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अफ़वाहों के चलते पालघर में भीड़ ने की तीन लोगों की हत्या

बूम ने पालघर पुलिस से सम्पर्क कर इस घटना में किसी भी तरह के साम्प्रदायिक कोण ना होने की पुष्टि की है

By - Swasti Chatterjee |
Published -  20 April 2020 8:31 PM IST
  • अफ़वाहों के चलते पालघर में भीड़ ने की तीन लोगों की हत्या

    महाराष्ट्र के पालघर ज़िले में गुरुवार की रात को तीन लोगों की लिंचिंग हुई जिनमें एक 70 साल का वृद्ध व्यक्ति भी था । यह घटना गडकचिंचले नामक गाँव में हुई जो कासा पुलिस की सीमा में आता है। यह इलाका आदिवासी समुदायों का है। बूम ने लोकल पुलिस से बात कर पता लगाया की यह कोई साम्प्रादायिक हमला नहीं था |

    तीनों लोग उस रात किसी के अंतिम संस्कार के लिए इस गाँव से होकर सूरत जा रहे थे । उनके चोर होने के संदेह के चलते क़रीब 200 लोगों के सशस्त्र झुंड ने उन पर हमला कर दिया । उन पर पत्थर फेंके गए और लकड़ियों से मारा गया जिसके पश्चात चोटों के कारण उनकी मौत हो गयी।

    बूम ने पालघर के पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह से बात की जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि कुछ समय से अफ़वाहें चल रही थीं की कुछ लोग आस पास के आदिवासी गांवों को लूट रहे हैं । कई गाँव वालों ने अपने आस पड़ोस में नज़र रखने के लिए झुंड तैनात करने शुरू किया थे । सिंह के मुताबिक़ "इन्ही नज़र रखने वाले झुंड ने उन यात्रियों को देखा और उन्होंने गाँववालों को चौकन्ना कर दिया।"

    यह भी पढ़ें: अफ़वाहों के कारण इमाम के क्वॉरंटीन के ख़िलाफ़ विरोध: उत्तराखंड पुलिस

    इस हमले के कई परेशान कर देने वाले वीडियो सामने आए हैं जिनमें यात्रियों पर पत्थर फ़ेंकते और लाठियों से हमला करती हुई भीड़ नज़र आ रही है । सामने आए वीडियो में वृद्ध साधु पर क्रूर हमला होता है किंतु उन्हें एक लोकल पुलिस कर्मचारी बचा लेता है । बाद में सशस्त्र भीड़ साधु व मौके पर मौजूद पुलिस पर हमला कर देती है। पालघर पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है।

    इस घटना की कई वीडियो क्लिप ऑनलाइन वायरल होने पर लोगों का पुलिस प्रशासन की ओर ग़ुस्सा दिखा। उनके मुताबिक़ यात्रियों की रक्षा हेतु पुलिस द्वारा पर्याप्त प्रयत्न नहीं किए गए । किंतु वीडियो में यह भी साफ़ दिख रहा है की लोगों की भीड़ पुलिस कर्मचारियों से संख्या एवं शस्त्रों में कई ज़्यादा थी।

    बाद में हमले का शिकार हुए तीनों लोगों की पहचान करने पर पता चला की उनमें से दो साधु थे - सुशील गिरी महाराज (35), और चिकाने महाराज कल्पवृक्षगिरी (70) और तीसरा उनका ड्राइवर - निलेश तेलगने (35) था। तीनों की गम्भीर चोटों के कारण मृत्यु हो गयी। इस घटना से जुड़े भीड़ में मौजूद 110 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है जिन में से 9 नाबालिग़ हैं।

    यह भी पढ़ें: वेबसीरीज की क्लिप लॉकडाउन के चलते मंदिर में पुलिसकर्मी की पिटाई के रूप में हुई वायरल

    सांप्रदायिक नहीं था हमला: पुलिस

    पुलिस ने यह साफ़ कर दिया है कि हमला साम्प्रदायिक कारणों की वजह से नहीं हुआ है | पालघर के कई इलाक़ों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं | नीचे कुछ ट्वीट्स दिखाए गए हैं जो यह झूठा दावा करते हैं की हमला साम्प्रदायिक कारणों से हुआ। जब आस पास के शहरों से लॉकडाउन के कारण प्रवासी मज़दूरों को काम ना मिलने की ख़बरें आयीं तभी गांवों में इन्हीं प्रवासी मज़दूरों द्वारा लूट की अफ़वाहें फैलने लगी।


    फ़िल्ममेकर अशोक पंडित ने गलत तरीके से तीनों मृतकों को साधू बताया, उनके ट्वीट का आर्काइव्ड वर्शन यहाँ देखें|


    "आदिवासी समुदाय के लोग इन अफ़वाहों के चलते घबरा गए थे, क्यूँकि इन्हें मौखिक रूप से फ़ैलाया जा रहा था। हमने व्हाट्सएप्प मेसजेज़ एवं ऑडीओ के माध्यम से इनको रोकने की कोशिश की," सिंह ने कहा । उन्होंने हमें दो वाइरल ऑडीओ फ़ॉर्वर्ड्ज़ भी दिखाए जो उनके मुताबिक लिंचिंग की घटना से पूर्व बनाए गए थे । इनमें गाँववालों से कहा गया है कि ऐसी अफ़वाहों को ज़्यादा बढ़ाया ना जाए और लोकल पुलिस कर्माचारियों से सम्पर्क किया जाए।

    ऐसी घातक घटना दूसरी बार हुई है । द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे ही संदेहों के चलते कासा के एक पुलिस कर्मचारी और थाने के एक स्किन डॉक्टर को पत्थरों से आदिवासियों ने अप्रैल 14 को घायल कर दिया था।

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    LynhingPalgharFact CheckFake newsCOVID-19 lockdownPan India lockdownCoronavirus
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    Claim :   वायरल वीडियो दावा करता है की मुस्लिमों की भीड़ ने महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओ को पीट पीट कर मार डाला
    Claimed By :  Facebook
    Fact Check :  False
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