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फ़ैक्ट चेक

सी.पी.आई द्वारा पुराने प्रदर्शनों की तस्वीरें किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल

दावा है कि तस्वीरें दिखाती हैं कि करीब 250 मिलियन लोग किसान आंदोलन के समर्थन में आये हैं |

By - Debalina Mukherjee | 17 Dec 2020 12:13 PM GMT

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की ट्रेड और वर्कर्स यूनियनों द्वारा पिछले विरोध प्रदर्शनों की चार तस्वीरें सोशल मीडिया पर झूठे दावों के साथ शेयर की जा रही हैं कि किसानों के विरोध (Kisan Andolan) के समर्थन में 250 मिलियन लोग हड़ताल पर चले गए; दावा आगे कहता है कि कैसे मुख्यधारा की मीडिया ने इस पर रिपोर्ट नहीं की है।

ये फ़ोटोज़ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के विरोध (Delhi Chalo march) के दौरान वायरल हैं, जो 17 दिसंबर को अपने 22 वें दिन तक पहुंच गया है।

किसान, सरकार द्वारा पेश किए गए विवादास्पद फार्म बिलों (farm bills) का विरोध कर रहे हैं। प्रत्येक चित्र में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के झंडे के साथ रैली करने और विरोध करने वालों की भारी भीड़ दिखाई देती है।

जी नहीं, यह तस्वीर अयोध्या में निर्मित दिव्य चौराहे की नहीं है

चार तस्वीरों को एक ट्विटर उपयोगकर्ता ज़ेक कार्टर ने ट्वीट किया है, जिन्होंने दावा किया, 'भारत में' 250 * मिलियन * लोग हड़ताल पर हैं। क्रांति टेलीविजन पर प्रसारित नहीं की जाएगी।''

इस ट्वीट पर ट्विटर ने बाद में 'भ्रामक मीडिया' का लेबल लगा दिया | ट्वीट नीचे देखें और इसका आर्काइव्ड वर्शन यहां देखें |


इस ट्वीट का एक स्क्रीनशॉट फ़ेसबुक पर एक दावे के साथ साझा किया जा रहा है जिसमें लिखा है, ''मुझे नहीं लगता कि लोगों को एहसास है कि यह कितना बड़ा है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी के बराबर है, लानत है। '' आर्काइव्ड वर्शन यहां देखें |


हमने फ़ेसबुक पर इसी तरह के दावे के साथ अधिक पोस्ट पाए। इस तरह के एक पोस्ट का कैप्शन है, "पिछले हफ्ते, मानव इतिहास में सबसे बड़ी हड़ताल थी। भारत में 250 मिलियन लोग बेहतर मजदूरी, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, बेहतर श्रम और पेंशन सुरक्षा के लिए हड़ताल पर चले गए। हमने यह कहानी अमेरिकी मुख्यधारा के मीडिया पर क्यों नहीं देखी? ''


फ़ैक्ट चेक

बूम ने इन तस्वीरों को रिवर्स इमेज सर्च कर देखा और पाया की वर्तमान में चल रहे प्रदर्शन का इन फ़ोटोज़ से कोई सम्बन्ध नहीं है | यह तस्वीरें अतीत में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के प्रदर्शनों को दिखाती हैं जो 2018 से 2020 जनवरी तक हुए हैं |

 पहली तस्वीर


इस तस्वीर की पड़ताल में हमें एक पोर्टसाइड नामक ब्लॉग मिला | यह तस्वीर का क्रेडिट एसोसिएटेड प्रेस को दिया गया था | इसके बाद वास्तविक तस्वीर हमनें एसोसिएटेड प्रेस की लाइब्रेरी में मिली जो इस साल 8 जनवरी को ली गयी थी |


पुरानी तस्वीर कांग्रेस द्वारा तोड़फोड़ के फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल

दूसरी तस्वीर


इस तस्वीर को हमनें रिवर्स इमेज सर्च पर किया और हमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता सीताराम येचुरी के ट्वीट मिला जो 11 मार्च, 2018 को किया गया था | उनका ट्वीट कहता है, 'मेक इन इंडिया इन दावोस। मुंबई में भारत के निर्माता। # किसानलॉन्गमार्च # नीरवमोदी ''


हमें इस घटना पर कुछ समाचार रिपोर्टें भी मिलीं। 11 मार्च, 2018 को फ़र्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि किसान लॉन्ग मार्च जो नासिक से मुंबई तक 35,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों के साथ मार्च कर रहा था। ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) द्वारा विरोध रैली का आयोजन किया गया था।


तीसरी तस्वीर


बूम ने गूगल पर एक रिवर्स इमेज सर्च चलाया और फ़ोटो को अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक फ़ोटो संग्रह, गेटी इमेजेज़ की वेबसाइट पर पाया। यह फ़ोटो 8 जनवरी, 2020 को CPIM पार्टी द्वारा की गयी अखिल भारतीय हड़ताल में ली गई थी।


चौथी तस्वीर


यह इमेज भी समान प्रदर्शन से है जो 8 जनवरी 2020 को अमृतसर में हुआ था | यह तस्वीर भी गेट्टी इमेजेज़ की वेबसाइट पर उपलब्ध है |


अडानी-विलमार विज्ञापन के साथ ट्रेन का वीडियो फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल

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