फैक्ट चेक

दशकों पुराना घरेलू उपचार भारतीय छात्र द्वारा कोविड-19 के इलाज के रूप में वायरल

पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी के वाईस-चांसलर ने इस दावे को ख़ारिज़ किया की उनके किसी छात्र ने कोविड-19 का इलाज ढूंढा है

By - Shachi Sutaria | 21 July 2020 6:09 PM IST

दशकों पुराना घरेलू उपचार भारतीय छात्र द्वारा कोविड-19 के इलाज के रूप में वायरल

दशकों पुराना खांसी का घरेलु इलाज जिसमें अदरक, काली मिर्च और शहद का घोल पिया जाता है, पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट द्वारा ढूंढे गए कोविड-19 के इलाज के रूप में वायरल है |

अब तक कोविड-19 के इलाज के तौर पर विश्व स्वास्थ संगठन ने किसी भी दवाई या वैक्सीन को हरी झंडी नहीं दिखाई है | बूम ने पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी के वाईस-चांसलर से बात की जिन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया |

यह मैसेज कहाँ शुरू हुआ है यह अब तक साफ़ नहीं हुआ है न ही यह साफ़ हो सका है की यह मैसेज एक मजाक के तौर पर शुरू किया गया था | वायरल मैसेज में लिखा है की एक भारतीय छात्र रामु, जो पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी में पढता है, ने कोविड-19 का इलाज ढूंढ निकाला है जिसे विश्व स्वास्थ संगठन ने हरी झंडी दिखा दी है | इसके बाद यह मैसेज भारतीयों द्वारा इस इलाज को सर्दी और खांसी के लिए सदियों से इस्तेमाल करने की तारीफ़ करता है

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ये दावा कोरोना वायरस से बचने के लिए प्रचलित घरेलु इलाजों की लिस्ट में एक नया नाम है जो सोशल मीडिया पर वायरल है | दावा अंग्रेजी में है जिसका हिंदी अनुवाद कुछ यूँ है 'अंतत: पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय के एक भारतीय छात्र रामु ने कोविड-19 के लिए एक घरेलू उपचार से इलाज खोजा है जो पहली बार डब्ल्य.एच.ओ द्वारा स्वीकार किया गया है। उसने साबित किया कि लगातार 5 दिनों के लिए 2 टेबल स्पून शहद और अदरक के रस में 1 बड़ी चम्मच काली मिर्च पाउडर मिलाकर कोरोना के प्रभाव को दबाया जा सकता है और अंततः 100% दूर किया जा सकता है - संपूर्ण विश्व इस उपाय को स्वीकार करना शुरू कर रहा है। 2020 के अंत में एक अच्छी खबर!'

यह दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है | बूम ने यही मैसेज व्हाट्सएप्प हेल्पलाइन पर भी प्राप्त किया जहाँ इसकी सच्चाई के बारे में पूछा गया है |


यही पोस्ट फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी वायरल है जहाँ लोग इस स्टूडेंट की बढ़ाई की जा रही है |

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फ़ैक्ट चेक

बूम ने पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी के वाईस-चांसलर गुरमीत सिंह से संपर्क किया जिन्होंने इस दावे को ख़ारिज किया है |

"यह फ़र्ज़ी है | यूनिवर्सिटी को इस न्यूज़ में घसीटा जा रहा है | हमारे किसी भी स्टूडेंट ने कोरोनावायरस के इलाज सम्बन्धी कोई खोज नहीं की है," सिंह ने कहा |

आगे मैसेज कहता है की इस अदरक, काली मिर्च और शहद से बने 'देसी' इलाज को विश्व स्वास्थ संगठन ने मंज़ूरी दे दी है जबकि अब तक डब्लू.एच.ओ ने कोविड-19 के इलाज के तौर पर किसी वैक्सीन या दवाई को मंज़ूरी नहीं दी है |

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कई देशों में एड्स के एंटी-वायरल लोपीनवीर और रिटोनावीर, स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन, एंटी-वायरल ड्रग्स रंदेसिविर, फाविपिरवीर और टोकिलीजुमब और यहाँ तक की प्लाज्मा थेरेपी ट्रायल और एक्सपेरिमेंट में इस्तेमाल हो रही हैं | दुनिया भर में करीब 132 वैक्सीन निर्माण के अलग अलग चरण में हैं |

अदरक, काली मिर्च और शहद का असर

यह वायरल मैसेज दावा करता है की दो चम्मच शहद और अदरक के साथ एक चम्मच काली मिर्च मिर्च को पांच दिन तक लेने से कोविड-19 का वायरस शरीर से पूरी तरह निकल जाएगा |

इस बारे में बूम ने ग्लोबल हॉस्पिटल मुंबई के इंटेनसिविस्ट और चेस्ट फिजिशियन डॉ हरीश चाफले से संपर्क किया ताकि इस नुस्खे का वैज्ञानिक आधार समझ सकें | डॉ चाफले ने कहा की इसके आयुर्वेदिक गुणों ने भले ही खांसी में मदद की हो पर कोविड-19 के ख़िलाफ़ इसके इस्तेमाल का कोई प्रमाण नहीं है | "घरेलु इलाज के तौर पर, आयुर्वेद इनके मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ की बात करता है, खांसी पर काम करते हैं पर कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ बिलकुल नहीं," डॉ चाफले ने कहा |

जबकि काली मिर्च में कुछ एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं पर डब्लू.एच.ओ ने साफ़ किया है की इसका सार्स-सी.ओ.वी- 2 पर कोई असर नहीं है | इसी तरह शहद में भी एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं पर कोविड-19 पर इसके असर अब तक निर्धारित नहीं हैं |

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बूम अदरक से जुड़े दावों को पहले खारिज  कर चूका है | विशेषज्ञ कहते हैं की इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रणाम या साक्ष्य नहीं है | हाँ, कई भारतीय काली मिर्च, शहद और अदरक से बने काढ़े को गला ख़राब होने पर अवशय पीते हैं |

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