कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के बुकशेल्फ़ को दिखाने वाली एक तस्वीर जिसमें 'भारत को एक ईसाई राष्ट्र में कैसे परिवर्तित करें' (How to convert India into a Christian nation) शीर्षक से एक किताब, एक पवित्र बाइबिल (Holy Bible) और यीशु की एक मूर्ति (Statue of Jesus) है, एडिट करके फ़र्ज़ी दावे से वायरल है.
ट्विटर यूज़र @NoConversion ने सबसे पहले तस्वीर शेयर की और फिर डिलीट कर दी. साल 2014 में बने इस ट्विटर हैंडल के दो लाख से ज़्यादा फॉलोवर हैं. इस हैंडल से नियमित रूप से ईसाई विरोधी ट्वीट्स पर केंद्रित सांप्रदायिक सामग्री रहती है.
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ट्विटर हैंडल NoConversion ने किताबों और प्रतिमा पर फ़ोकस किये बगैर तस्वीर ट्वीट किया, जिसमें लिखा था, "इन सभी पुस्तकों को कौन पढ़ता है?"
वायरल तस्वीर फ़ेसबुक और ट्विटर पर बड़ी संख्या में शेयर की गई है. हालांकि, इनमें से अधिकतर पोस्ट डिलीट कर दिए गए हैं.
समान दावे के साथ वायरल तस्वीर के साथ किये गए पोस्ट्स का आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां और यहां देखें.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल तस्वीर का विश्लेषण किया और पाया कि पुस्तक 'भारत को एक ईसाई राष्ट्र में कैसे परिवर्तित करें' (How to convert India into a Christian nation), पवित्र बाइबिल और यीशु की मूर्ति को एडिट किया गया है.
वायरल तस्वीर पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें अक्टूबर 2020 में राहुल गांधी द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो से ली गई ओरिजिनल तस्वीर मिली. वायरल तस्वीर उस वीडियो का स्क्रीन ग्रैब है जहां सोनिया गांधी बिहार के नागरिकों से महागठबंधन के लिए वोट करने की अपील कर रही हैं. वीडियो 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पोस्ट किया गया था.
वीडियो में सोनिया गांधी को वही पोशाक पहने हुए देखा जा सकता है जो वायरल तस्वीर में है. उनके पीछे बुकशेल्फ़ से पता चलता है कि उसपर ना ही बाइबिल है, यीशु की मूर्ति है और ना ही 'भारत को एक ईसाई राष्ट्र में कैसे परिवर्तित करें' 'How to convert India into a Christian nation' शीर्षक वाली किताब है. वायरल तस्वीर में जिस स्थान पर पवित्र बाइबिल दिखाई दे रही है, वह असल तस्वीर में खाली है और ईसाई धर्म की पुस्तक में रूपांतरण को एक अन्य पुस्तक के शीर्षक को एडिट करके जोड़ा गया है. बुकशेल्फ़ में यीशु की मूर्ति कहीं नहीं देखी जा सकती है. इन तीनों को फ़र्ज़ी दावा करने के लिए तस्वीर में एडिट किया गया है.
नीचे वायरल तस्वीर और असली तस्वीर की तुलना की गई है.
हमें 2020 से एक हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट भी मिली, जिसमें सोनिया गांधी की उसी तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. इसमें देखा जा सकता है कि बुकशेल्फ़ में ऐसी कोई किताब मौजूद नहीं है.
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