क्या है राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन संशोधन बिल?
दिल्ली में उप राज्यपाल को अधिक शक्तियां देने वाले इस विधेयक के पास होते ही आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र के बीच ‘दिल्ली पर राज’ करने को लेकर तकरार बढ़ गई है.
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बुधवार को राज्यसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन संशोधन विधेयक-2021 (The Government of National Capital Territory of Delhi Amendment Act- 2021) विपक्षीय दलों के भारी विरोध के बीच पास हो गया. लोकसभा से इस विधेयक को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.
दिल्ली में उप राज्यपाल को अधिक शक्तियां देने वाले इस विधेयक के पास होते ही आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र के बीच 'दिल्ली पर राज' करने को लेकर तकरार बढ़ गई है.
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क्या है GNCTD क़ानून?
साल 1991 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन क़ानून (GNCTD) बनाया था. इसके अंतर्गत दिल्ली को "सीमित विधायी शक्तियों" के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था. लेकिन नए संशोधन 2021 के तहत दिल्ली में "सरकार" का मतलब "उपराज्यपाल" हो गया है. अब, दिल्ली सरकार को किसी भी शासनात्मक कार्रवाई से पहले उप राज्यपाल की राय लेना अनिवार्य है.
- 1991 के क़ानून के चार वर्गों में संशोधन करते हुए "सरकार" को परिभाषित किया गया है.
- विधान सभा द्वारा बनाए जाने वाले किसी भी कानून में संदर्भित "सरकार" का अर्थ उपराज्यपाल होगा.
- इस प्रकार, जैसा कि क़ानून में परिभाषित किया गया है, विधान सभा द्वारा पारित किसी भी कानून में "सरकार" का अर्थ है दिल्ली के उप राज्यपाल.
- विधान सभा को अपनी समितियों के लिए दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के लिए नियम बनाने या प्रशासनिक निर्णयों की जाँच करने पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है. क़ानून में यह भी प्रस्ताव है कि सरकार द्वारा कैबिनेट या मंत्री द्वारा लिए गए निर्णयों के आधार पर कोई भी कार्यकारी कार्यवाही करने से पहले उप राज्यपाल की राय ली जाएगी.
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केजरीवाल सरकार को झटका
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली वाली आम आदमी पार्टी सरकार के लिए यह क़ानून एक बड़ा झटका है. केजरीवाल लंबे समय से दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा देनी की मांग करते आ रहे हैं.
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन संशोधन विधेयक को क़ानून की शक्ल मिलते ही केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच अधिकार और शक्तियों को लेकर जंग बढ़ गई है.
हालांकि, यह पहला मौक़ा नहीं है जब दिल्ली पर "शासन" को लेकर राज्य सरकार और उप राज्यपाल के अधिकारों को लिए बवाल हुआ है. अरविंद केजरीवाल के 2013 में सत्ता में आते ही तत्कालीन उप राज्यपाल नजीब जंग से अधिकारों की लड़ाई शुरू हुई थी.
इसके बाद उप राज्यपाल बनाये गए अनिल बैजल के साथ भी केजरीवाल सरकार का टकराव जारी रहा. तब अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि उप राज्यपाल केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं.
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र ने जब कहा था कि वह संशोधन विधेयक को संसद के निचले सदन में पेश करेगी. तब से ही आम आदमी पार्टी की सरकार इसका विरोध कर रही है. केंद्र सरकार के इस कदम का विरोध करने के लिए 'आप' ने 17 मार्च को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था.
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