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फैक्ट चेक

फैक्ट चेक: केरल में IAS श्रीराम वेंकटरमन के नाम की वजह से मुस्लिमों ने विरोध नहीं किया

बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि तिरुवनंतपुरम में पत्रकार के एम बशीर की कार से कुचलकर हत्या के आरोप के चलते उनकी नियुक्ति का मुस्लिम सहित अन्य संगठन विरोध कर रहे थे.

By - Rishabh Raj | 22 Nov 2024 4:38 PM IST

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल है जिसमें केरल के एक आईएएस अधिकारी डॉक्टर श्रीराम वेंकटरमन की नियुक्ति को रद्द करने की मांग को लेकर बात की गई है.

यूजर इस पोस्ट को शेयर कर दावा कर रहे हैं कि श्रीराम वेंकटरमन के नाम में 'श्रीराम' होने की वजह से कलेक्टर के रूप में उनकी नियुक्ति के खिलाफ हजारों मुस्लिमों ने मार्च निकाला. 

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा गलत है. श्रीराम वेंकटरमन पर तिरुवनंतपुरम में मलयालम अखबार 'सिराज' के ब्यूरो चीफ के एम बशीर को शराब के नशे में गाड़ी से कुचल देने का आरोप था, जिसके बाद उनकी नियुक्ति का मुस्लिम संगठनों सहित अन्य सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने विरोध किया था.

वायरल पोस्ट में पढ़ा जा सकता है, 'केरल में एक आईएएस ऑफिसर डॉक्टर श्रीराम वेंकटरमन की नियुक्ति अलप्पुझा जिले में डीएम के रूप में हो गई तो हजारों मुस्लिमों ने मार्च निकालकर नाम में श्रीराम होने के कारण नियुक्ति रद्द करने की मांग कर दी. मतलब अब हिंदुस्तान में हिंदुओं को अपना नाम भी बदलना पड़ेगा..क्योंकि श्रीराम, कृष्ण, लक्ष्मी, दुर्गा जैसे नामों के जिक्र से भी एक समुदाय के लोगों का धर्म खतरे में आने लगता है.' साथ ही इसमें श्रीराम वेंकटरमन की तस्वीर भी लगाई गई है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'चमचो अब भी समय है पार्टी प्रेम में दोगलेपन मत दिखाओ. हिन्दू हो तो धर्म संस्कार दिखाओ.' (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर भी यह स्क्रीनशॉट इसी दावे के साथ वायरल है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)


फैक्ट चेक: सांप्रदायिक दावा गलत है

बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए जब इससे जुड़े कीवर्ड को गूगल पर सर्च किया तो हमें न्यूज वेबसाइट The News Minute की 30 जुलाई 2022 की एक रिपोर्ट मिली.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीराम वेंकटरमन की अलप्पुझा जिले में कलेक्टर  की रूप में नियुक्ति का कई मुस्लिम सुन्नी संगठनों ने विरोध किया था. साथ ही कांग्रेस ने भी श्रीराम वेंकटरमन की कलेक्टर के रूप में नियुक्ति की निंदा की थी.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीराम वेंकटरमन तिरुवनंतपुरम में एक मलयालम पत्रकार के एम बशीर को कार से कुचल देने के मुख्य आरोपी थे. इस घटना में के एम बशीर की मौके पर ही मौत हो गई थी. इसी आरोप के कारण अधिकतर संगठन उनकी नियुक्ति का विरोध कर रहे थे.


न्यूज वेबसाइट Kerala Kaumudi की 24 जुलाई 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के अलप्पुझा जिला कांग्रेस कमेटी ने भी उनकी नियुक्ति के खिलाफ धरना देने की बात कही थी.


न्यूज वेबसाइट The New Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल मुस्लिम जमात द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में केरल सुन्नी युवाजन संगम और सुन्नी स्टूडेंट्स फेडरेशन सहित कई संगठनों ने भाग लिया था.

इस दौरान मुस्लिम जमात के राज्य सचिव ने The New Indian Express से कहा था, "आपराधिक मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति को जिला कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है. यह अन्याय है. सरकार द्वारा खुले तौर पर कानून और न्याय का तिरस्कार करने वाले व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त किया गया है. वह न्याय और कानून को खत्म कर देगा."


श्रीराम वेंकटरमन पर पत्रकार को नशे में गाड़ी से रौंदने का आरोप

2013 बैच के आईएएस अधिकारी श्रीराम वेंकटरमन पर 2019 में एक पत्रकार की दुर्घटना में हुई मौत में संलिप्तता का आरोप है. अगस्त 2019 में मलयालम समाचार पत्र 'सिराज' के ब्यूरो चीफ के. एम. बशीर रात को जब अपने काम से लौट रहे थे तो श्रीराम वेंकटरमन की तेज रफ्तार से आती हुई कार ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी थी. इस घटना में के. एम. बशीर की मौके पर ही मौत हो गई थी. जिस समय यह घटना हुई थी उससे कुछ दिन पहले ही श्रीराम वेंकटरमन को सर्वेक्षण और भूमि रिकॉर्ड विभाग के डायरेक्टर पद पर नियुक्त किया गया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कार में श्रीराम वेंकटरमन के अलावा उनकी एक दोस्त भी थी और वह शराब के नशे में थे. केरल सरकार ने इस घटना पर तुरंत एक्शन लेते हुए श्रीराम वेंकटरमन को उनके पद से बर्खास्त कर दिया था. हालांकि, बाद में कोर्ट ने इस मामले में उन्हें जमानत दे दी थी.

हालांकि, 2020 में कोरोना महामारी के समय राज्य सरकार ने उनकी 'प्रशासनिक विशेषज्ञता' का हवाला देते हुए उन्हें राज्य स्वास्थ्य विभाग का दोबारा संयुक्त सचिव नियुक्त किया था.

लेकिन जब 2022 में उन्हें राज्य सरकार ने अलप्पुझा जिले का कलेक्टर बनाया तो चारों ओर उनका विरोध होना लगा. इसके बाद सरकार ने उन्हें एक सप्ताह के अंदर पद से हटाकर केरल राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड का जनरल मैनेजर नियुक्त कर दिया था.

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