फैक्ट चेक

ऑक्सीजन टैंकर पर लगे रिलायंस स्टीकर का वीडियो फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल

बूम ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक प्रवक्ता से संपर्क किया जिसमें उन्होंने वायरल पोस्ट में किए गए दावों का खंडन किया है.

By - Dilip Unnikrishnan | 10 May 2021 2:46 PM IST

ऑक्सीजन टैंकर पर लगे रिलायंस स्टीकर का वीडियो फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल

रिलायंस फाउंडेशन (Reliance Foundation) के लोगो वाले क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों (Cryogenic Tanker) को दिखाने वाली कुछ तस्वीरें और वीडियो का एक सेट, जिसमें सऊदी अरब (Saudi Arabia) के झंडे का एक हिस्सा दिखाई पड़ता है, इस दावे के साथ वायरल है कि रिलायंस कंपनी सऊदी अरब सरकार द्वारा सप्लाई की गई ऑक्सीजन (Oxygen) का श्रेय ले रही है.

भारत कोरोना महामारी की दूसरी लहर में अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है. ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए कई भारतीय पेट्रोलियम और मेटलवर्क कम्पनियां अपनी फैसिलिटी का उपयोग चिकित्सा ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए कर रही हैं. हालाँकि, क्रायोजेनिक टैंकरों की कमी के कारण सरकार और कंपनियों ने सऊदी अरब, जर्मनी, सिंगापुर, बेल्जियम, थाईलैंड और नीदरलैंड जैसे देशों से क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों की सोर्सिंग की है.

क्या दिल्ली के डीडीयू हॉस्पिटल में ऑक्सीजन बर्बाद किया जा रहा है? फ़ैक्ट चेक

इसी पृष्ठभूमि में तस्वीरें और वीडियो शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि सऊदी अरब ने ऑक्सीजन भेजी है लेकिन उसके झंडे पर रिलायंस अपना स्टीकर चिपकाकर क्रेडिट ले रहा है.

Full View

आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.


पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

कोरोना संकट: नाइट्रोजन प्लांट से आखिर कैसे होगा ऑक्सीजन का प्रोडक्शन?

फ़ैक्ट चेक

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने घोषणा की है कि उसने पूरे भारत में अपनी पेट्रोकेमिकल फैसिलिटीज़ पर मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू कर दिया है. एक प्रेस विज्ञप्ति में, कंपनी ने कहा कि वह प्रतिदिन 1000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर रही है, जिससे उन्होंने 24 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों को एयरलिफ्ट किया है, जिससे उनकी आपूर्ति क्षमता 500 मीट्रिक टन तक बढ़ गई है.

रिलायंस फाउंडेशन ने प्रेस विज्ञप्ति में क्रायोजेनिक कंटेनरों की सोर्सिंग और परिवहन में मदद के लिए सऊदी अरब की पेट्रोकेमिकल कंपनी अरामको, ब्रिटिश पेट्रोलियम और भारतीय वायु सेना को धन्यवाद दिया है.

बूम ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक प्रवक्ता से संपर्क किया जिसमें उन्होंने वायरल पोस्ट में किए गए दावों का खंडन किया है. प्रवक्ता ने कहा कि रिलायंस फाउंडेशन ने सऊदी अरब से ऑक्सीजन या ऑक्सीजन कंटेनरों का कोई डोनेशन स्वीकार नहीं किया है.

"हम हजारों टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे हैं, लेकिन टैंकर इसकी आपूर्ति करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए हम दुनिया भर में अपने सहयोगियों- सऊदी अरब, बेल्जियम, थाईलैंड और जर्मनी से इन टैंकरों को मंगाया है. हमने इन टैंकों को खरीदा है और हम इनके मालिक हैं, उन्होंने कहा.

"जब आप सड़क पर टैंकर देखते हैं, तो आप देखेंगे कि इसका मालिक कौन है. क्योंकि क्रायोजेनिक टैंकर अत्यधिक विस्फोटक होते हैं, इसलिए इन टैंकरों के मालिकाना हक़ वाली कंपनी का नाम लिखा जाता है. वीडियो में दिखने वाला टैंकर सऊदी अरब से लाया गया था. इसलिए इस पर सऊदी अरब का झंडा लगा था. चूंकि हमने इसे खरीदा था और उन्हें तुरंत सेवा में लाना था, इसलिए हमने अपने स्टिकर लगा दिए."

प्रवक्ता ने आगे स्पष्ट किया कि कंटेनर खाली थे जब उन्हें एयरलिफ्ट किया गया था.

उन्होंने कहा, "क्रायोजेनिक टैंकरों को विदेशों से मंगवाया गया था और देश के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया गया था. हम उन्हें अपने जामनगर में ऑक्सीजन से भरते हैं और पूरे देश में इसकी आपूर्ति करते हैं."


बूम पहले भी इन क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों से जुड़े फ़र्ज़ी दावे का खंडन कर चुका है.

क्या इन पक्षियों की मौत का कारण 5G टेस्टिंग है? फ़ैक्ट चेक

Tags:

Related Stories