इंटरनेट पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन से जुड़ी कई ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से फैली कि कई फ़ैक्टचेकर्स के लिए भी इसे पकड़ना मुश्किल हो गया। इस तरह की ग़लत सूचनाओं में से एक है ग़लत पहचान का मामला। सोशल मीडिया पर अक्सर विरोध प्रदर्शनों से जुड़ी वायरल वीडियो और तस्वीरों में दिखने वाले लोगों की ग़लत पहचान की गई और लोग अक्सर जल्दबाजी में निष्कर्ष पर पहुंचे।
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बूम आपके लिए ऐसे पांच उदाहरण लेकर आया है जब समान दिखने वाली तस्वीरों का इस्तेमाल ग़लत सूचना फैलाने के लिए किया गया था।
1. क्या सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान गश्त लगाने वाला दिल्ली पुलिसकर्मी आरएसएस कार्यकर्ता है?
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी का वीडियो वायरल हुआ जिसमें उनके बैज ना पहनने पर सवाल किए गए। उनकी तस्वीर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य की एक पुरानी तस्वीर के साथ शेयर की गयी और दावा किया गया कि आरएसएस का सदस्य पुलिसवर्दी में काम कर रहा था।
हमारे फ़ैक्टचेक ने पाया कि पुलिस अधिकारी का नाम विनोद नारंग हैं, जो कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर हैं, जबकि आरएसएस कार्यकर्ता अशोक डोगरा हैं और राजस्थान भाजपा के नेता हैं।
ध्यान से देखने पर दोनों थोड़े-बहुत एक जैसे दिख सकते हैं, इसके अलावा दोनों के बीच कोई समानता नहीं है।
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2. एबीवीपी के छात्र नेता भरत शर्मा दिल्ली पुलिस के रुप में सामने आए और प्रदर्शनकारियों की पिटाई की?
कथित तौर पर दिल्ली पुलिस द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र प्रदर्शनकारियों की पिटाई करने के आरोपों के बाद, तीन तस्वीरों का एक सेट वायरल होने लगा। एक तस्वीर में एक शख़्स को दिखाया गया, जिसने सादे कपड़े और दंगा विरोधी वर्दी पहनी थी, दूसरी तस्वीर में सादे कपड़े पहने पुलिसकर्मी को महिला-प्रदर्शनकारियों की पिटाई करते हुए दिखाया गया और तीसरे तस्वीर में प्रदर्शनकारी को लात मारते हुए दिखाया गया।
इन तीनों तस्वीरों को एबीवीपी नेता भरत शर्मा की फ़ोटो बताते हुए शेयर किया गया था।
बूम ने पाया कि केवल एक तस्वीर जिसमें शख़्स को प्रदर्शकारी को लात मारते हुए दिखाया गया है, वह शर्मा की है जबकि अन्य तस्वीरों में वास्तविक दिल्ली पुलिस अधिकारी थे। दिल्ली पुलिस ने बूम को पुष्टि की कि अधिकारियों में से एक अरविंद कुमार था, जो कि एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वाड के साथ एक कांस्टेबल था।
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3. पुलिस का सामना करने वाली जामिया की महिला छात्रा के साथ राहुल गांधी ने फ़ोटो ली?
केरल में एक स्कूली छात्र के साथ बातचीत करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की एक तस्वीर भ्रामक दावों के साथ वायरल हुई थी। सफा फीनिन नाम की छात्रा जिसे गांधी ने एक भाषण का अनुवाद करने में मदद करने के लिए मंच पर बुलाया था, उसकी ग़लत पहचान करते हुए आईशा रैना बताया गया था, दो छात्राओं में से एक जो जामिया में सीएए विरोध प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस का मुकाबला करने सामने आई थी।
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4. पत्थरबाजी करने के लिए यूपी पुलिस ने मौलाना को पीटा?
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद, सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें तेजी से फैलाई गई। एक तस्वीर में घायल मुस्लिम धर्मगुरु को दिखाया गया जिन्हें कथित रूप से पुलिस ने पीटा था, जबकि दूसरी तस्वीर में कानपुर में पत्थर फेंकते एक व्यक्ति की थी, जो मौलवी की तरह दिखता था।
बूम ने पाया कि दो तस्वीरें एक ही आदमी की नहीं है। पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारी की तस्वीर कानपुर से है, जबकि दूसरी तस्वीर कानपुर से 500 किलोमीटर दूर मुज़्ज़फरनगर के मौलाना असद हुसैनी की है।
पथराव करने वाले की छवि हिंदुस्तान टाइम्स के लखनऊ एडिशन से है, जिसमें एक अज्ञात उपद्रवी दिखाई दे रहा है, जबकि दूसरी तस्वीर में मौलाना हुसैनी को दिखाया गया है जो कथित तौर पर यूपी पुलिस की हिरासत में गंभीर रूप से घायल हुए थे।
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5. सीएए विरोध में मुस्लिम राजनेता ने एक हिंदू का रुप धरा?
एक महिला राजनेता, सबिहा खान का फोटो यह दावा करते हुए वायरल किया कि उन्होंने हिंदू महिला, स्वाति होने का दिखावा किया और दिल्ली में एक एंटी-सीएए विरोध में भाग लिया। कई ऑनलाइन पोस्ट में उन्हें बहुरूपिया कहा गया। बूम ने पाया कि विरोध करने वाली महिला स्वाति हैं और वो दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की छात्रा थी, जबकि महिला राजनेता मुंबई में एक स्थानीय नेता और एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) की पूर्व सदस्य हैं।
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