सोशल मीडिया पर दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड का कथित ट्वीट का स्क्रीनशॉट काफ़ी वायरल हो रहा है. स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि अधिकतर रेलवे लाइन मज़ार की ज़मीन पर बनी हुई हैं. इसलिए दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड रेलवे से अपना कब्ज़ा वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज़ करेगा.
वायरल स्क्रीनशॉट में दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड का वेरीफाइड ट्विटर हैन्डल दिख रहा है. इसके अलावा एक मज़ार के बगल से कुछ रेलवे लाइन दिख रही हैं. यूज़र्स दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के इस दावे पर कटाक्ष करते हुए इसे शेयर कर रहे हैं.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के नाम से वायरल ट्वीट का स्क्रीनशॉट फ़र्ज़ी है.
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फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा,' बस ये कहना बाकी रह गया की पूरा हिन्दुस्तान वक्फ बोर्ड का है'
फ़ेसबुक पर इसी तरह के दावों के साथ ये स्क्रीनशॉट वायरल है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले इस दावे से संबंधित कीवर्ड्स के मदद से इंटरनेट पर सर्च किया तो कोई रिपोर्ट नहीं मिली जो दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज़ कराने की पुष्टि करती हो.
इसके बाद इस जब हमने स्क्रीनशॉट को ध्यान से देखा तो ऊपर की ओर कोने पर OkSatire लिखा हुआ है. इससे हमे इसके फ़र्ज़ी होने का संदेह हुआ.
बूम ने स्क्रीनशॉट में दिख रहे ट्विटर हैन्डल को खोजा तो समान यूज़रनेम के साथ बिना वेरीफाइड ट्विटर हैन्डल मिला. जिसके बायो में 'आधिकारिक ट्विटर हैंडल दिल्ली वक्फ बोर्ड का (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार)' लिखा हुआ है.
वायरल स्क्रीनशॉट में ट्वीट का समय 19 सितंबर 2022 को सुबह के 9 बजकर 21 मिनट लिखा हुआ है. जबकि आधिकारिक हैन्डल पर इस समय का कोई ट्वीट नहीं मिला.
बूम ने दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली वक्फ़ बोर्ड की ओर से स्टैन्डींग काउन्सल और सुप्रीम में वकील वजीह शाफ़िक से संपर्क किया तो उन्होंने कहा- ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, न ही इस तरह की कोई योजना है. ये झूठ है और एक समुदाय के खिलाफ़ घृणा फैलाने की कोशिश है.
उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा कुछ होता भी तो सुप्रीम कोर्ट में नहीं दिल्ली हाई कोर्ट में जाता है.
आगे दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड का आधिकारिक ट्विटर हैंडल वेरीफ़ाइड नहीं है. जबकि वायरल स्क्रीनशॉट में वेरीफ़ाइड दिख रहा है.
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