रजनन दर के 1992-93 के आंकड़े को अन्य धर्म के 2019-2021 के आंकड़े के साथ जोड़ा गया है.

By - Archis Chowdhury | 13 Nov 2024 3:15 PM IST

Fact check of claim of Muslim community producing maximum number of children

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट वायरल है जिसमें धर्म के आधार पर प्रजनन दर के बारे में बताया गया है. साथ ही पोस्ट में प्रजनन दर के आंकड़े का हवाला देते हुए कहा गया है कि देश में जल्द से जल्द 'जनसंख्या नियंत्रण कानून' क्यों जरूरी है.

बूम ने अपनी जांच में पाया कि पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है. इसमें मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर के आंकड़े गलत बताए गए हैं. 

पोस्ट में दावा किया गया है कि भारत में धर्म के आधार पर प्रजनन दर निम्न है:-

हिंदू: 1.94

मुस्लिम: 4:4

सिख: 1:61

ईसाई: 1:88

जैन: 1:6

बौद्ध: 1:39


(पोस्ट का आर्काइव लिंक)

फैक्ट चेक

बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए जब इस पोस्ट के साथ दिए गए आंकड़े की तुलना 2019-2021 की NFHS की रिपोर्ट से की तो हमें इसमें कई विसंगतियां देखने को मिली.

वायरल पोस्ट में हिंदू, सिख, ईसाई, जैन और बुद्ध की प्रजनन दर सही है जबकि मुस्लिमों की प्रजनन दर के आंकड़े के साथ हेर-फेर की गई है. नवीनतम NFHS रिपोर्ट में मुस्लिमों की प्रजनन दर 2.36 बताया गया है.

पांचवी NFHS (2019-22) रिपोर्ट यहां देखें.

NFHS की पुरानी रिपोर्ट देखने के बाद हमने पाया कि वायरल पोस्ट में मुसलमानों के लिए दी गई प्रजनन दर के आंकड़े 1992-93 NFHS के आंकड़े से मेल खाते हैं.

नीचे दी गई तालिका में NFHS की पहली और पांचवीं रिपोर्ट में धर्म के अनुसार प्रजनन दर की तुलना की गई है.



इससे पता चलता है कि वायरल पोस्ट में मुस्लिमों की प्रजनन दर का आंकड़ा NFHS की पहली रिपोर्ट (1992-1993) से लिया गया है जबकि हिंदू, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध की प्रजनन दर का आंकड़ा 2019-2021 के NFHS-5 से लिया गया है और फिर इसे मिलाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.

हालांकि, मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर NFHS-5 में भी अन्य धर्मों की तुलना में अधिक है, लेकिन आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर में सबसे अधिक गिरावट भी आई है.  

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