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फैक्ट चेक

किसानों पर वाटर कैनन से किये प्रहार की पुरानी तस्वीरें हाल की बता कर वायरल

बूम ने पाया कि दिल्ली चलो विरोध की पृष्ठभूमि में कई कांग्रेस नेताओं द्वारा शेयर की गई यह तस्वीर 2018 की है।

By - Sumit | 27 Nov 2020 6:16 PM IST

दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का उपयोग करती पुलिस को दिखाती हुई 2018 की पुरानी तस्वीरें 26 नवंबर, 2020 को हरियाणा के किसानों द्वारा आयोजित 'दिल्ली चलो' मार्च की पृष्ठभूमि में कई सत्यापित ट्विटर हैंडल और फ़ेसबुक पेज द्वारा शेयर की गई हैं।

बूम ने पाया कि यह तस्वीर मूल रूप से 2018 की है जब पुलिस ने 2 अक्टूबर को दिल्ली-यूपी सीमा पर बैरिकेड तोड़ने और दिल्ली में घुसने की कोशिश कर रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन और आंसू-गैस के गोले दागे थे। ये किसान भारतीय किसान यूनियन से जुड़े थे (टिकैत समूह), 23 सितंबर, 2018 को हरिद्वार से शुरू हुई किसान क्रांति यात्रा में भाग ले रहे थे।

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पंजाब के किसानों द्वारा आयोजित 'दिल्ली चलो' मार्च की पृष्ठभूमि में तस्वीर शेयर की जा रही है। केंद्र सरकार के कृषि कानून के बारे में और पढ़ें।

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तस्वीर को इमरान प्रतापगढ़ी, विजेंद्र सिंह और अनिल चौधरी सहित कई कांग्रेस नेताओं के ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने 26 नवंबर को कैप्शन के साथ तस्वीर को ट्वीट किया, जिसमें लिखा है कि 'मोदी सरकार किसानों से इतना डरती क्यों है?'

पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें 

इसी तरह, कांग्रेस नेता और शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने उसी तस्वीर को शेयर किया और कैप्शन में लिखा, "कंटीले तारों से, पानी की बौछारों से, तूफ़ान नहीं रुकने वाला, ये किसान नहीं रुकने वाला।"

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उसी तस्वीर को भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) के सत्यापित हैंडल ने भी शेयर किया और कैप्शन में लिखा कि "इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि संविधान दिवस के अवसर पर किसानों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।"

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आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने वायरल तस्वीर को ट्वीट किया।

तस्वीर को ध्रुव राठी और विजेंदर सिंह सहित कई फ़ेसबुक यूज़र्स ने बड़ी तादाद में शेयर किया है।

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फ़ैक्ट चेक 

बूम ने वायरल तस्वीर को रिवर्स इमेज पर सर्च किया तो 2 अक्टूबर 2018 को द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट में उसी तस्वीर को पाया।


द हिन्दू के इस लेख में कहा गया कि किसानों और पुलिस के बीच गतिरोध 2 अक्टूबर, 2018 को गाजीपुर में यूपी-दिल्ली सीमा पर हुआ। लेख के अनुसार, 'पुलिस ने भारतीय किसान यूनियन (टिकैत समूह) से जुड़े हजारों किसानों को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन और आंसू-गैस के गोले दागे, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने के लिए बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की थी।'

भारतीय युवा कांग्रेस द्वारा ट्वीट की गयी तस्वीर को रिवर्स इमेज पर सर्च करने पर हमें यह तस्वीर 2018 की कई मीडिया रिपोर्ट्स मिली। यह तस्वीर दिल्ली-यूपी सीमा पर पुलिस और किसानों के बीच गतिरोध पर दूसरे कोण से क्लिक की गई थी।

सभी न्यूज़ रिपोर्ट्स में इस तस्वीर के लिए वायर एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को श्रेय दिया है हमने पीटीआई की वेबसाइट पर तस्वीर की तलाश की और पाया कि इसे 2 अक्टूबर, 2018 को अपलोड किया गया।

तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है कि 'नई दिल्ली में किसान क्रांति पदयात्रा के दौरान दिल्ली-यूपी सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। पीटीआई फ़ोटो/रवि चौधरी'।

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गौरतलब है कि 26 नवंबर को पुलिस ने पंजाब के किसानों पर लाठीचार्ज किया, जो 'दिल्ली चलो' मार्च के तहत राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ रहे थे। किसानों को रोकने के लिए पंजाब-हरियाणा को जोड़ने वाली शंभू सीमा को बंद कर दिया गया।

हरियाणा पुलिस ने 26 नवंबर को स्वराज अभियान के संस्थापक सदस्य राजनेता योगेंद्र यादव को भी हिरासत में ले लिया।

न्यूज़ रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग 10 पर राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश बिंदुओं के माध्यम से यात्रा करने के ख़िलाफ़ एडवाइज़री भी जारी की है।

26 नवंबर को नवभारत टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-हरियाणा सीमा के पास किसानों के विरोध प्रदर्शन पर पुलिस ने वाटर कैनन और आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने बैरिकेड्स पर पथराव किया और पुलिस बैरिकेड्स को उठाकर नदी में गिरा दिया।

एनडीटीवी ने करनाल से दिल्ली चलो मार्च के दृश्य ट्वीट किए जिसमें हरियाणा पुलिस को किसानों पर वाटर कैनन चलाते देखा जा सकता है।

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