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फैक्ट चेक

वायरल पोस्ट का फ़र्ज़ी दावा, दानिश सिद्दीकी ने मुनाफ़े के लिए श्मशान की तस्वीरें बेचीं

रॉयटर्स के फ़ोटो जर्नलिस्ट ने भारत में कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कवर करने के एक हिस्से के रूप में श्मशान घाटों की तस्वीरें लीं और उन्हें मुनाफ़े के लिए नहीं बेचा.

By - Dilip Unnikrishnan |
Published -  17 July 2021 4:37 PM IST
  • वायरल पोस्ट का फ़र्ज़ी दावा, दानिश सिद्दीकी ने मुनाफ़े के लिए श्मशान की तस्वीरें बेचीं

    अफ़ग़ानिस्तान में फ़ोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत की ख़बर से देश-विदेश के पत्रकार शोक में हैं. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ा एक फ़र्ज़ी दावा वायरल हो रहा है. यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि दानिश सिद्दीकी ने मुनाफ़े के लिए विदेशी मीडिया आउटलेट्स को कोविड-19 पीड़ितों के सामूहिक अंतिम संस्कार की तस्वीरें बेचीं हैं.

    दानिश सिद्दीकी, रॉयटर्स में बतौर फ़ोटो जर्नलिस्ट काम कर रहे थे. उन्होंने भारत में कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कवर करने के हिस्से के रूप में तस्वीरें लीं थीं, नाकि मुनाफ़े के लिए तस्वीरें बेचीं थीं.

    दानिश सिद्दीकी को 16 जुलाई को अफ़ग़ानिस्तान में उस समय मार दिया गया था जब वह अफ़ग़ान बलों और तालिबान के बीच स्पिन बोल्डक में एक प्रमुख सीमा क्रासिंग के पास चल रहे संघर्ष को कवर कर रहे थे.

    The vulture of journalism pic.twitter.com/O7s7MAN3iZ

    — Kreately.in (@KreatelyMedia) July 16, 2021

    ट्वीट का आर्काइव यहां देखें.

    दक्षिणपंथी झुकाव वाली लेखिका शेफ़ाली वैद्य ने भी दानिश सिद्दीकी पर अंतिम संस्कार की चिता पर तस्वीरें बेचने का आरोप लगाया. शेफ़ाली वैद्य अक्सर सांप्रदायिक रूप से आरोपित बयान देती रहती हैं और ट्विटर पर फ़र्ज़ी सूचना फैलाती हैं.

    Wasn't this Danish Siddiqui the same guy who was selling pics of funeral pyres during peak Covid for money?

    — Shefali Vaidya. 🇮🇳 (@ShefVaidya) July 16, 2021

    ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

    Danish Siddhiqui, who clicked these Funeral pics, sold them and made huge money got killed by Taliban in Afghanistan😂🙏 pic.twitter.com/mPajMAhlJN

    — squineon (@squineon) July 16, 2021

    ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.


    ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

    Vulture Journalism at its Peak.

    Journalist are selling cremation pictures for
    Rs. 23,000/- on British-American website- Getty Images.#PresstituteMedia pic.twitter.com/e7r2uPAKqM

    — Manish Pal 🇮🇳 (@manishpal_) April 29, 2021

    ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

    'मुनाफ़े के लिए बेचना'

    गेटी, रॉयटर्स, एएफ़पी, एसोसिएटेड प्रेस और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया जैसी फ़ोटो एजेंसियों के फ़ोटो जर्नलिस्ट एक निश्चित वेतन पर अपने पेरोल पर होते हैं. किसी भी अन्य मीडिया या क्रिएटिव एजेंसी की तरह ही कर्मचारियों द्वारा बनाया या प्रकाशित किये गए कंटेंट का कमर्शियल राइट्स एजेंसी के स्वामित्व में होता है, जबकि कर्मचारी क्रिएटिव राइट्स रखते हैं.

