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फ़ैक्ट चेक

पुलिस ने दिल्ली दंगों के दौरान मुस्लिम घरों में नहीं छोड़ी केमिकल गैस

यह वीडियो 17 दिसंबर, 2019 से वायरल है और शहर में हाल ही में हुए हिंसा से असंबंधित है।

By - Archis Chowdhury | 27 Feb 2020 3:33 PM GMT

दिल्ली में हुए दंगों के मद्देनज़र एक परेशान परिवार का फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है| इसमें उन्होंने शिकायत की है कि उनके घर में केमिकल गैस छोड़ी गयी है। वीडियो के साथ दिए गए कैप्शन में इसे दिल्ली में हुए हालिया दंगों से जोड़ा गया है और दावा किया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस, दिल्ली के जाफ़राबाद के पास मुस्लिम घरों में केमिकल गैस छोड़ रही है। यह दावा ग़लत है|

यह वीडियो 17 दिसंबर, 2019 से मौजूद है और 23 फ़रवरी से 25 फ़रवरी, 2020 के बीच दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित नहीं है।

यह भी पढ़ें: दिल्ली के अशोक नगर कि मस्जिद में तोड़फोड़ और आगजनी कि घटना सच है

39-सेकंड की क्लिप को दिनेश मिश्रा एसपी (@DineshmishraRm) नाम के यूज़र ने 25 फ़रवरी, 2020 को निम्नलिखित कैप्शन के साथ ट्वीट किया था:

"दिल दहला देने वाली घटना। #दिल्ली के जफराबाद का वीडियो है, दिल्ली पुलिस मुसलमानों के घरों में केमिकल गैस छोड़ रही है जिससे छोटे छोटे मासूम बच्चों की हालत बेहद खराब है शर्म करो कम से कम इन बच्चों का तो ख्याल करो।"

( ट्वीट के अर्काइव वर्शन के लिए यहां क्लिक करें )

इस ट्वीट को 1000 बार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया है और करीब 1100 बार लाइक किया गया हैै।

ऐसा ही वीडियो फेसबुक पर भी, ठीक इसी कैप्शन के साथ वायरल हुआ है।

फ़ैक्टचेक

बूम ने वीडियो पर "सीटीवी न्यूज़ इंडिया" का लोगो पाया, जिसके ज़रिए हम एक यूट्यूब चैनल तक पहुंचे, जिसमें इसी नाम और लोगो का इस्तेमाल किया गया था। इन वीडिओज़ की सूची की जांच करने पर 18 दिसंबर, 2019 को चैनल द्वारा पोस्ट किए गए मूल वीडियो तक पहुंचे। यह वीडियो 15 दिसंबर, 2019 को दिल्ली के विभिन्न हिस्सो में व्यापक हिंसा के बाद पोस्ट किया गया था।

Full View

फेसबुक और ट्विटर पर इस कैप्शन की खोज करने पर, हमने पाया कि 17 दिसंबर, 2019 से सीटीवी न्यूज़ इंडिया के फेसबुक पेज सहित कई यूज़रों ने इसी कैप्शन के साथ यह वीडियो शेयर किया है।


Full View

फुटेज के पीछे के संदर्भ को बूम स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं कर सका है। हमने घरों में छोड़ने वाले केमिकल गैस के उदाहरणों को खोजने के लिए कई कीवर्ड के साथ खोज की, लेकिन कोई प्रासंगिक लिंक नहीं मिला।

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हालाँकि, इंटरनेट पर दो महीने से अधिक समय से मौजूद होने के कारण यह साफ़ है कि वीडियो उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हुए हिंसा से संबंधित नहीं है।

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