इंदौर का एक वीडियो जिसमें पुलिस कर्मचारी सड़क पर गिरे करन्सी नोट उठाते दिखायी दे रहे हैं, झूठे दावों के साथ वायरल किया जा रहा है। इस घटना को साम्प्रदायिक रूप देकर ऐसा कहा जा रहा है की नोट कोरोनावायरस फ़ैलाने हेतु फ़ेंके गए थे।
इंदौर पुलिस ने बूम को बताया की पैसे जानबूझकर नहीं बल्कि गलती से एक डिलीवरी करने वाले व्यक्ति की जेब से गिर गए थे | इस शख़्स ने क़ुबूल भी किया की साइकल चलाते समय उसकी जेब से वह पैसे गिरे हैं। इस 1.18 मिनट लम्बे वीडियो में पुलिस कर्मचारी ग्लव्स पहनकर लकड़ियों से गिरे हुए पैसे उठाकर प्लास्टिक बैग में रखते हैं और उनके आस पास भीड़ जमा हो जाती है।
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इस वायरल वीडियो का कैप्शन कहता है की 'नए तरीक़ों से वाइरस फैलाने का काम केवल एक मात्र स्त्रोत कर सकता है। इस नयी तकनीक में करन्सी नोट फेंको और पुलिस आपको कभी नहीं पकड़ पाएगी।' इस कैप्शन में 'एक मात्र स्त्रोत' मुसलमान समुदाय की ओर इशारा करते हुए कहता है की वह लोग कोविड-19 जानबूझकर फ़ैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस कैप्शन से सर्च करने पर पता चला की यह वीडियो ऐसे ही झूठे दावों के साथ फ़ैलाया जा रहा है।
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फ़ैक्ट चेक
बूम को कई न्यूज़ रिपोर्टस मिली जिनमें कहा गया था कि घटना इंदौर, मध्य प्रदेश में 16 अप्रैल 2020 को हुई थी। लावारिस पड़े करन्सी नोट्स देखकर आस पास के रहवासी बौखला गए थे।
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, 17 अप्रैल 2020, की एक रिपोर्ट के मुतबिक 500, 200, 100, 50 और 10 रूपए के नोट एक मध्यम वर्गीय इलाक़े की सड़क के बीच में बिखरे हुए मिले। यह देखकर निवासियों ने इंदौर म्यूनिसिपल कोर्पोरेशन को सूचना दी जिसके पश्चात आई.एम.सी की टीम व हीरा नगर के पुलिस कर्मचारियों ने वहाँ घेराबंदी लगाकर ध्यान से नोटों को उठाया। वीडियो में साफ़ दिखायी पड़ता है की पुलिस मास्क एवं ग्लव्स पहनकर लकड़ियों से नोट उठकर प्लास्टिक की बैग में रख रहे थे।
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बूम ने हीरा नगर पुलिस थाने के प्रभारी राजीव भडोरिया से सम्पर्क किया तो पता चला की राम नरेंद्र यादव नामक एक व्यक्ति उन नोटों को अपना बताकर सामने आया है। घटना के बाद फ़ैलती घबराहट देखकर यादव पुलिस के पास अपने पैसे लेने पहुँचा। भडोरिया का कहना है कि "हमने घटना स्थल की सी सी टी वी फ़िल्म देखकर पुष्टि की है कि पैसे, कुकिंग गैस सिलेंडर की साइकल पर डिलीवरी करने वाले एक व्यक्ति की जेब से गिरे थे। वह व्यक्ति (यादव) अपने पैसे लेने सामने आया है और सभी औपचारिकताओं की पूर्ति पर उसे उसके पैसे लौटा दिए जाएँगे।"
यह क्लिप भारतीय मुसलमानों को जानबूझकर नोवेल कोरोनावायरस फैलाने के लिए निशाना बनाने वाले कथन में जुड़ता हुआ एक नया उदाहरण है। इसकी शुरुआत तब हुई जब एक इस्लामी संप्रदाय - तबलिग़ी जमात - के कई सदस्य कोरोनावायरस पॉज़िटिव टेस्ट हुए और कई राज्यों में अचानक संकर्मित लोगों की संख्या बढ़ाने का कारण बने।
इस लेख के लिखते समय तक, मध्य प्रदेश में 1,500 पॉज़िटिव मामले व 74 लोगों की कोविड-19 से मृत्यु हुई है।
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