    ये एजेंसियां उपयोगकर्ताओं को एक निश्चित मूल्य पर न्यूज़ इवेंट की प्रासंगिकता या महत्व की परवाह किए बिना तस्वीरें खरीदने की अनुमति देती हैं. एकमुश्त खरीदारी के रूप में फ़ोटो खरीदने के अलावा, एजेंसियों की सदस्यता दरें भी होती हैं जो मीडिया संगठनों को मासिक या वार्षिक आधार पर एक निश्चित मूल्य के लिए तस्वीरों का उपयोग करने की अनुमति देती हैं.

    तस्वीरों की कीमत तय करने में फ़ोटो जर्नलिस्ट की कोई भूमिका नहीं होती है.

    दानिश सिद्दीकी रॉयटर्स में कार्यरत थे. अपनी निजी वेबसाइट पर, सिद्दीकी स्पष्ट करते हैं कि तस्वीरों के अधिकार उनके और रॉयटर्स के पास हैं.

    वेतनभोगी कर्मचारियों के अलावा, एजेंसियां तस्वीरें प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र फ़ोटो जर्नलिस्ट और छोटी समाचार एजेंसियों के साथ भी गठजोड़ करती हैं.

    जबकि स्वतंत्र फ़ोटो जर्नलिस्ट को बिक्री का एक हिस्सा मिल सकता है, वेतनभोगी फ़ोटो जर्नलिस्ट को मुनाफ़े का कोई हिस्सा नहीं मिलता है.

    'तस्वीरें 23,000 रुपये में बिकी'

    कई देशों और क्षेत्रों में, फ़ोटो एजेंसियां समाचार कार्यक्रमों के लिए संसाधनों को साझा करने के लिए स्थानीय मीडिया संगठनों के साथ गठजोड़ करती हैं. इस सेट अप को प्रेस पूल कहा जाता है. सभी मीडिया संगठन जो किसी विशेष प्रेस पूल का हिस्सा हैं, किसी दिए गए ईवेंट की तस्वीरों का उपयोग और साझा कर सकती हैं, भले ही उन्होंने तस्वीरें स्वयं न खींची हो.

    भारत में, गेटी इमेजेज़ ने स्वतंत्र फ़ोटोग्राफरों को एक मंच प्रदान करते हुए तस्वीरों को साझा करने के लिए हिंदुस्तान टाइम्स, एएफ़पी और नूरफ़ोटो के साथ डील किया है.

    रॉयटर्स का गेटी इमेजेज़ के साथ फ़ोटो-शेयरिंग डील नहीं है. इसके अलावा, एक रॉयटर्स कर्मचारी होने के नाते, दानिश सिद्दीकी अनुबंधित रूप से अन्य एजेंसियों या मीडिया संगठनों को तस्वीरों को क्लिक या बेचने के लिए बाध्य नहीं थे.

    गेटी इमेजेज़ वेबसाइट के स्क्रीनशॉट में दानिश सिद्दीकी द्वारा क्लिक की गई तस्वीरें नहीं हैं. तस्वीरों को एएफ़पी स्टाफ़ फ़ोटो जर्नलिस्ट मनी शर्मा ने क्लिक किया था.

    Embed from Getty Images


    Embed from Getty Images

    अप्रैल 2021 में, नई दिल्ली में सामूहिक दाह संस्कार पर दानिश सिद्दीकी की फ़ोटो स्टोरी वायरल हुई. सिद्दीकी ने दिल्ली में श्मशान घाटों में कोरोना महामारी के प्रभाव को दिखाने के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल किया था.

    दानिश सिद्दीकी की तस्वीर का इस्तेमाल अल जज़ीरा, द टाइम्स और स्काई न्यूज जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स ने किया था.


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    Tags

    ReutersPhoto JournalistDanish SiddiquiFake NewsFact CheckViral Images
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    Claim :   फ़ोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी ने मुनाफ़े के लिए हिंदू दाह संस्कार की तस्वीरें बेचीं.
    Claimed By :  Social Media Posts
    Fact Check :  False
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