पिछले सप्ताह भी हर बार की तरह फ़र्ज़ी खबरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल रहीं. हालांकि बूम ने गए हफ़्ते कई खबरों को फ़ैक्ट चेक किया, पर इस रिपोर्ट में हम उन पांच खबरों को कवर करेंगे जो काफ़ी महत्वपूर्ण थी और काफ़ी वायरल भी.
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान और अफ़ग़ान सेना के संघर्ष को कवर कर रहे रॉयटर्स के फ़ोटो जर्नलिस्ट और पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता दानिश सिद्दीक़ी की मौत हो गई. दानिश की मृत्यु के बाद सोशल मीडिया पर उनसे और उनके काम से जुड़ी तमाम फ़र्ज़ी बातें वायरल होने लगीं. रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर भी एक वीडियो बहुत वायरल रहा. महाराष्ट्र सरकार के 'शक्ति बिल' से संबंधित फ़र्ज़ी खबरें भी वायरल रहीं और फ़र्ज़ी खबरों से अमूल भी ना बच सका.
1. वायरल पोस्ट का फ़र्ज़ी दावा, दानिश सिद्दीकी ने मुनाफ़े के लिए श्मशान की तस्वीरें बेचीं
बूम ने पाया कि गेटी, रॉयटर्स, एएफ़पी, एसोसिएटेड प्रेस और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया जैसी फ़ोटो एजेंसियों के फ़ोटो जर्नलिस्ट एक निश्चित वेतन पर अपने पेरोल पर होते हैं. तस्वीरों की कीमत तय करने में फ़ोटो जर्नलिस्ट की कोई भूमिका नहीं होती है. दानिश सिद्दीक़ी भी रॉयटर्स के वेतनभोगी पत्रकार थे इसलिये उनकी खींची तस्वीरों के सारे अधिकार रॉयटर्स के पास हैं न कि उनके पास.
वायरल पोस्ट का फ़र्ज़ी दावा, दानिश सिद्दीकी ने मुनाफ़े के लिए श्मशान की तस्वीरें बेचीं
2. सोशल मीडिया पर वायरल यह तस्वीर असल में कहां से है
बीते दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक प्रस्तावित किया. इसमें दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी योजना और अनुदान में लाभ नहीं मिलेगा. बांग्लादेश के रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी परिवार की तस्वीर इस विधेयक से जोड़कर ग़लत संदर्भ के साथ वायरल की गई.
सोशल मीडिया पर वायरल यह तस्वीर असल में कहां से है
3. गौमांस खाने वाले 1.38 लाख कर्मचारियों को अमूल कंपनी ने निकाला? फ़ैक्ट चेक
पिछले हफ़्ते वायरल हुई इस ख़बर की पड़ताल करते हुए बूम ने पाया कि अमूल कंपनी का कोई मालिक ही नहीं है. अमूल एक कोऑपरेटिव संस्था है जिसे कई लोग मिलकर चलाते हैं. अमूल के ही एक अधिकारी ने बूम को बताया कि ये ख़बर झूठ है. उन्होंने कहा कि हमारे पास इतने कर्मचारी ही नहीं हैं तो निकालेंगे कहाँ से!
गौमांस खाने वाले 1.38 लाख कर्मचारियों को अमूल कंपनी ने निकाला? फ़ैक्ट चेक
4. क्या कोलकाता में रोहिंग्या मुस्लिमों ने हिन्दुओं का नरसंहार किया है? फ़ैक्ट चेक
बूम ने पाया कि वायरल क्लिप को 2017 की ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट से लिया गया है और जिस घटना की रिपोर्ट की जा रही है वह म्यांमार के रख़ाइन प्रांत में हुई थी. इस घटना का पश्चिम बंगाल और वहाँ चुनाव के बाद हुई हिंसा से कोई लेना देना नहीं है. इसके साथ किया गया रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा हिंदू परिवारों के नरसंहार का दावा फ़र्ज़ी है.
क्या कोलकाता में रोहिंग्या मुस्लिमों ने हिन्दुओं का नरसंहार किया है? फ़ैक्ट चेक
5. महाराष्ट्र कैबिनेट ने दी Shakti Bill को मंज़ूरी? फ़ैक्ट चेक
बूम ने पाया कि Shakti Bill को विधानसभा की संयुक्त समिति को सौंपा गया है और इस समिति को इसे जाँचने परखने की ज़िम्मेदारी दी गई है तथा इसकी डेडलाइन अगले विधानसभा सत्र के आख़िरी दिन तक बढ़ा दी गई है. मतलब ये कि बिल अभी विधानसभा में ना ही पेश किया गया है और न ही पारित हुआ है.
बिल का फ़ाइनल ड्राफ़्ट बनाने के लिये एक संयुक्त समिति बनाई गई जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के 21 लोग शामिल हैं. इस समिति को बिल का फ़ाइनल ड्राफ़्ट तैयार करना है.