सोशल मीडिया पर NDTV के पत्रकार रवीश कुमार के नाम से लगातार फ़ेक न्यूज़ का एजेंडा वायरल होता रहता है. इस समय एक ऐसा ही फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें एक एक Reporter ज़मीन पर लेटकर रिपोर्टिंग करता दिख रहा है. दावा किया जा रहा है वो पत्रकार रवीश कुमार हैं.
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वायरल तस्वीर में इसके अलावा हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान सेना और तालिबान के संघर्ष में मारे गये रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीक़ी का भी एक फ़ोटो लगा है. इस फ़ोटो के साथ कैप्शन दिया जा रहा है 'दानिश सिद्दीकी के साथ क्या हुआ था ये जानने के लिए खतरों से खेलने वाले पत्रकार को अफगानिस्तान भेजना चाहिए'
BBC की एक ख़बर के मुताबिक 15 जुलाई को अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान से लगी सीमा पर भारत के एक वरिष्ठ फ़ोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीक़ी की अफ़ग़ान सुरक्षाबलों और तालिबानी लड़ाकों के बीच संघर्ष में मौत हो गई थी. दानिश अफ़ग़ानिस्तान के विशेष बल के साथ कंधार प्रांत में तैनात थे जहाँ से वो अफ़ग़ान कमांडो और तालिबानी लड़ाकों के बीच संघर्ष की ख़बरें भेज रहे थे.
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तस्वीर को फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने शेयर करते हुए भ्रामक कैप्शन दिया 'दानिश सिद्दीकी के साथ क्या हुआ था ये जानने के लिए खतरों से खेलने वाले पत्रकार को अफगानिस्तान भेजना चाहिए'
ये तस्वीर फ़ेसबुक पर बिल्कुल इसी दावे के साथ वायरल है, इसे कई अकाउंट्स ने शेयर किया है.
ट्विटर पर भी ये कैप्शन और तस्वीर शेयर की जा रही है.
क्या ये तस्वीर Ravish Kumar की है?
हमने इस इस तस्वीर की सत्यता जानने के लिये इसे गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें NDTV का ही एक वीडियो साल 2013 में अपलोड किया हुआ मिला. इससे ये स्पष्ट हुआ कि ये रिपोर्टर रवीश कुमार नहीं बल्कि NDTV के ही पूर्व पत्रकार रहे फ़याज़ बुख़ारी हैं.
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वीडियो में दरअसल साल 2006 के आर्काइव के कुछ फनी शॉट्स का इस्तेमाल करके एक Bloopers बनाया गया था जिसमें लेटकर रिपोर्टिंग करते फ़याज़ के वीडियो का भी एक हिस्सा शामिल था. इस वीडियो और इससे मिली जानकारी से ये तो स्पष्ट हो गया था कि ये पत्रकार फ़याज़ बुख़ारी हैं और इनका ये वायरल फ़ोटो साल 2006 का है.
थोड़ा और खोजने पर हमें NDTV की ही आर्काइव से 2006 में हुए उस फिदायीन हमले की खबर का एक बुलेटिन मिला. इसमें फ़याज़ की उस वक्त लेटकर रिपोर्टिंग करते हुए तस्वीर हमें मिली.
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बूम ने पहले भी इस तरह के दावे का फ़ैक्ट चेक किया है. तब हमने फ़याज़ बुख़ारी से बात की थी तो उन्होने स्पष्ट किया कि ये उनका ही फ़ोटो है. उन्होंने बताया कि ये 2006 में कश्मीर में कांग्रेस की रैली में हुए एक फ़िदायीन हमले के बाद की रिपोर्टिंग का नजारा था. उन्होंने कहा कि वहाँ उस वक्त हालात ठीक नहीं थे और उनके पास सुरक्षा के पर्याप्त साधन भी नहीं थे इसलिये वो ज़मीन पर लेट गये थे.