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फैक्ट चेक

जयपुर निष्काशन अभियान का वीडियो, एनआरसी के तहत कार्यवाही के तौर पर वायरल

बूम ने पाया कि वीडियो अगस्त 2019 का है, जब राजस्थान के जयपुर में स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण हटाने का विरोध किया था।

By - Saket Tiwari |
Published -  20 Jan 2020 2:50 PM IST
  • जयपुर निष्काशन अभियान का वीडियो, एनआरसी के तहत कार्यवाही के तौर पर वायरल

    राजस्थान के जयपुर में अतिक्रमण करने वालों से बहस और हाथापाई का पुलिसकर्मियों का एक वीडियो फिर से झूठे दावे के साथ सामने आया है। दावा किया जा रहा है कि फुटेज असम का है, जहां नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के परिणामस्वरुप लोगों को उनके घरों से बेदखल कर दिया है।

    वीडियो में पुलिसकर्मियों का विरोध करते पुरुषों और महिलाओं को घसीटते हुए दिखाया गया है।

    यह भी पढ़ें: क्या बीजेपी विधायक ने की राजनाथ सिंह से सी.ए.ए-एन.आर.सी वापसी की मांग?

    21 सेकंड के लंबे वायरल फुटेज के साथ कैप्शन में लिखा गया है, "एनआरसी की शुरुआत असम में हुई है। लोगों को उनके घरों से निकाला जा रहा है। मीडिया यह नहीं दिखाता है, उन्हें बेचा जा रहा है इसलिए यह वीडियो साझा करना अब हमारी जिम्मेदारी है।" यह वीडियो एनआरसी कहानी के साथ फेसबुक पर वायरल है।

    द हिंदू में एक रिपोर्ट के अनुसार, असम के लिए एनआरसी पिछले साल 31 अगस्त को प्रकाशित हुई थी और इसमें 19,06,657 लोगों को शामिल नहीं किया गया था। 3,30,27,661 आवेदकों में से, कुल 3,11,21,004 नाम शामिल किए गए थे|

    ऐसा ही फुटेज इंस्टाग्राम पर भी वायरल है।

    View this post on Instagram

    NRC started in Assam. They have begun evicting people from their homes. The media doesn't show it, they are being sold so it is our responsibility now to share this video.

    A post shared by Abdul N (@abduln9737) on Jan 18, 2020 at 7:51am PST

    फ़ैक्ट चेक

    बूम यह पता लगाने में सक्षम था कि वीडियो असम का नहीं है, क्योंकि पुलिस की वर्दी पर देखा गया प्रतीक चिन्ह असम पुलिस से मेल नहीं खाता है।


    हमने तब वीडियो को मुख्य फ़्रेमों में तोड़ा और रूसी खोज इंजन यैंडेक्स पर एक रिवर्स इमेज सर्च चलाया। हम उस वीडियो तक पहुंचे जो पिछले साल 2 अगस्त को ट्विटर पर अपलोड किया गया था। यूज़र ने पहचाना कि यह घटना राजस्थान के जयपुर में हुई थी।

    वायरल वीडियो:: ये है हमारी #Police #Jaipur #Jda Police का यह वीडियो जरूर देख ले. @ashokgehlot51 @SachinPilot @RajGovOfficial pic.twitter.com/V5wC6JHXEH

    — Surendra Bagwara Suri (@surendrasuri) August 2, 2019

    एक कस्टम रेंज्ड टाइम फ़िल्टर और एक प्रासंगिक कीवर्ड खोज के बाद, हम एक और ट्वीट तक पहुंचे जिसमें यह वीडियो शामिल था। ट्वीट के विवरण के अनुसार, घटना सामरिया रोड, कानोता (जयपुर) में हुई, जहां पुलिस ने अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया था।

    370 धारा पर लोग मोदी मोदी चिल्ला रहे है और पूरे भारत मे दलितों के , गरीबो और आदिवासियों के घर तोड़े जा रहे हैं ज़मीनों पर कब्जा किया जा रहा है !
    यह वीडियो सामरिया रोड कानोता जयपुर की है ! पुलिस Jcp मशीन लाकर घर तोड़ रही हैं !इन पुलिस बालो को तुरन्त नौकरी से बर्खास्त किया जाए ! pic.twitter.com/7Nm2wggJ2C

    — Bharat Prabhat Party (@sarchana1016) August 7, 2019

    दरअसल, जयपुर पुलिस ने हिंदी दैनिक पत्रिका की एक ख़बर के साथ उसी ट्वीट का जवाब दिया था।लेख के अनुसार, वीडियो अतिक्रमण विरोधी अभियान का हिस्सा है जिसे जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने पिछले साल अगस्त में शुरू किया था। पुलिस ने दीवारों को ध्वस्त कर दिया जो अवैध रूप से ड्राइव के तहत अनुमेय सीमा से परे बनाई गई थीं। लेख में यह भी कहा गया है कि लोगों ने महिलाओं को आगे लाकर इस अभियान को बाधित करने की कोशिश की।

    pic.twitter.com/wnZfpub654

    — Jaipur Police (@jaipur_police) August 9, 2019


    Tags

    NRCNational Register of CitizenAssam ProtestCitizenship Amendment ActAnti-CAA ProtestPolice
    Read Full Article
    Claim :   एनआरसी की शुरुआत असम में हुई है। लोगों को उनके घरों से निकाला जा रहा है। मीडिया यह नहीं दिखाता है
    Claimed By :  Facebook and Instagram
    Fact Check :  False
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