Claim
गरीब महिला जान संकट में डाल बच्चे के साथ सफ़र कर रही है और गोदी मीडिया सरकार का डंका बजा रही है.
Fact
बूम ने अपनी जांच में पाया वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा ग़लत है. वायरल वीडियो जुलाई 2016 का है और संभावित रूप से बांग्लादेश का है, भारत से इसका कोई संबंध नहीं है. बूम इससे पहले 2020 में कोरोना लॉकडाउन के समय भी इस वीडियो को फ़ैक्ट चेक कर चुका है. उस वक्त यह प्रवासी मज़दूरों से जोड़ते हुए भारत के दावे से ही वायरल था. यह वीडियो हमें बांग्लादेशी अखबार प्रोथोम अलो के यूट्यूब चैनल पर सितम्बर 13, 2016 को अपलोड किया हुआ मिला. वीडियो के साथ लिखे कैप्शन का अनुवाद था- ‘ईद का मतलब है शारीरिक या मानसिक तौर पर घर लौटना’. हमें इस वीडियो की सबसे पुरानी क्लिप जुलाई 31, 2016 को अपलोड हुई मिली जिसका कैप्शन कहता है- ‘शरणार्थी माँ और बच्चा’. वीडियो में दिख रही ट्रेन के दृश्यों को मैच करने पर बांग्लादेशी ट्रेन की बोगियों पर मिलने वाली पीली लाइन इसपर भी दिखी. हालांकि, बूम वीडियो के स्रोत की आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं करता है. पूरी स्टोरी नीचे पढ़ें