वायरल सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया है कि अखिल भारतीय मजलिस-उल-इत्तहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) की एक नेता ( सबिहा खान ) ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के दौरान एक हिंदू का रुप धारण किया। यह दावा ग़लत है।
पोस्ट में दो महिलाओं की तस्वीरें दिखाई गई हैं। पहली तस्वीर एक प्रदर्शनकारी की है जिसके हाथ में एक साइनबोर्ड है, जिसमें हिंदी में लिखा है, "मैं स्वाति हूं और मैं भारत के संविधान के साथ खड़ी हूं। भारत बनाम हिंदुत्व। #NoToCAA #NoToNRC।" दूसरी तस्वीर खान की है। तुलना नीचे देखी जा सकती है।
यह भी पढ़ें: असम पुलिस ने उन लोगों की पिटाई की जो एनआरसी में नहीं हैं? फ़ैक्ट चेक
स्वाति के रुप में पहचानी गई प्रदर्शनकारी और एआईएमआईएम के एक अधिकारी ने अपनी संबंधित पहचान की पुष्टि की है, हालांकि, फिलहाल खान पार्टी के साथ असंबद्ध हैं।
स्वाति और खान की तस्वीरें दावे के साथ वायरल हुई हैं: "अब डरी हुई खातून खुद का फर्जी नाम भी नही रख सकती क्या? क्या तानाशाही है मान्यवर!"
यह दावा किया गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में खान ने ग़लत तरीके से 'स्वाति' के रूप में अपनी पहचान बताई है।
यह भी पढ़ें: क्या रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन मुद्दे पर ओवैसी ने की है खुद के निर्वासन की मांग ?
बूम को अपनी हेल्पलाइन (7700906111) पर एक लिंक प्राप्त हुआ। लिंक तक यहां पहुंचा जा सकता है। लिंक के जरिए हम एक पोस्ट तक पहुंचे जिसे फ़ेसबुक पर देखा जा सकता है।प्रासंगिक कीवर्ड के साथ खोज करने पर, बूम ने पाया कि यह वास्तव में फ़ेसबुक पर वायरल है।
हमने इन कीवर्ड का इस्तेमाल ट्वीटर पर भी किया और पाया कि यह वहां भी इन्हीं दावों के साथ वायरल हुआ है।
अब डरी हुई खातून खुद का फर्जी नाम भी नही रख सकती क्या?
— Dr. Tariq (@Tariqhiarami) December 17, 2019
क्या तानाशाही है मान्यवर! Mudi shud resign 🤣🤣🤣 pic.twitter.com/NWmzYNSYcv
अब डरी हुई खातून खुद का फर्जी नाम भी नही रख सकती क्या...?? 👇👇
— T C Meena 🇮🇳 (@jhanjhat) December 17, 2019
क्या तानाशाही है मान्यवर .... !!#HinduphobicJamia #IsupportCAB2019 pic.twitter.com/aYa94XgMqI
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अनुमति के बाद अब एक नियम बन गया है। यह मुख्य रूप से छात्रों द्वारा पूरे भारत में आयोजित किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के साथ कई लोगों के बीच विवाद का एक हिस्सा रहा है। यह धार्मिक उत्पीड़न से भागे शरणार्थी के रूप में भारत आने वाले छह गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता तक शीघ्र पहुंच की अनुमति देता है। जबकि अधिनियम के विरोधियों का कहना है कि यह भेदभावपूर्ण है, सरकार का कहना है कि यह असहाय शरणार्थियों के लिए कानून का एक टुकड़ा है जिनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है।
फ़ैक्ट चेक
स्वाति के साथ सबिहा की तस्वीर की तुलना नई नहीं है। इसी तरह के दावों के साथ उनकी तस्वीरें इस साल की शुरुआत में मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के दौरान भी वायरल हुई थीं।
इस ख़बर को पहले यहां ख़ारिज़ किया गया था। बूम ने तस्वीर में दिखाई देने वाली स्वाति से (अंतिम नाम जो अनुरोध पर छुपाया गया था) संपर्क किया जो नई दिल्ली में रहती हैं। उसने हमें बताया कि अपनी पहचान सबिहा खान के रूप में शेयर किए जाने की जानकारी उन्हें थी। उन्होंने बूम को 9 जुलाई, 2019 को की गई पुलिस शिकायत के बारे में भी बताया।
बूम ने एआईएमआईएम के एक अधिकारी के साथ भी संपर्क किया और खान की तस्वीर शेयर करने और तुलना करने के बाद उन्होंने बूम से पुष्टि की: सबीहा खान 2017 के मुंबई नगर निगम चुनावों के दौरान पार्टी से जुड़ी थीं, लेकिन अब पार्टी का हिस्सा नहीं हैं। वह अभी भी पार्टी के लोगो का उपयोग कर रही है। इसके अलावा, तुलनात्मक रूप से खान की गतिविधियां इस असत्यापित फ़ेसबुक पेज पर भी हैं, जिसे दो लाख से अधिक लाइक्स मिले हैं, और यहां देखा जा सकता है।
यह भी पढ़ें: महिला प्रदर्शनकारियों की असंबंधित तस्वीरें असम की घटना बता कर वायरल
इस लेख को लिखे जाने तक खान टिप्पणी देने के लिए उपलब्ध नहीं थी। बूम ने कई कहानियों को ख़ारिज़ किया है जहां असंबंधित लोगों को चल रहे विरोधी सीएए आंदोलन में प्रदर्शनकारियों के साथ जोड़ा जा रहा है।