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फैक्ट चेक

क्या दिल्ली सरकार के स्कूलों पर न्यूयॉर्क टाइम्स का लेख एक पेड प्रमोशन है?

न्यूयॉर्क टाइम्स ने वायरल दावे को ख़ारिज करते हुए बूम को स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार के स्कूलों पर लेख उनकी न्यूज़ कवरेज का हिस्सा है नाकि पेड प्रमोशन.

By - Archis Chowdhury | 21 Aug 2022 2:50 PM IST

दिल्ली सरकार के स्कूलों की स्थिति में सुधार के लिए आम आदमी पार्टी के प्रयासों पर न्यूयॉर्क टाइम्स के हालिया लेख के बाद, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी और न्यूज़ चैनल आज तक ने दावा किया कि न्यूयॉर्क टाइम्स की कवरेज एक समाचार नहीं बल्कि एक पेड प्रमोशन का हिस्सा था.

दिल्ली में विपक्षीय दलों और आज तक ने यह दावा ख़लीज टाइम्स की रिपोर्ट के आधार पर किया जब संयुक्त अरब अमीरात स्थित समाचार पत्र ने अगले दिन न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख को हूबहू प्रकाशित किया.

बूम ने पाया कि वायरल दावा ग़लत है. हमने पाया कि ख़लीज टाइम्स का लेख न्यूयॉर्क टाइम्स लेख का एक रिपब्लिश्ड वर्ज़न था जिसका श्रेय न्यूयॉर्क टाइम्स और पत्रकार करण दीप सिंह को दिया गया था. इसके अलावा, बूम ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक्सटर्नल कम्युनिकेशन डायरेक्टर निकोल टेलर से भी संपर्क किया, जिन्होंने लेख के विज्ञापन, या पेड प्रमोशन का हिस्सा होने के दावों का खंडन किया और पुष्टि की कि यह एक समाचार कवरेज का हिस्सा था. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि ख़लीज टाइम्स का लेख न्यूयॉर्क टाइम्स की न्यूज़ स्टोरी का पुनर्प्रकाशन (रिपब्लिकेशन) था.

"दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयासों के बारे में हमारी रिपोर्ट निष्पक्ष, ऑन-द-ग्राउंड रिपोर्टिंग पर आधारित है, और शिक्षा एक ऐसा मुद्दा है जिसे द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कई वर्षों से कवर किया है. द न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकारिता हमेशा से स्वतंत्र, राजनीतिक या विज्ञापनदाता प्रभाव से मुक्त है. अन्य समाचार आउटलेट नियमित रूप से हमारे कवरेज को लाइसेंस और पुनर्प्रकाशित करते हैं," टेलर ने बूम को बताया.

बोलीविया में प्रदर्शन का वीडियो ग़लत दावे के साथ कश्मीर से जोड़कर वायरल

न्यूयॉर्क टाइम्स के पहले पन्ने पर 19 अगस्त, 2022 को छपे लेख के एक दिन बाद सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर छापे मारा था. इसके बाद, सोशल मीडिया पर अमेरिकी अख़बार के लेख की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वाले दावों की बाढ़ आ गई. दावा किया जाने लगा कि लेख एक पेड प्रमोशन है.

सोशल मीडिया पर यह भी दावा किया गया कि लेख में दिल्ली के सरकारी स्कूल की नहीं बल्कि एक निजी स्कूल की तस्वीरें प्रकाशित की गई थीं. हमने इस दावे का फ़ैक्ट चेक किया है. यहां पढ़ें.

बीजेपी के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय पेड प्रमोशन का ग़लत दावा करने वालों में से एक थे. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री और 'आप' सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का एक क्लिप किया हुआ वीडियो शेयर किया जिसमें उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है कि अमेरिकी अख़बार में स्टोरी प्रकाशित कराना मुश्किल है. अमित मालवीय ने ट्वीट में लिखा "ऐसा कैसे है कि न्यूयॉर्क टाइम्स और ख़लीज टाइम्स दिल्ली के गैर-मौजूद शिक्षा मॉडल पर एक ही लेख, शब्द दर शब्द, एक ही व्यक्ति द्वारा लिखे गए, एक ही चित्र (वह भी एक निजी स्कूल के) ले जाते हैं? अरविंद केजरीवाल का सबसे अच्छा बचाव कुछ भी नहीं है लेकिन पेड प्रमोशन है."


ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न देखने के लिए यहां क्लिक करें.

