एक तस्वीर जिसमें कहा जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार ने नागरिकों को होली के दौरान चीनी उत्पादों का इस्तेमाल ना करने की चेतावनी दी है क्योंकि वहां कोरोनोवायरस फैला है, फ़र्ज़ी है।
तस्वीर में हिंदी में संदेश के साथ भारतीय सील है और इसका श्रेय डब्ल्यूएचओ को दिया गया है। संदेश में कुछ अंग्रेजी शब्दों को भी इंटरसेप्ट किया गया है।
हिंदी सन्देश में कई व्याकरणिक और वर्तनी की ग़लतियां हैं। इसमें लिखा गया है, "भारत के त्यौहारों में बड़ा त्यौहार होली जो की कुछ दिनों में आने वाली है हमारे देश भारत में जितनो भी रंग गुलाल एवं मास्क वीक और भी बहुत सारी सामाना चीन से आती है | आप जिसे सस्ता और बाकर्सित सोच कर खरीदते है उसमे पॉलीमर की कोसी का उपयोग होता है | आप को जानाकारी दे की इसमे कोसी चीन के शहर Hunei से बना कर आती है जहाँ कोरोना वायरस का कहर शुरू हुआ | आप सभी से अपील है की चीन से आने वाली सामान का प्रयोग ना करें।"
यह भी पढ़ें: कोरोनावायरस: चीनी पुलिस की मॉक ड्रिल ग़लत दावे के साथ वायरल
बूम को यह तस्वीर अपने व्हाट्सएप्प हेल्पलाइन पर भी मिला जिसमें इसके पीछे के सच का अनुरोध किया गया है।
यह पोस्ट सोशल मीडिया पर कई अलग-अलग कैप्शन के साथ वायरल हुई है।
फ़ैक्ट चेक
बूम ने पाया कि न ही किसी भी भारतीय मंत्रालय ने और न ही डब्लूएचओ ने चीनी उत्पादों की ख़रीद पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई सलाह जारी की है।
इसके अलावा, तस्वीर में हूनी जिले का उल्लेख किया है जो वास्तव में ताइवान में एक ग्रामीण जिला है। चीन में हुबेई जिला वर्तमान COVID-19 प्रकोप का केंद्र है।
यह भी पढ़ें: क्या वीडियो में चीनी पुलिसकर्मी कोरोनावायरस के मरीज़ों को मार रहे हैं? फ़ैक्ट चेक
इसके साथ ही, कोरोनावायरल पर जारी की गई पहले सभी सलाहों में केंद्र सरकार के मंत्रालयों में से एक का उल्लेख किया गया है, जबकि इसमें डब्लूएचओ उल्लेखित है।
बूम को ऐसी कोई भी प्रेस रिलीज या समाचार पत्र नहीं मिला जिसमें इस बारे में कोई लेख हो।
'एडवाइजरी' में कई वर्तनी और व्याकरण संबंधी ग़लतियां हैं।
होली एक भारतीय त्योहार है जिसे रंगों और पानी के साथ मनाया जाता है। बहुत से लोग ऑर्गेनिक रंगों के साथ-साथ केमिकल की मदद से बने रंगों और पानी के गुब्बारों का इस्तेमाल करते हैं। प्लास्टिक से बानी पिचकारी आमतौर पर चीन में बनाई जाती है।
दुनिया भर में कोरोनावायरस के कारण करीब 2,860 लोगों की जान गई है। इस महामारी से सम्बंधित फ़र्ज़ी सलाहों सहित कई फ़र्ज़ी ख़बरें वायरल हुई हैं। वैज्ञानिक अभी भी वायरस के बारे में पता लगा रहे हैं और अब तक इसके मुख्य स्रोत का पता नहीं लग पाया है। डब्ल्यूएचओ ने इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल कहा है, क्योंकि चीन के अलावा 30 से ज्यादा देश इस वायरस से संक्रमित हुए हैं। इस वायरस के बारे में दावा किया गया था कि इसकी उत्पत्ति चीन के सीफूड बाजार में हुई थी लेकिन वर्तमान में यह सिद्धांत विवादित है।
यह भी पढ़ें: वुहान निवासियों ने शोक में बजाई सीटियां; फ़र्ज़ी दावों के साथ वीडियो वायरल
ऐसा माना जाता है कि कोरोनावायरल नौ दिनों तक सतह पर रहता है, लेकिन इस दावे को मान्य करने वाला कोई शोध अध्ययन नहीं है।
बूम ने कोरोनावायरस से सम्बंधित कई ग़लत जानकारियों को ख़ारिज किया है, जिसमें वायरस को रोकने और ठीक करने के तरीकों से लेकर, राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री से जुड़े भ्रामक कथन, निवासियों और पुलिस की क्रूरता के बारे में ग़लत जानकारी फैलाना शामिल है।
नीचे पढ़ें:
#Thread🚨: Since the outbreak of #CoronaVirus, we have debunked #FakeNews around the novel Coronavirus. A WhatsApp forward is viral falsely claiming @MoHFW_INDIA has issued an emergency notification. (1/n) #CoronaVirusFacts @WHO https://t.co/0lbBu7FIfO
— BOOM FactCheck (@boomlive_in) January 30, 2020