भारतीय ज़मीन पर नेपाल के कब्ज़े की पुरानी ख़बर भ्रामक दावे से वायरल
बूम ने पाया कि ये खबर तीन साल पुरानी है जब नेपाल के क़ब्ज़े को लेकर दैनिक भास्कर ने खबर छापी थी.
सोशल मीडिया पर दैनिक भास्कर अख़बार की ख़बर की एक कटिंग भ्रामक दावे से वायरल हो रही है. ख़बर में लिखा है, "भारत की 7100 एकड़ ज़मीन पर नेपाल का क़ब्ज़ा, एसएसबी को एक्शन की मनाही, प्रशासन को बोलने की इजाज़त नहीं,". इस खबर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि नेपाल ने हाल में भारतीय ज़मीन पर क़ब्ज़ा किया है.
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फ़ेसबुक पर इस तस्वीर को शेयर कर एक यूज़र ने कैप्शन लिखा, "चीन तो चीन अब तो नेपाल ने भी छप्पन इंची सीना नाप लिया! क्या दिन आ गये,अब नेपाल जैसै देश?"
फ़ेसबुक पर ये तस्वीर इसी दावे के साथ ख़ूब वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
बूम ने वायरल ख़बर की सच्चाई जानने के लिये हेडलाइन में लिखे टेक्स्ट के साथ कीवर्ड सर्च किया तो पाया कि ये ख़बर अभी की नहीं बल्कि तीन साल पुरानी है. बूम ने अपनी जाँच में पाया कि दैनिक भास्कर ने अपने डिजिटल संस्करण में हूबहू इसी हेडलाइन के साथ पूरी की पूरी खबर छापी थी.
ख़बर के मुताबिक़, बिहार में पश्चिमी चंपारण के वाल्मीकीनगर में सुस्ता, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल और गोवर्धना में शिवालिक रेंज की पहाड़ियां सहित कई ऐसे भूभाग हैं, जिस पर नेपाल का अवैध कब्जा बढ़ रहा है. नेपाल सरकार इस भूमि के पट्टे भी काट रही है. वहीं अधिकारियों के मुताबिक़ ये ज़मीन No Man's Land है और इसके बारे में रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं.
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नेपाल से जुड़े मामलों पर लगातार लिखने वाले पत्रकार रोहिन वर्मा ने भी इस वायरल दावे का खंडन किया है.
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बूम ने रोहिन वर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि ये ख़बर लगभग तीन साल पुरानी है जब नेपाल की तरफ़ भारतीय सीमा से सटे इलाक़ों में गतिविधि हुई थी. हालाँकि तब नेपाल ने भी भारत पर कालापानी क्षेत्र में अपनी ज़मीन क़ब्ज़ाने का आरोप लगाया था.
रोहिन ने कहा कि नेपाल बॉर्डर पर काफ़ी मात्रा में ज़मीन No Man's Land के रूप में है जिस पर यदा कदा ऐसी गतिविधि होती रहती है. हालाँकि फ़िलहाल नेपाल बॉर्डर ऐसे किसी डेवलपमेंट की कोई ख़बर नहीं है.