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फैक्ट चेक

नमाज़ पढ़ते प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस का वीडियो फ़्रांस का नहीं है

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो क्लिप आठ साल पुरानी है, वीडियो फ़्रांस का नहीं बल्कि तुर्की का है

By - Anmol Alphonso | 30 Oct 2020 2:41 PM IST

करीब आठ साल पुरानी वीडियो क्लिप जिसमें तुर्की पुलिस को एक प्रदर्शन के दौरान नमाज़ अदा करते हुए प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया है, फ़र्ज़ी दावे के साथ शेयर की जा रही है | दावा किया जा रहा है कि फ़्रांस में सड़क पर नमाज़ अदा करने पर फ़्रांसीसी पुलिस द्वारा हमला किया गया था |

वीडियो क्लिप को फ़्रांस में एक शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या की पृष्ठभूमि में शेयर किया जा रहा है। 16 अक्टूबर 2020 को चेचन मूल के एक कट्टरपंथी ने क्लास में पैग़म्बर मुहम्मद का कार्टून दिखाने पर स्कूल के बाहर शिक्षक का सिर कलम कर दिया था।

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (Emmanuel Macron) ने Free Speech का बचाव करते हुए इस्लामवादियों की आलोचना की थी और पैग़म्बर मुहम्मद के कार्टून के चित्रण पर 'रोक ना' लगाने का समर्थन किया था | इसके बाद अरब देशों सहित तमाम मुस्लिम देश के लोगों ने सोशल मीडिया पर फ़्रांस के उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील शुरू कर दी।

क्या पाकिस्तान की संसद में 'मोदी मोदी' के नारे लगाए गए ?

1.15 मिनट की क्लिप को एक यूज़र ने शेयर करते हुए लिखा कि "फ्रांस की सरकारी इमारतों में शार्ली एब्दो के कार्टून दिखाने के बाद और फ़्रांस में भी सिटीजनशिप कानून बनाने के विरोध में शांतिदूतों नें शाहीन बाग बनाने का प्रयास किया। पर देखिए फ़्रांस के शाहीन बाग का क्या हाल किया गया। काश दिल्ली पुलिस सीख पाती! भारत सरकार भारत की पुलिस को फ्रांस से सीखने की जरूरत है इन लोगों को किस तरीके से समझाया जाता है शिक्षा कभी भी ग्रहण की जा सकती है उम्र की पाबंदी नहीं होती।"

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पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें। 

फ़ेसबुक पर वायरल 

फ़ेसबुक पर उसी कैप्शन के साथ सर्च करने पर हमें बड़े पैमाने पर वायरल पोस्ट मिले।


फ़र्ज़ी: सूडान में जर्मन एम्बेसी पर 2012 के हमले को फ़्रेंच एम्बेसी से जोड़ा

फ़ैक्ट चेक 

वायरल वीडियो के की-फ़्रेम को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च करने पर हमें तुर्की वेबसाइटों में कई लेख मिले, जिनमें वायरल वीडियो की घटना से जुड़ी तस्वीरें मिली। एक लेख में कहा गया कि घटना तुर्की के युक्सेकोवा में हुई थी।

Haberturk की 9 नवंबर, 2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाईस्कूल के छात्रों के एक समूह ने युक्सेकोवा (Yüksekova) में केंगिज टॉपेल स्ट्रीट (Cengiz Topel Street) पर जेलों में चल रहे भूख हड़ताल पर ध्यान आकर्षित करने के लिए धरना आयोजित किया था।

इसमें आगे कहा गया है कि छात्र पीकेके (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी) के पक्ष में नारे लगा रहे थे, हाथों में झंडे लिए हुए थे और पुलिस की चेतावनी के बावजूद सड़क से नहीं हट रहे थे, जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया।


हमें 12 नवंबर 2012 को अपलोड किया गया वही वायरल वीडियो मिला, जिसमें तुर्की से अनुवादित किए गए विवरण में लिखा गया है, "हक्करी के युक्सेकोवा जिले में 'जुमे की नमाज़' के दौरान हुई घटनाओं ने उन लोगों को मुश्किल स्थिति में डाल दिया।"

प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के हमले की घटना को वास्तविक वीडियो में देखा जा सकता है, वायरल वीडियो जैसी घटना जिसे अब शेयर किया जा रहा है।

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वायरल क्लिप के साथ इस 2012 क्लिप की तुलना करने पर, हमने पाया कि दोनों समान हैं। दोनों क्लिप में दृश्य बिल्कुल मेल खाते हैं।


बूम पहले भी पेरिस में फ़्रांसीसी शिक्षक की हत्या से जुड़ी फ़र्ज़ी ख़बरों का खंडन कर चुका है जिसमें असंबंधित वीडियो और तस्वीरों को झूठे दावों के साथ शेयर किया गया था।

महिला के साथ मारपीट का वीडियो यूथ कांग्रेस ने फ़र्ज़ी दावे के साथ शेयर किया

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