सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में ढेर सारे लोग भगवा झंडे लिये हुए तोड़फोड़ और मारपीट करते नज़र आ रहे हैं. वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा कि उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले की लालगंज तहसील में दुर्गा पूजा के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा हुई है.
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दावा ये है कि मुस्लिम समुदाय के दुर्गा पांडाल में तोड़फोड़ करने के बाद हिंदुओं ने उनके घरों में तोड़फोड़ की.
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने इसे शेयर करते हुए कैप्शन लिखा 'प्रतापगढ़ जिले के लालगंज कस्बे में दुर्गा पूजा के पंडाल में घुस कर मुस्लिम समुदाय के लोगो ने पूजा बंद करवा दी और मां दुर्गा का पताका निकाल कर फेंक दिया, उसके बाद हिंदू संगठन सक्रिय हो गए, एक एक मुस्लिम को उनके घरों से निकाल कर बुरी तरह पीटा, मस्जितों के झंडे उखाड़ कर फेंक दिए गए!
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फ़ेसबुक पर ये वीडियो प्रतापगढ़ से जोड़कर बिल्कुल इसी दावे के साथ ख़ूब वायरल है
ट्विटर पर भी ये वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
फ़ैक्ट-चेक
वीडियो को बहुत ध्यान से देखने पर बूम ने पाया कि इसमें दिख रही गाड़ियों के नंबर प्लेट छत्तीसगढ़ के नज़र आ रहे हैं. वीडियो के एक हिस्से में दिख रही गाड़ी का नंबर भी स्पष्ट दिख रहा था.
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बूम ने इस गाड़ी की डीटेल निकाली तो पाया कि ये गाड़ी मारुति ओमनी वैन, छत्तीसगढ़ के रायपुर के आरटीओ ऑफिस में रजिस्टर्ड है. इससे ये स्पष्ट हुआ कि संभवत: ये वीडियो छत्तीसगढ़ का है.
कीवर्ड सर्च करने पर हमने पाया कि उत्तर प्रदेश पुलिस की फ़ैक्ट चेक टीम के ट्विटर हैंडल से इस वीडियो को लेकर एक ट्वीट किया गया है जिसमें इसे भ्रामक बताया गया है. ट्वीट में लिखा है 'दिनांक 05.10.2021 को कवर्धा, छत्तीसगढ़ में हुई घटना को भ्रामक रूप से उ०प्र० प्रतापगढ़ की घटना के रूप में दुष्प्रचारित किये जाने के सम्बन्ध में @pratapgarhpol द्वारा खण्डन कर मुकदमा पंजीकृत किया गया है।'
बूम ने वायरल पोस्ट में किये जा रहे दावे के अनुसार प्रतापगढ़ के लालगंज थाने में भी संपर्क किया. लालगंज थाना इंचार्ज कमलेश पाल ने बूम को बताया कि ये वीडियो सरासर फ़र्ज़ी है ऐसी कोई भी घटना लालगंज में नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि लालगंज में दुर्गा पूजा का त्योहार बहुत सौहार्दपूर्ण तरीक़े से मनाया जा रहा है.
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पुलिस के मुताबिक़ जिस व्हाट्सएप ग्रुप के तहत ये वीडियो वायरल हुआ है उसके एडमिन के के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर नंबर सर्विलांस पर भेजा जा चुका है. प्रतापगढ़ पुलिस ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इस दावे का खंडन किया है और इसे कवर्धा, छत्तीसगढ़ में हुई हिंसा का वीडियो बताया है.
दैनिक जागरण की एक खबर में भी इस वीडियो के बारे में लिखा है कि ये भ्रामक है और पुलिस संबंधित व्यक्ति के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई कर रही है. बूम को Naya Bharat वेबसाइट की 5 October 2021 की एक खबर मिली जिसमें छत्तीसगढ़ के कवर्धा में हुई हिंसा से संबंधित तस्वीरें थीं. उन तस्वीरों में से एक इस घटना की भी है.
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कवर्धा में क्या हुआ था?
न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक़ झंडा लगाने को लेकर उपजे एक विवाद में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हुईं जिसमें बाद में दक्षिणपंथी समूहों ने कई जगह गाड़ियों और घरों में तोड़फोड़ की थी. बाद में ज़िला प्रशासन ने इलाक़े में धारा 144 लगाकर लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की थी.
बूम को बिल्कुल यही वीडियो फ़ेसबुक पोस्ट पर भी मिलें जो 5 October 2021 इस दावे के साथ शेयर किये गये थे कि ये छत्तीसगढ़ के कवर्धा में हुई हिंसा के वीडियो हैं.
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