सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे साथ कुर्ते और केसरिया स्कार्फ़ (Saffron Scarf) पहने सभागार में बैठे छात्र-छात्राओं के एक समूह की एक तस्वीर वायरल हो रही है. वायरल पोस्ट का दावा है कि उत्तरांचल विश्वविद्यालय (Uttaranchal University) ने पहली बार दीक्षांत समारोह (Convocation Day) में काले कोट और काली टोपी की जगह अपने सभी स्टूडेंट्स को भगवा स्कार्फ़ पहनने के निर्देश दिए.
बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर फ़रवरी 2020 में आयोजित उत्तरांचल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की है. हमने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से संपर्क किया, जिन्होंने हमसे पुष्टि की कि विभिन्न विभागों के छात्रों ने अलग-अलग रंगों के स्कार्फ़ पहने थे और एक ख़ास रंग का स्कार्फ़ पहनने जैसा कोई ड्रेस कोड नहीं था.
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वायरल तस्वीर में छात्र-छात्राओं के एक समूह को कुर्ता और केसरिया स्कार्फ़ पहने देखा जा सकता है, जो सभागार की तरह दिखता है. कई सोशल मीडिया हैंडल ने इस तस्वीर को कैप्शन के साथ शेयर किया है, जिसमें कहा गया है कि उत्तरांचल विश्वविद्यालय देश का पहला शैक्षणिक संस्थान है जिसने काले स्नातक गाउन में डिग्री देने की ब्रिटिश परंपरा को समाप्त करते हुए एक ड्रेस कोड का चयन किया है जिसमें भगवा स्कार्फ़ शामिल है.
कोमल तिवारी नाम की एक यूज़र ने कैप्शन में लिखा, "उत्तराँचल यूनिवर्सिटी उत्तराखण्ड में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परम्परा को. युनिवर्सिटी ने खत्म करते हुए. दीक्षांत समारोह में इस वर्ष काले कोट और काले टोप की जगह सभी स्टुडेंट्स को भगवा दुपट्टा पहनाकर डिग्रीयाँ दिलाई गईं. हमारा देश बदल रहा है."
राकेश थिय्या ने तस्वीर के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, "उत्तराखंड में उत्तरांचल विश्वविद्यालय ने दीक्षांत समारोह के दिन काले गाउन और टोपी पहनने के ब्रिटिश युग की परंपरा को समाप्त किया. इसके बजाय छात्रों ने कुर्ता और केसरिया दुपट्टा पहना था."
फ़ेसबुक पर वायरल
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने उत्तरांचल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के लिए ड्रेस कोड की रिपोर्ट के लिए इंटरनेट पर खोज की. हमें कई वेबसाइट मिलीं जिसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन उनमें ड्रेस कोड के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी. वेबसाइटों को यहां और यहां देखें.
बूम ने तब विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट की जाँच की और दीक्षांत समारोह की तस्वीरों की तलाश की. हमें वेबसाइट पर 'उत्तरांचल विश्वविद्यालय कन्वोकेशन 2020' नाम से एक लिंक मिला, जिसपर क्लिक करने पर हम एक गूगल ड्राइव पर पहुंचे, जहां पिछले साल के दीक्षांत समारोह की तस्वीरें अपलोड की गई थीं.
हमने पाया कि छात्रों ने जो पोशाक पहनी थी वो एक ही रंग- क्रीम रंग की थी, जबकि स्कार्फ़ का रंग अलग-अलग था. छात्र-छात्राओं को नीले, हरे, लाल, केसरिया और पीले रंग के स्कार्फ़ पहने देखा जा सकता है.
29 फ़रवरी, 2020 को आयोजित दीक्षांत समारोह की ये एक तस्वीर पुष्टि करती है.
बूम ने तब वायरल दावे के संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय से संपर्क किया.
"यदि आप हमारी वेबसाइट की जांच करते हैं तो आप देख सकते हैं कि रंग चार में विभाजित थे. नीला है, पीला है. यह राज्यपाल के आदेश के अनुसार है कि सभी उत्तराखंड विश्वविद्यालयों को पारंपरिक पोशाक में दीक्षांत समारोह करना होगा. काले गाउन की अनुमति नहीं थी." विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने बूम को बताया.
हमने यूनिवर्सिटी के डीन, मैनेजमेंट से भी बात की. "रंग विभागों पर आधारित थे. विश्वविद्यालय में कानून, प्रबंधन और इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न विभाग हैं," डॉ प्रदीप सूरी, प्रबंधन ने बूम को बताया.
बूम ने दीक्षांत समारोह की तस्वीरों को खंगाला तो हमें उसी लड़की की तस्वीर मिली, जिसकी सेल्फी-शॉट भ्रामक कैप्शन के साथ वायरल हुई है. हमने चेहरे की विशेषताओं की तुलना की और पाया कि वे एक ही हैं.
हमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी 2015 का सर्कुलर भी मिला, जिसमें विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया गया कि 'वे विशेष अवसरों जैसे दीक्षांत समारोह आदि के लिए निर्धारित कपड़े के लिए हैंडलूम कपड़े पर विचार करें'. सर्कुलर में उल्लेख किया गया है कि हैंडलूम सेक्टर को पुनर्जीवित करने और हैंडलूम बुनकरों की आय में सुधार करने के लिए इस पर जोर दिया गया है.
हमें 2019 की समाचार रिपोर्टें भी मिलीं, जिसमें कहा गया था कि दीक्षांत समारोह में पश्चिमी परंपरा के वस्त्रों को भारतीय हैंडलूम से बने पारंपरिक परिधान के साथ बदल दिया जाएगा.
हमें 2017 की समाचार रिपोर्टें भी मिली, जिसमें उल्लेख किया गया है कि पहाड़ी राज्य अपने सभी विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों के लिए एक पारंपरिक पोशाक के लिए विचार कर रहा है. रिपोर्ट यहां और यहां पढ़ें.
'जिम जिहाद' के फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल इस वीडियो का सच क्या है?