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सीएए का समर्थन करने वाला यह शख़्स हैदराबाद का निज़ाम नहीं हैं

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो में मौजूद शख़्स विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेता आचार्य धर्मेंद्र है।

By - Anmol Alphonso | 28 Jan 2020 6:04 PM IST

नागरिकता संशोधन अधिनियम ( सीएए) का समर्थन करते और मुसलमानों और असदुद्दीन ओवैसी की आलोचना करते हुए एक विश्व हिंदू परिषद् के नेता का वीडियो ग़लत दावे के साथ वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि वीडियो में दिखाई देने वाला शख़्स हैदराबाद का वर्तमान निज़ाम है।

वायरल क्लिप में एक बुजुर्ग व्यक्ति को सीएए के बारे में बात करते हुए दिखाया गया है और इसे "भारत को अस्थिर करने के लिए कम्युनिस्टों और मुसलमानों द्वारा एक साजिश" बताया जा रहा है। इसके साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है, "सीएए पर वर्तमान हैदराबाद निज़ाम की राय।"

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देखने के लिए यहां क्लिक करें और अर्काइव के लिए यहां देखें

यही वीडियो एक कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसमें लिखा है,"कृप्या हैदराबाद के वर्तमान निज़ाम को सुनें और सुने ओवेसी भाइयों और कम्युनिस्टों के बारे में उनकी राय। "

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यह भी पढ़ें: सीएए का समर्थन करने पर बीजेपी के इनायत हुसैन पर हुआ हमला? फ़ैक्ट चेक

फ़ैक्ट चेक

बूम यह पता लगाने में सक्षम था कि वायरल वीडियो में दिखाई देने वाला शख़्स हैदराबाद के निज़ाम नहीं बल्कि विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का नेता आचार्य धर्मेंद्र है।

हमने वीडियो को की-फ्रेम में तोड़ा और रूसी खोज इंजन यैंडेक्स का इस्तेमाल करते हुए एक रिवर्स इमेज सर्च चलाया। हम 7 फरवरी, 2018 को अपलोड किए गए एक यट्यूब वीडियो तक पहुंचे जिसमें बताया गया था कि वह वीएचपी के आचार्य धर्मेंद्र हैं।

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हमने वायरल वीडियो में दिखाई देने वाले शख़्स के चेहरे की की तुलना 2018 में साक्षात्कार दिए धर्मेंद्र के साथ की और पाया कि दोनों मेल खाते हैं।

इसके अलावा, वायरल वीडियो में 'यूथ मीडिया टीवी' का लोगो देखा जा सकता है। हमने यूट्यूब पर इसकी खोज की और इस चैनल पर पोस्ट किए गए मूल वीडियो का पता लगाया। वीडियो को 2 जनवरी, 2020 को अपलोड किया गया था, जिसके साथ दिए गए कैप्शन में लिखा था, "आईआईटी कानपुर में आज लगे नारे, क्या देश का माहौल ख़राब किया जा रहा है? आई.आई.टी-कानपूर फैज़ पोएम न्यूज़ टुडे।'

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इसी वीडियो को पहले द क्विंट ने 23 जनवरी, 2020 को ख़ारिज किया। तब इसे यह बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के भाई द्वारा सीएए का समर्थन करने की ग़लत जानकारी के साथ फैलाया गया था।

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