सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) का प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में शिवराज सिंह पीएम मोदी (Narendra Modi) के साथ चलते हुए दिखाई देते हैं और अचानक पीछे से उन्हें रोका जाता है और थोड़ी देर बाद वे फिर आगे बढ़ते दिखाई देते हैं. वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि पीएम के स्टाफ़ ने शिवराज सिंह चौहान को उनके साथ चलने से रोक लिया था.
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इस वीडियो को सोशल मीडिया पर हज़ारों बार देखा जा चुका है.
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने इसे शेयर करते हुए कैप्शन लिखा, "शिवराज सिंह चौहान ने सर्वोच्च नेता का कैमरा व्यू खराब होने से बचाने के लिए फ्रेम से बाहर जाने को कहा"
इस वीडियो को मध्यप्रदेश कांग्रेस के फ़ेसबुक पेज से भी शेयर किया गया है.
ट्विटर पर भी ये वीडियो इसी दावे के साथ शेयर हो रहा है कि शिवराज सिंह चौहान को पीएम मोदी के साथ चलने से रोका गया.
फ़ैक्ट-चेक
बूम ने वायरल वीडियो के साथ किये जा रहे दावे की पड़ताल की तो पाया कि ये दावा ग़लत है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पीएम मोदी के साथ चलने से उनके स्टाफ़ द्वारा रोका गया है. शिवराज सिंह चौहान को इशारे से रोकने वाला अधिकारी पीएम का सुरक्षाकर्मी नहीं बल्कि भोपाल के आईएएस अधिकारी अविनाश लावनिया थे.
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इस वायरल वीडियो का खंडन करते हुए मुख्यमंत्री ऑफ़िस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री को भोपाल के आईएएस अधिकारी अविनाश लावनिया ने रोक कर कुछ ज़रूरी बात कही थी. और उसके बाद मुख्यमंत्री ने वापस पीएम को ज्वाइन कर लिया था.
बूम ने पाया कि ये वीडियो पीएम की हालिया मध्यप्रदेश यात्रा का है जहां उन्होंने रानी कमलापति त्रिपाठी रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया और बाद में जनजातीय गौरव दिवस में भी शामिल हुए थे.
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बूम ने वायरल वीडियो के संबंध में भोपाल कलेक्टर अविनाश लावनिया से बात की. उन्होंने कहा कि ये बिल्कुल फ़ेक न्यूज़ है कि मुख्यमंत्री को पीएम के साथ चलने से रोका गया. अविनाश ने कहा कि कार्यक्रम से संबंधित एक महत्वपूर्ण जानकारी वे मुख्यमंत्री को बताने गये थे जिसकी वजह से वो रुककर उनकी बात सुनने लगे, इसके बाद उन्होंने पुन: प्रधानमंत्री के साथ आगे भ्रमण किया है.
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भोपाल कलेक्ट्रेट के ट्विटर हैंडल से भी इस वायरल दावे का खंडन किया गया है.