बीबीसी (BBC) की दिल्ली दंगों (Delhi Riots) और उसके बाद की एक न्यूज़ रिपोर्ट को त्रिपुरा हिंसा (Tripura Violence) से जोड़कर फ़र्ज़ी दावा किया जा रहा रहा है. वीडियो शेयर करते हुए दावा किया गया है कि यह उत्तर पूर्वी राज्य में हुए सांप्रदायिक दंगों (Communal Riots) का सबूत दिखाता है और कैसे भारतीय मीडिया ने सही रिपोर्ट नहीं की है.
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो एक बीबीसी रिपोर्ट का हिस्सा है जो 2020 के दंगों में दिल्ली पुलिस की मिलीभगत दिखाता है.
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वायरल वीडियो बीजेपी शासित त्रिपुरा में छिटपुट सांप्रदायिक हिंसा की ख़बरों की पृष्ठभूमि में शेयर किया जा रहा है.
फ़ेसबुक पर वीडियो शेयर करते हुए यूज़र ने कैप्शन में लिखा, "त्रिपुरा दंगे पर दलाल मीडिया ने कुछ नहीं बताया मगर बीबीसी न्यूज़ ने सारी पोल खोल कर रख दी."
पोस्ट यहां देखें
त्रिपुरा की साम्प्रदायिक हिंसा बताकर वायरल दो तस्वीरें पुरानी हैं
फ़ैक्ट चेक
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल फ़ुटेज फ़रवरी 2020 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों पर बीबीसी कवरेज का है.
बीबीसी फ़ुटेज से संकेत लेते हुए, हमने फ़ेसबुक पर एक कीवर्ड सर्च किया और उसी वीडियो का एक लंबा वर्ज़न पाया, जिसे 3 मार्च, 2020 को बीबीसी न्यूज़ इंडिया के फ़ेसबुक पेज पर अपलोड किया गया था.
वीडियो रिपोर्ट को इस तरह से कैप्शन दिया गया था, "बीबीसी ने पाया कि दिल्ली पुलिस ने पिछले हफ़्ते मुसलमानों पर हमले की लहर के दौरान हिंदू दंगाइयों के साथ काम किया था. राजधानी में पुलिस लगातार दबाव में आ रही है क्योंकि क्योंकि झड़पों में मिलीभगत के आरोप सामने आ रहे हैं. योगिता लिमये, शालू यादव और निक वूली द्वारा एक इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट."
वीडियो को बीबीसी न्यूज़ इंडिया के ट्विटर हैंडल पर भी देखा जा सकता है.
3 मार्च, 2020 को प्रकाशित टाइम रिपोर्ट के अनुसार, "हिंसा 23 फ़रवरी को शुरू हुई और कई दिनों तक चली, जिसमें दिल्ली में कम से कम 46 लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम थे. यह बीते सालों में भारत में सबसे ख़राब धार्मिक हिंसा थी."
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