ऐसा ही दावा बीजेपी दिल्ली आईटी सेल हेड पुनीत अग्रवाल, आल इंडिया किसान कांग्रेस के चेयरमैन सुखपाल सिंह खैरा और गौरव पांधी ने किया. 

इसके अलावा, हिंदी समाचार चैनल आज तक ने भी एक ट्वीट शेयर किया, जिसमें एंकर सुधीर चौधरी न्यूयॉर्क टाइम्स और ख़लीज टाइम्स के एक जैसे लेख होने पर सवाल उठाते हैं. सुधीर चौधरी के अनुसार, यह इंगित करता है कि यह पेड प्रमोशन है.

ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न देखने के लिए यहां क्लिक करें.

कपिल मिश्रा का दावा निकला फ़र्ज़ी, NYT में छपी फ़ोटो दिल्ली के सरकारी स्कूल की है

फ़ैक्ट चेक 

बूम ने सबसे पहले न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख के डिजिटल वर्ज़न को देखा. हमें इसके स्पोंसर्ड होने या पेड प्रमोशन का हिस्सा होने का कोई उल्लेख नहीं मिला.


इसके अलावा, न्यूयॉर्क टाइम्स के 'संपादकीय मानकों' के अनुसार, जैसा कि समाचार आउटलेट की वेबसाइट पर उल्लेख किया गया है, समाचार में शामिल लोगों को किसी भी विज्ञापन कार्य में शामिल होने से बचना होगा. इसलिए, अपने स्वयं के दिशानिर्देशों के अनुसार, करण दीप सिंह- प्रकाशन के लिए समाचार लिखने वाले दिल्ली स्थित पत्रकार, और लेख के लेखक, इसे पेड प्रमोशन के हिस्से के रूप में नहीं लिख सकते हैं.

फिर हमने ख़लीज टाइम्स की डिजिटल कॉपी की तलाश की. इस लेख में भी पेड या स्पोंसर्ड कंटेंट का हिस्सा होने का कोई ज़िक्र नहीं था.


ख़लीज टाइम्स की स्टोरी ने न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ-साथ इसके पत्रकार करण दीप सिंह को लेख का श्रेय दिया, यह दर्शाता है कि लेख पुनर्प्रकाशित किया गया था.

इसके बाद बूम ने न्यूयॉर्क टाइम्स से एक पेड प्रमोशन का हिस्सा होने वाले लेख के वायरल दावों पर टिप्पणी के लिए संपर्क किया, जिसे तब NYT के एक्सटर्नल कम्युनिकेशन डायरेक्टर निकोल टेलर ने ख़ारिज कर दिया था. उन्होंने हमें पुष्टि की कि लेख एक समाचार कवरेज था, और ख़लीज टाइम्स का लेख एक पुनर्प्रकाशन (रिपब्लिकेशन) था.

"दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयासों के बारे में हमारी रिपोर्ट निष्पक्ष, ऑन-द-ग्राउंड रिपोर्टिंग पर आधारित है, और शिक्षा एक ऐसा मुद्दा है जिसे द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कई वर्षों से कवर किया है. द न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकारिता हमेशा स्वतंत्र है, राजनीतिक या विज्ञापनदाता प्रभाव मुक्त है." टेलर ने बूम को बताया.

ख़लीज टाइम्स का लेख सिंडिकेटेड कंटेंट का एक उदाहरण है जहां आमतौर पर बड़े समाचार प्रकाशक अन्य समाचार आउटलेट्स को सदस्यता शुल्क और उचित रिपोर्टिंग क्रेडिट के बदले में अपने कंटेंट को फिर से प्रकाशित करने की अनुमति देते हैं.

न्यू यॉर्क टाइम्स, रॉयटर्स, एसोसिएटेड प्रेस, ब्लूमबर्ग, वॉल स्ट्रीट जर्नल आदि जैसे समाचार आउटलेट विश्व स्तर पर प्रकाशकों को अपने कंटेंट का सिंडिकेटेड फीड प्रदान करते हैं.

भारत में, एशियन न्यूज इंटरनेशनल (एएनआई) और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) जैसी वायर सेवाएं भारतीय समाचार आउटलेट्स को समान सेवाएं प्रदान करती हैं.

हमने इस मामले पर टिप्पणी के लिए ख़लीज टाइम्स से संपर्क किया है. हमें उनकी प्रतिक्रिया मिलते है उसे रिपोर्ट में अपडेट कर दिया जायेगा.

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