दिल्ली पब्लिक स्कूल को निशाना बनाते हुए फ़ेस मास्क की तस्वीरें कुछ फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल हो रहे हैं । दावे में कहा जा रहा है कि दिल्ली पब्लिक स्कूल ने चार सौ रुपये के फ़ेस मास्क बेचना शुरू कर बच्चों को लूटना चालू कर दिया है । यह दावा फ़र्ज़ी है । बूम से बात करते हुए दिल्ली पब्लिक स्कूल बोर्ड के मेंबर मंसूर अली खान ने बताया कि यह फ़र्ज़ी हैं और डी. पी.एस ने इसके ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज़ की है ।
यह पोस्ट ऐसे समय में वायरल हो रहा है जब सोशल मीडिया पर 30 प्रतिशत अटेंडेंस के साथ स्कूलों को खोलने की चर्चाये चल रही हैं । हालांकि ह्यूमन रिसोर्स डेवेलपमेंट मिनिस्टर रमेश निशंक पोखरियाल ने इन अफ़वाहों को दरकिनार करते हुए कहा कि स्कूल अगस्त के बाद ही शुरू होंगे ।
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यह दावा एक मास्क की तस्वीर के साथ वायरल हो रहा है | इस मास्क पर डी.पी.एस का लोगो और नाम लिखा हुआ है | साथ ही दावा है: "डीपीएस ने चालू कर दिया देश सहयोग,,,₹400 में हर छात्र को यह मास्क लेना पड़ेगा सोचिए लूट की हद कर दी इन कमीने लोगों ने बढ़िया से बढ़िया n95 मास्क भी ₹100 या 150 तक मिलता है इन प्राइवेट स्कूलों को स्कूल न कह के मानवता का कसाईखाना घोषित करना चाहिए। क्या सरकार की ज़िम्मेदारी नही बनती,,,, इनके खिलाफ action लेना?"
फ़ेसबुक पोस्ट्स यहाँ और यहाँ देखें और इनके आर्काइव्ड वर्शन यहाँ और यहाँ उपलब्ध हैं |
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स पायी जिसमें दिल्ली पब्लिक स्कूल ने इस दावे को खारिज किया था | इसके बाद हमनें डी.पी.एस बैंगलोर और मैसूरु बोर्ड के सदस्य मंसूर अली खान से संपर्क किया | उन्होंने इस बात से साफ़ इंकार करते हुए बूम को बताया, "अभी स्कूल्स सरकारी आदेश के कारण बंद हैं | यह फ़र्ज़ी दावे किसी की बदमाशी का नतीजा हो सकता है पर इसका डी.पी.एस बैंगलोर और मैसूरु से कोई लेना देना नहीं है |"
खान ने आगे कहा, "यह किसी वेंडर ने अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए नाम और लोगो का इस्तेमाल किया है | डी.पी.एस का लोगो और नाम आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध हैं | जहाँ तक मुझे पता है, किसी भी डी.पी.एस ने यह काम नहीं किया है |"
खान के अनुसार उन्होंने सभी अभिभावकों को इस तरह की अफ़वाहों से दूर रहने के लिए सन्देश भेजे हैं | "बोर्ड ने इसके ख़िलाफ़ वर्थुर और कुमारस्वामी लेआउट पुलिस स्टेशनों में साइबर क्राइम कंप्लेंट भी दर्ज़ की है," खान ने बताया |
अभिभावकों को भेजा हुआ सन्देश नीचे देखें |
इसके बाद बूम ने भारत के कुछ अन्य डी.पी.एस स्कूलों के प्रिंसिपल और वाईस-चेयरमैन से बात की | इनमें से एक हैं मनाली, हिमाचल प्रदेश में पदस्थ अविन्दर बाली | वह मनाली डी.पी.एस के प्रिंसिपल हैं | बूम से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यहाँ हम कोई स्टेशनरी का सामान नहीं बेचते हैं क्योंकि सरकार द्वारा पाबन्दी है | यह वायरल पोस्ट्स फ़र्ज़ी हैं और किसी ने डी.पी.एस का नाम इस्तेमाल किया है | कई डी.पी.एस स्कूलों ने इसे ख़ारिज किया है |"
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हमनें ग़ाज़ियाबाद के राजनगर और आगरा में स्थित डी.पी.एस के वाईस-चेयरमैन सुनील अग्रवाल से भी संपर्क किया | उन्होंने कहा, "यह डी.पी.एस को बदनाम करने के लिए किया गया है | किसी की बदमाशी है | यह दावा डी.पी.एस की करीब 100 शाखाओं ने ख़ारिज किया है और हमनें अभिभावकों को भी इस तरह के संदेशों के झांसे में ना आने के लिए अपील किया है और मैसेज भेजें हैं |"
हमनें एक अभिभावक से भी संपर्क किया जो भोपाल में रहते हैं | संदीप बाथम का बेटा भोपाल में कोलार रोड स्थित डी.पी.एस में पढ़ता है | हालांकि उन्हें इस वायरल सन्देश के बारे में जानकारी नहीं थी परन्तु उन्हें स्कूल द्वारा भेजा गया मैसेज प्राप्त हुआ था | बूम से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता की ऐसा कुछ वायरल है पर हाँ स्कूल द्वारा व्हाट्सएप्प मैसेज भेजा गया है की इस तरह की वायरल पोस्ट्स फ़र्ज़ी हैं |"
स्कूल द्वारा भेजा गया सन्देश नीचे देखें |
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बूम को स्वतंत्र रूप से वायरल पोस्ट में शेयर की गयी मास्क की तस्वीर को खोजने में सफ़लता नहीं मिली |