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फ़ैक्ट चेक

नहीं, कृषि बिल्स पारित होते ही अडानी का यह साइलो नहीं बनाया गया है

पंजाब के मोगा जिले में यह साइलो साल 2007 में बनाया गया था जैसे कि कंपनी के एक मुख्य अधिकारी ने बूम को बताया

By - Saket Tiwari | 25 Sep 2020 9:55 AM GMT

संसद में हाल ही में कृषि सम्बन्धी तीन बिल पेश किये गए | इनमें से दो संसद के दोनों सदनों में पारित हो गये | इससे जोड़कर काफ़ी विरोध प्रदर्शन भी हुए | इसी बीच मोगा, पंजाब स्थित अडानी ग्रुप के साइलो के रास्ते पर लगे एक बोर्ड की तस्वीर वायरल है | दावा है कि बिल्स पारित होते ही अडानी समूह ने यह बोर्ड लगाया है |

यह दावा फ़र्ज़ी है | बूम ने अडानी ग्रुप के टर्मिनल ऑपरेशन्स के वाईस प्रेजिडेंट पुनीत मेहंदीरत्ता से बात की जिन्होंने वायरल दावों को ख़ारिज किया और बताया कि मोगा में साइलो 2007 से स्थित है ना कि रातों रात बनाया गया है |

कृषि सुधार विधेयकों पर चर्चा क्यों हो रही है?

वायरल हो रहे दावों में से कुछ यूँ हैं: "किसानों का धरना खत्म नहि हुवा अदानी ने अपना बोड़ लगा दिया इसीलिए संसद में बिना पूछे बिल पास कर दि सरकार थूकता है भारत" | (Sic)

इसके अलावा एक ट्विटर यूज़र बोर्ड की तस्वीर के साथ लिखता है: "What say about this..बिल पास हुए 2 दिन नहीं हुए ये बोर्ड पहले लगा दिया ,, अध्यादेश अदानी ने लिखकर दिए थे @nstomar और @narendramodi जी को शायद। @jayantrld @ramanmann1974 @Devinder_Sharma @boxervijender @RLD_IT" (Sic)

कुछ पोस्ट्स यहाँ, यहाँ और यहाँ देखें और इनके आर्काइव्ड वर्शन यहाँ, यहाँ और यहाँ देखें |


कांग्रेस नेता अलका लम्बा ने यही तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया है कि: "काँग्रेस ने किसानों को सदा सम्मान-संसाधन दिये,आधुनिक खेती के अवसर दिए,उनके मुद्दों/मांगों को सुनकर हमेशा निर्णय लिए. 2014 में अच्छे दिन के झांसे में आकर युवाओं-किसानों ने खुद के पैर पर जैसे कुल्हाड़ी मार ली हो,लेकिन अभी भी वक़्त है, एक होकर लड़ना होगा,तानाशाह सत्ता को चेतना होगा."


फ़ेसबुक पर भी यही तस्वीर वायरल है परन्तु फ़ेसबुक पर दावा भ्रामक है | 

किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज बताकर पुरानी तस्वीर फ़र्जी दावे के साथ वायरल

फ़ैक्ट चेक

बूम ने हाल ही में मोगा, पंजाब में बने अडानी ग्रुप के किसी प्रोजेक्ट के बारे में खबर खोजी | हमें कोई रिपोर्ट नहीं मिली |

इसके बाद वायरल तस्वीर पर दी गयी डिटेल्स के साथ हमनें गूगल मैप्स पर मोगा स्थित इस साइलो को ट्रैक किया | हमें यही तस्वीर 3 अप्रैल 2016 को गूगल पर अपलोड की गयी मिली | तस्वीर में मोगा स्थित साइलो के बारे में बताया गया था | यह एक बोर्ड है जो साइलो यानी अनाज भरने की जगह के बाहर लगाया गया है |

वायरल तस्वीर में दिख रहा बोर्ड अडानी समूह के पंजाब में मोगा जिले के डगरु गांव में स्थित साइलो का है जो बिल्स के पारित होने से बहुत पहले लगाया गया था | यह 2007 से फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया को साइलो की सेवा दे रहा है |

वायरल दावों के विपरीत यह बहुत पुराना है |


इसके बाद हमनें अडानी एग्री लोजिस्टिक्स लिमिटेड के टर्मिनल ऑपरेशन्स के वाईस प्रेजिडेंट पुनीत मेहंदीरत्ता से संपर्क किया | 

मेहंदीरत्ता ने हमें बताया, "मैं पंजाब में सात साल तक पोस्टेड था | वायरल तस्वीर मोगा पंजाब के एक साइलो के बाहर लगा बोर्ड है जो 2007 में मेरी देख रेख में ही लगा था | इसका कंस्ट्रक्शन 2007 में मेरी देख रेख में पूरा हुआ था |"

"यह तेरह साल पुरानी यूनिट का बोर्ड है | वायरल हो रहे दावे फ़र्ज़ी हैं," उन्होंने आगे बताया | "इसका हाल ही में पास बिल्स से कोई सम्बन्ध नहीं है," मेहंदीरत्ता ने कहा |

राजस्थान प्रोटेस्ट की पुरानी तस्वीर हरियाणा में किसान आंदोलन बताकर वायरल

यह पूछने पर कि बिल्स के सदनों में जाने के बाद कोई नया प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है, उन्होंने कहा, "नहीं अभी कोई नया प्रोजेक्ट नहीं है जो बिल्स के बाद बनाया जा रहा है और वैसे भी हर प्लांट को लगने में कम से कम दो साल लगते हैं," उन्होंने कहा |

कंपनी के मुताबिक़, किसान गेहूं की फ़सल काटते हैं जो फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा 48-72 घंटों के बीच में खरीद लिया जाता है और किसानों को पैसे दिए जाते है जहाँ अडानी लोजिस्टिक्स केवल संरक्षक कि तरह काम करता है | यह अनाज फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया की ही संपत्ति है जिसे अडानी मंडियों के बजाए कुशल सेवाएं देता है | कंपनी ने वेबसाइट पर भी फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के साथ व्यवस्था को दर्शाया है |

पहले भी न्यूज़ रिपोर्ट्स में मोगा साइलो के बारे में लिखा गया है जिससे मालूम होता है कि यह हाल ही में नहीं बना है |

फाइनेंसियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट, जो अक्टूबर 2008 में प्रकाशित हुई थी, के अनुसार अडानी एग्री लोजिस्टिक्स - अडानी समूह की एक ब्रांच - ने मोगा, पंजाब, और कैथल, हरयाणा, में दो साइलोस लगाए थे | यह रिपोर्ट पुष्टि करती है |

कृषि के क्षेत्र में आगे रहने के लिए अडानी की योजनाओं पर मिंट का 2015 का एक लेख भी है |

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