सोशल मीडिया पर एक दशक से अधिक पुरानी तस्वीर तेजी से फैलाई जा रही है। तस्वीर में नेपाली पुलिसकर्मी को एक तिब्बती महिला प्रदर्शनकारी की टी-शर्ट खींचते हुए दिखाया गया है। तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि असम में भारतीय सेना ने एक महिला के साथ दुर्व्यवहार किया है।
बूम ने पाया कि तस्वीर मार्च 2008 की है, जब काठमांडू में तिब्बती निर्वासितों द्वारा चीन विरोधी प्रदर्शन किया गया था।
यह तस्वीर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के ख़िलाफ देशव्यापी विरोध के मद्देनज़र फैलाई जा रही है।
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तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है, "आज #आसाम में ये हालत है तो कल यूपी और दिल्ली में नजर जरूर आएंगे! बल्कि दिल्ली में तो देश भर के कोने-कोने से आकर लोग बसे हुए हैं, वो कहां से अपने कागज दिखायेंगे।"
तमिल नाडु कांग्रेस समिति में माइनॉरिटी डिपार्टमेंट के चेयरमैन और कांग्रेस लीडर जे.असलम बाशा ने भी यह तस्वीर फ़र्ज़ी दावों के साथ ट्वीट की थी| कैप्शन में लिखा था: "कल जो कश्मीर में हुआ, आज वो असम में हो रहा है"| हालांकि उन्होंने बाद में ट्वीट डिलीट करदिया जिसका आर्काइव्ड वर्शन यहाँ देखा जा सकता है|
आप फ़ेसबुक पोस्ट नीचे देख सकते हैं जिनके आर्काइव्ड वर्शन यहां देखें।
आज #आसाम में ये हालत है तो कल यूपी और दिल्ली में नजर जरूर आएंगे!
बल्कि दिल्ली में तो देश भर के कोने-कोने से आकर लोग बसे हुए हैं, वो कहां से अपने कागज दिखायेंगे! #BanEVM#NRCWithDNA pic.twitter.com/SuqdHajiEg— Mann Mulnivasi (@mannmulnivasi) January 2, 2020आज #आसाम में ये हालत है तो कल यूपी और दिल्ली में नजर जरूर आएंगे!
— Er. Sandesh Kamble (@bvmsandesh) January 2, 2020
बल्कि दिल्ली में तो देश भर के कोने-कोने से आकर लोग बसे हुए हैं, वो कहां से अपने कागज दिखायेंगे! #BanEVM#NRCWithDNA pic.twitter.com/Mot12yYg2r
फ़ैक्टचेक
बूम ने एक इमेज सर्च प्लेटफ़ॉर्म, टिनऑय का इस्तेमाल करते हुए एक रिवर्स इमेज सर्च चलाया। हमनें पाया कि तस्वीर 24 मार्च, 2008 को खींची गई थी।
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टिनऑय खोज के ज़रिये हम एडोब स्टॉक फ़ोटो तक पहुंचे जहां मूल तस्वीर देखि जा सकती है। यह वास्तविक तस्वीर मूल रूप से एक रायटर फ़ोटोग्राफर दीपा श्रेष्ठ द्वारा खींची गयी है|
फोटो के साथ दिए गए विवरण में लिखा गया है, "24 मार्च, 2008 को काठमांडू में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने एक तिब्बती प्रदर्शनकारी ने पुलिस अधिकारियों के साथ संघर्ष किया। नेपाली पुलिस ने सोमवार को काठमांडू में तिब्बती निर्वासितों द्वारा चीन विरोधी रैली को तोड़ा और 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि प्लास्टिक की ढालों के साथ पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को लोह की जाली वाली वैन और ट्रकों में खींच कर डाला और उन्हें हिरासत में ले लिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि हाथापाई में कुछ निर्वासितों को चोट लगी थी। रायटर्स / दीपा श्रेष्ठ ... "
बूम ने उसी दिन (24 मार्च, 2008) से रायटर का एक लेख भी पाया।
काठमांडू में लगभग 250 तिब्बती निर्वासित लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। उस सप्ताह में तिब्बतियों द्वारा विरोध प्रदर्शनों की एक श्रृंखला देखी गई, जिन्होंने बीजिंग में 2008 के ओलंपिक से पहले चीन के ख़िलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन करने की कोशिश की।
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रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक, "गवाहो ने कहा कि, "नेपाली पुलिस ने सोमवार को काठमांडू में तिब्बती निर्वासितों द्वारा चीन विरोधी रैली को तोड़ा और 250 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। पुलिस ने प्लास्टिक ढालें इस्तेमाल करते हुए प्रदर्शनकारियों को खींचकर लोहे की जाली वाली वैन और ट्रकों में खींच लिया और उन्हें डिटेंशन सेंटर ले गए।"
"प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था क्योंकि उन्होंने नेपाल में उच्च सुरक्षा वाले संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की ओर मार्च करने की कोशिश की थी।"
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