फैक्ट चेक

तबरेज़ अंसारी की मौत का बदला लेने रोड पर उतरी भीड़ का यह वीडियो डॉक्टर्ड है

तबरेज़ अंसारी की मौत के लिए आरएसएस कार्यकर्ताओं से बदला लेने की मांग करने वाले नारे दो साल पुराने मुहर्रम जुलूस के वीडियो में जोड़े गए हैं । सुदर्शन न्यूज़ ने डॉक्टर्ड क्लिप को शेयर किया है

By - Sumit | 10 July 2019 4:11 PM IST

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मुहर्रम के जुलूस का एक पुराना वीडियो तेजी से शेयर किया जा रहा है। वीडियो में लोगों को तलवारें लहराते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो डॉक्टर्ड है और इसके साथ फ़र्ज़ी दावा किया जा रहा है कि भीड़ ने तबरेज अंसारी की मौत का बदला लेने की मांग की है। पिछले महीने झारखंड में तबरेज़ को चोरी के संदेह में भीड़ द्वारा पीटा गया था और 'जय श्री राम' और 'जय हनुमान' का जाप करने के लिए मजबूर किया गया था। अंसारी ने 22 जून को पुलिस हिरासत में दम तोड़ दिया था।

सुदर्शन न्यूज़ के 'लोगो' के साथ 30 सेकंड लंबे वीडियो में भीड़ को तलवार और हॉकी स्टिक के साथ देखा जा सकता है। साथ 'तबरेज़ के हत्यारों को गोली मारो, नारा-ए-तकबीर ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद, अल्लाह-हू-अकबर, हाफ पैंट वालों को गोली मारो, तबरेज तुम्हारा खून क्रांति लाएगा’, जैसे नारे भी सुने जा सकते हैं। इस क्लिप को एक कैप्शन के साथ शेयर किया गया है जिसमें दावा किया गया है, “पूरे भारत मे मज़हबी उन्मादियों का ख़ौफनाक रूप सड़को पर नंगी तलवारों के साथ लग रहे नारे- चड्ढा चड्ढी वालों को, गोली मारो, सालों को मौत का इशारा #RSS व अन्य हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं की तरफ़।”

इसे सुदर्शन न्यूज़ के फ़ेसबुक पेज पर भी पोस्ट किया गया था। पोस्ट के अर्काइव्ड वर्शन को देखने के लिए यहां क्लिक करें।

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वीडियो को ट्विटर और फ़ेसबुक पर व्यापक रूप से शेयर किया गया है।

( सुदर्शन न्यूज हैंडल पर से मूल ट्वीट को हटा दिया गया है )
( फ़ेसबुक पर वायरल )

फ़ैक्ट चेक

बूम ने वीडियो को कीफ्रेम में तोड़ा और उन पर एक रिवर्स इमेज सर्च चलाया। हम एक यूट्यूब लिंक तक पहुंचे, जिसमें 2017 में प्रकाशित वही वीडियो था।

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वीडियो के साथ एक कैप्शन में लिखा है ‘देहरी ऑन सोन मुहर्रम 2017।’ देहरी बिहार का एक जिला है। जब बूम ने 2017 में मुहर्रम की तारीखों की जांच की, तो हमने पाया कि इसे 21 सितंबर से 19 अक्टूबर के बीच यह मनाया गया था। वीडियो 11 नवंबर को अपलोड किया गया था। 28 सेकंड के लंबे वीडियो में वायरल वीडियो की तरह कोई नारेबाजी नहीं है। इसके बजाय, माइक पर, ‘चलते रहो, चलते रहो’ की घोषणा करते हुए सुन सकता है। एक मुहर्रम समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए, वीडियो के अंत में कुछ आवाज सुनी जा सकती है।

बूम इस तथ्य को स्थापित करने में सक्षम था कि तबरेज़ अंसारी की मृत्यु से बहुत पहले यह वीडियो इंटरनेट पर था। साथ ही, वीडियो में दुर्भावनापूर्वक छेड़छाड़ की गई है और नारों को बाहरी रूप से जोड़ा गया है।

अन्य वीडियो

बूम को एक और यूट्यूब लिंक भी मिला जिसमें यही वीडियो शेयर किया गया है लेकिन एक अलग वॉयस-ओवर दी गई है। इस वीडियो के बैकग्राउंड ट्रैक में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर पर एक गीत था।

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यह डॉक्टर्ड वीडियो 2018 में यूट्यूब पर अपलोड किया गया था।

वही नारे लेकिन एक दूसरा वीडियो

बूम को मोटरसाइकिल प्रदर्शनकारियों के समूह का एक और वीडियो मिला जिसमें यही नारे सुनाई देते हैं जो वायरल मुहर्रम वीडियो में इस्तेमाल किये गए हैं।

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इस वीडियो में प्रदर्शनकारियों को 'तबरेज़ के हत्यारों को मारों, नारा-ए-तकबीर ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद, अल्लाह-हु-अकबर, चड्डे वालों को मारों, तबरेज़ तुम्हारा खून क्रांति लाएगा' कहते हुए सुना जा सकता है |

बूम ने एस.दी.पी.आई के कार्यालय में संपर्क किया ताकि और जानकारी मिल सके | पार्टी कार्यालय से एक अधिकृत व्यक्ति ने बताया की एस.दी.पी.आई ने कई प्रदर्शन किये थे जिसमें तबरेज़ की मौत के लिए इंसाफ़ की मांग की गयी थी | हालांकि इस वीडियो के बारे में अलग से जानकारी देने में वो असफ़ल रहे |

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