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फ़ैक्ट चेक

असंबंधित तस्वीरें जोड़कर शाहीनबाग़ में कंडोम मिलने का किया जा रहा है दावा

बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर कम से कम तीन साल पुरानी है और शाहीन बाग़ की नहीं है।

By - Anmol Alphonso | 24 Feb 2020 1:20 PM GMT

ज़मीन पर बिखरे पड़े कंडोम की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर झूठे दावे के साथ शेयर की जा रही है। तस्वीरों के साथ ऐसा दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के शाहीन बाग के पीछे एक नाले की सफाई के दौरान नगरपालिका कर्मियों द्वारा ये कंडोम पाए गए थे। हम बता दें कि शाहीनबाग में महिलाओं के नेतृत्व में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है।

वायरल तस्वीर को एक कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसमें लिखा है, "नगर निगम के कर्मचारियों ने शाहीन बाग के पीछे नाला साफ करते हुए यह दृश्य देखा।"


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फेसबुक पर वायरल

हमने इसी कैप्शन की खोज फेसबुक पर की और पाया कि यह तस्वीर फेसबुक पर भ्रामक कैप्शन के साथ वायरल है।


ट्वीटर

अर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें।

फ़ैक्ट चेक

हमने यैंडेक्स का इस्तेमाल करते हुए एक रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया कि वायरल तस्वीर 2016 से मौजूद है, यानी तीन साल से ज्यादा पुरानी है| इसके अलावा यह तस्वीरें दिल्ली के शाहीन बाग़ से भी नहीं है, जैसा कि सोशल मीडिया पोस्ट पर दावा किया जा रहा है।

खोज परिणामों से पता चला कि तस्वीर ngamvn.net नामक वेबसाइट से ली गई थी, जिसमें वायरल तस्वीर के साथ वही टेक्स्ट वॉटरमार्क है और वियतनामी में लिखा कैप्शन है। कैप्शन का हिंदी अनुवाद कुछ इस प्रकार है, "वैलेंटाइन लोगों ने बहुत बुलबुले उड़ाए।"

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लेख में शामिल तस्वीर में वही टेक्स्ट (Tran minh hieu" ) लिखा हुआ देखा जा सकता है जो वायरल तस्वीर में है।

इसके अलावा, हमने पाया कि यह तस्वीर सबसे पहले लहंमहं नामक एक वेबसाइट पर देखी गई है। वेबसाइट में इस तस्वीर का इस्तेमाल एक लेख में किया गया है, जिसके साथ वियतनामी में हेडलाइन दिया गया है। हेडलाइन का हिंदी अनुवाद कुछ ऐसा है, "पुरुषों के डॉरमेट्री के अंदर" गुलाबी "जीवन के बारे में चौंकाने वाले खुलासे।"




यह देखा जा सकता है कि लेख तीन साल पहले प्रकाशित किया गया था और तस्वीर के साथ वियतनामी में दिए गए कैप्शन में लिखा गया था, "पुरुष छात्रों के आधे खाली कचरे के बैग के राज?" इस तस्वीर में वॉटरमार्क किए गए शब्द नहीं हैं जैसा कि वायरल तस्वीर में शेयर किया जा रहा है।


हमने रिवर्स इमेज सर्च इंजन, इमेज थ्रू टिन आई चलाया, जिससे पता चलता है कि यह तस्वीर 16 मई, 2016 की है।


बूम स्वतंत्र रूप से तस्वीर की उत्पत्ति को सत्यापित नहीं कर सका, हालांकि, हमने पाया कि तस्वीर पुरानी है और शाहीन बाग़, दिल्ली से नहीं है जैसा कि सोशल मीडिया पर दावा किया गया है।

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15 दिसंबर, 2019 को संसद के दोनों सदनों में सीएए के पारित होने के बाद, शाहीन बाग़ इलाके की मुस्लिम महिलाओं के नेतृत्व में चौबीसों घंटे धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। जैसे ही दिन बीते, विरोध प्रदर्शन को उस जगह के नाम से जाना जाने लगा, जहां यह शुरू हुआ था| इन 66 दिनों में, विरोध से संबंधित कई फर्जी ख़बरें फैलाई गई हैं।

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