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मतदाता सूची में 48 बच्चों का एक पिता होने के दावे का सच क्या है? यहां जानिए

बूम ने पाया कि यह सूची वाराणसी के नगर निगम चुनाव 2023 के दौरान की है. यहां स्थित राम जानकी मठ मंदिर में रहने वाले शिष्यों के आगे उनके पिता की जगह गुरु का नाम लिखा गया.

By -  Rohit Kumar |

13 Aug 2025 5:49 PM IST

सोशल मीडिया पर एक मतदाता सूची वायरल है, जिसमें दिखाया गया कि 50 बच्चों के पिता का नाम एक ही राजकमल दास  है.

बूम ने जांच में पाया कि यह मतदाता सूची 2023 की वाराणसी नगर निगम चुनाव के दौरान की है. सूची में मतदाताओं का पता वाराणसी के राम जानकी मठ मंदिर का है, जिसके महंत स्वामी रामकमल दास वेदांती जी हैं. सूची में मठ के शिष्यों के नाम हैं. यहां की परपंरा के अनुसार मठ के गुरू (महंत) ही शिष्यों के पिता कहलाते हैं और सभी डॉक्यूमेंट में भी पिता के रूप में गुरु का नाम ही लिखा जाता है.

सोशल मीडिया पर क्या है वायरल ?

एक्स पर एक यूजर ने इस सूची को शेयर करते हुए लिखा, 'चुनाव आयोग का कहना है कि सैंतीस साल पहले राजकमल दास एक ही साल में 11 बच्चों का पिता बना, इस बात पर तुम्हें यकीन नहीं है तो हलफनामा दो.'

फेसबुक पर एक यूजर ने इस सूची को शेयर करते हुए लिखा, 'ये वाराणसी है, 50 बच्चों के पिता का नाम राजकमल दास. सबसे छोटा बेटा राघवेंद्र 28 साल का और सबसे बड़ा बेटा बनवारी दास 72 साल का.'

पड़ताल में क्या मिला:

बूम ने पड़ताल के लिए दावे से संबंधित कीवर्ड से गूगल पर सर्च किया तो पाया कि यह सूची दो साल पुरानी है और यह मामला वाराणसी के नगर निगम चुनाव के दौरान का है.

हमें मई 2023 की कई मीडिया रिपोर्ट मिलीं, जिनमें बताया गया कि वाराणसी नगर निगम चुनाव के दौरान एक ही पते बी24/19 के अंतर्गत 48 मतदाताओं के पिता का एक ही नाम 'राजकमल दास' दर्ज होने का मामला सामने आया था.

एबीपी न्यूज की 5 मई 2023 की रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में वार्ड नम्बर 51 (भेलूपुर) की मतदाता सूची में रामकमल दास के नाम पर 43 से भी अधिक बेटों का रिकॉर्ड दर्ज होने के कारण सोशल मीडिया व राजनीतिक हलकों में विवाद पैदा हो गया था.

दरअसल B24/19 वाराणसी के राम जानकी मठ मंदिर का पता है, स्वामी रामकमल दास वेदांती इसके महंत हैं. दैनिक जागरण की रिपोर्ट में मठ प्रबंधक रामभरत शास्त्री के हवाले से बताया गया कि गुरु-शिष्य संत परंपरा में जुड़ने के बाद शिष्यों का नाम बदल दिया जाता है और पिता के नाम के स्थान पर गुरु का नाम लिखा जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट में अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती के हवाले से लिखा गया कि उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत गुरु शिष्य परंपरा में शिष्य का स्थान भी पुत्र जैसा होता है. डॉ. राम कमल दास वेदांती आश्रम के मतदाता हैं, इसलिए उनके शिष्य भी उसी आधार पर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं.

हमने उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट को भी देखा. वेबसाइट में शेयर की गई वाराणसी नगर निगम 2023 के चुनाव के दौरान की वार्ड संख्या 51 (भेलूपुर) की मतदाता सूची में B-24/19 के पते पर कुल 51 मतदाताओं के नाम दर्ज किए गए हैं. इनमें से 48 मतदाताओं के पिता के नाम के रूप में रामकमल दास का नाम ही लिखा गया है. 

हमें एक्स पर रामकमल दास को 48 मतदाताओं के एक पिता के रूप में दिखाने वाली वायरल सूची के संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी का 12 मार्च 2025 का एक स्पष्टिकरण पोस्ट भी मिला. इसमें भी बताया गया कि धार्मिक मठ या आश्रम के मामले में, इसमें रहने वाले व्यक्तियों या संन्यासियों की पहचान उनके पिता के बजाय उनके गुरु के नाम से की जाती है.

अधिक स्पष्टिकरण के लिए हमने वाराणसी के राम जानकी वेदांती मठ से संपर्क किया. मठ के प्रबंधक रामभरत शास्त्री ने बूम को बताया, "वायरल सूची में दिख रहे लोगों के नाम मठ के शिष्यों के हैं. मठ की परंपरा के अनुसार गुरु-शिष्य परंपरा में जुड़ने के बाद शिष्यों के पिता के नाम के स्थान पर गुरु का नाम ही लिखा जाता है."

रामभरत शास्त्री ने हमें बताया, "ऐसे शिष्य जो घर परिवार छोड़कर हमेशा के लिए मठ आते हैं और आजीवन मठ में रहते हैं वो गुरु को ही अपना पिता मानते हैं. उनकी मार्कशीट और अन्य सभी तरह के डॉक्यूमेंट में भी पिता के रूप में गुरु का नाम ही लिखा जाता है."

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