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फैक्ट चेक

राम मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ अखिलेश यादव का ट्वीट फ़र्ज़ी है

फ़र्ज़ी ट्वीट का दावा है कि समाजवादी पार्टी यदि सत्ता में होती तो राम मंदिर का निर्माण नहीं होता

By - Anmol Alphonso | 16 July 2020 8:20 PM IST

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के नाम पर एक फ़र्ज़ी ट्वीट वायरल है जिसमें दावा किया गया है कि यदि समाजवादी पार्टी सत्ता में होती तो राममंदिर का निर्माण नहीं होता ।

नवंबर 9, 2019 के अपने अंतिम फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में विवादित ज़मीन एक ट्रस्ट के हवाले कर दी और उस पर राममंदिर के निर्माण को हरी झंडी दिखाई । यह फ़ैसला करीब एक सदी पुराने मामले को ख़त्म करने के लिए दिया गया ।

फ़र्ज़ी ट्वीट के स्क्रीनशॉट में तारिख़ 3 नवंबर 2019 है जो सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से करीब एक हफ़्ते पहले की है । ट्वीट में लिखा है: "हमारी सरकार होती तो मैं नेता जी के नक्शे कदम पर चलता, चाहे जितनी जाने जाती लेकिन कभी राम मंदिर नहीं बनने देता।"

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इस पोस्ट का अर्काइव्ड वर्शन यहाँ देखें

ट्वीट के यह स्क्रीनशॉट दरअसल अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के उस कदम की ओर इशारा कर रहा है जो उन्होंने 1990 में उठाया था । उस वक़्त विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं के कहने पर कई कारसेवक अयोध्या में इकट्ठा हुए थे जिसके चलते मुलायम सिंह यादव ने उनपर गोली चलाने के आदेश दिए थे ।

इसके कारण कारसेवकों और पुलिस के बीच झड़प हुई और कई मौतें हुई थी। मुलायम सिंह तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे ।

फ़ेसबुक पर वायरल

फ़ेसबुक पर सर्च करने से मालुम हुआ कि यह स्क्रीनशॉट वायरल है । लोग इसे अखिलेश यादव का वास्तविक ट्वीट मान रहे हैं ।

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फ़ैक्ट चेक

बूम ने पाया कि वायरल हो रहा यह ट्वीट के स्क्रीनशॉट फ़र्ज़ी है और यह भी पाया कि अखिलेश यादव ने अयोध्या में राम मंदिर के ख़िलाफ़ इस तरह की कोई भी टिप्पणी नहीं कि थी ।

यह भी पढ़े: वायरल पोस्ट्स का फ़र्ज़ी दावा की विकास दुबे नहीं उसके हमशक्ल का हुआ एनकाउंटर

जब हमनें यादव की ट्वीटर टाइमलाइन देखी तो 3 नवंबर 2019 के दिन ऐसा कोई ट्वीट नहीं मिला जैसा कि वायरल स्क्रीनशॉट में दावा है । ट्वीटर एडवांस सर्च करने पर भी किसी डिलीटेड ट्वीट के जवाब में कोई ट्वीट नहीं मिला जिससे यह पता चल सके कि यादव ने ट्वीट किया और फिर हटाया हो । डिलीटेड ट्वीट की आर्काइव में खोज करने पर भी कुछ हाथ नहीं लग सका ।


यहाँ देखें

इसके अलावा वायरल स्क्रीनशॉट में लाइक (4,333) और रीटवीट्स (222) की मात्रा समान है जो यदि यादव ने वास्तव में ट्वीट किया होता तो कई स्क्रीनशॉट होने की वज़ह से अलग अलग होतीं ।

हमें ऐसी कोई न्यूज़ रिपोर्ट भी नहीं मिली जो वायरल हो रहे ट्वीट को सच बताती हो ।

नीचे अखिलेश यादव का वह एक मात्र ट्वीट देख सकते हैं जो निर्णय के बाद उन्होंने किया था । इसमें लिखा था: "जो फ़ैसले फ़ासलों को घटाते हैं | वो इंसा को बेहतर इंसा बनाते हैं"

पी.टी.आई कि रिपोर्ट के अनुसार, निर्णय वाले दिन एक प्रेस रिलीज़ में यादव ने कहा था कि यह फ़ैसला एक ऐतिहासिक फ़ैसला होगा और उम्मीद की थी कि सब शांति बनाए रखेंगे ।

इससे पहले भी हमनें कई फ़र्ज़ी ट्वीटर हैंडल्स को ख़ारिज़ किया है ।

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