सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें कुछ श्रद्धालु गणेश प्रतिमा को गाजे बाजे के साथ एक चर्च के अंदर ले जाते दिख रहे हैं. वीडियो को शेयर कर इसे स्पेन का बताया जा रहा है. वीडियो में काफ़ी लोग प्रार्थना करते और तालियाँ बजाते नज़र आ रहे हैं.
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जबकि वीडियो और इसके साथ किया जा रहा दावा सही है लेकिन ये घटना अभी की नहीं बल्कि वर्ष 2017 की है.
वीडियो को फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने शेयर करते हुए अंग्रेज़ी में कैप्शन दिया जिसका हिंदी अनुवाद है 'स्पेन में कुछ भारतीय गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाते हुए गणेश मूर्ति की यात्रा निकाल रहे थे. उन्होंने एक चर्च अथॉरिटी से पूछा कि क्या वो चर्च के सामने से यात्रा निकाल सकते हैं, क्योंकि उस समय चर्च की प्रार्थना का समय हो रहा था. जवाब में चर्च के पादरी ने कहा कि गणपति बप्पा को कुछ देर के लिये चर्च के अंदर ही ले आओ ताकि दोनों भगवान एक दूसरे से मिल लें.'
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वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल है और इसे शेयर करते हुए यही कैप्शन दिया जा रहा है.
फ़ैक्ट चेक
हमने वायरल वीडियो की सत्यता जानने के लिये लिये कुछ कीवर्ड्स गूगल सर्च किये तो पाया कि वीडियो अभी का नहीं है. वीडियो दरअसल 2017 का है और इसके साथ किया जा रहा दावा भी सच है. लेकिन उस समय इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल हो जाने के बाद चर्च अथॉरिटी को उस पादरी ने अपना इस्तीफ़ा भी सौंप दिया था.
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Current Trigger नाम की एक वेबसाइट में 31 August 2017 को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार जिस पादरी ने गणेश प्रतिमा को चर्च के अंदर लाने की इजाज़त दी थी उसने इसके लिये माफ़ी माँगी और चर्च अथॉरिटी को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक़ स्पेन के Ceuta और Melilla में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों ने गणेश प्रतिमा के साथ अगस्त 27, 2017 में एक यात्रा निकाली थी. जब वे एक कैथोलिक चर्च की ओर बढ़ रहे थे तो चर्च के पादरी Vicar General Father Juan José Mateos Castro ने उन्हें गणेश प्रतिमा के साथ चर्च के अंदर आने का न्योता दिया.
इस घटना से सम्बंधित अन्य रिपोर्ट यहां और यहां पढ़ें.
CNN News 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस घटना के बाद स्पेन की चर्च अथॉरिटी ने एक स्टेटमेंट भी जारी किया जिसमें उन्होंने साफ़ किया कि इस घटना के बाद संबंधित पादरी ने माफ़ी माँगते हुए इस्तीफ़ा दे दिया है.
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CNN News 18 में छपे स्टेटमेंट का शब्दशः अनुवाद होगा "भगवान गणेश की प्रतिमा को चर्च के अंदर से जाना एकदम ग़लत था इसकी अनुमति बिलकुल नहीं देनी चाहिए थी. बिशप इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हैं जिसकी वजह से ईसाई समुदाय में नुक़सान, शंका और धर्म में स्कैंडल जैसी चीजें पनप रही हैं. संबंधित पादरी को अपनी गलती का एहसास हो गया है और उसने समुदाय से इसके लिये माफ़ी भी माँग ली है."