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नहीं, यह तस्वीर पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं के ख़िलाफ़ हिंसा नहीं दिखाती

वायरल पोस्ट में इस तस्वीर के हवाले से दावा किया जा रहा है कि हुगली में हिन्दुओं के घर जलाए जा रहे हैं और उनपर हमले हो रहे हैं.

By - Mohammad Salman | 13 April 2021 9:04 AM GMT

सोशल मीडिया पर हिंसक संघर्ष से जुड़ी एक तस्वीर फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल है. यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि यह तस्वीर पश्चिम बंगाल (West Bengal) के हुगली (Hooghly) में हिन्दुओं (Hindus) के ख़िलाफ़ भड़की हिंसा (violence) की है. वायरल पोस्ट में इस तस्वीर के हवाले से कहा गया है कि हुगली में हिन्दुओं के घर जलाए जा रहे हैं और उनपर हमले हो रहे हैं.

बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर बांग्लादेश में साल 2013 में हुए ईशनिंदा क़ानून की मांग को लेकर हुए एक प्रदर्शन से है. इसका हालिया हुगली हिंसा से कोई संबंध नहीं है.

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गौरतलब है कि बीते दिनों पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के मतदान के दौरान कई जगह हिंसा की छिटपुट ख़बरें मीडिया में आती रहीं. हुगली में बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी की कार पर हमला हुआ था, वहीं कूच बिहार में हिंसा के दौरान सुरक्षाकर्मियों की गोली से 4 लोगों के मरने की ख़बर है.

ट्विटर पर एक यूज़र ने तस्वीर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा कि "पश्चिम बंगाल के हुगली में अब हिंदुओं के ख़िलाफ़ खुली हिंसा शुरू हो गई है. घर जलाए जा रहे हैं, हमले हो रहे हैं. लेकिन, प्रशासन और ममता सरकार आंखें मूंदे बैठे हैं."

पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

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फ़ैक्ट चेक

बूम ने तस्वीर को रिवर्स इमेज पर सर्च किया तो पाया कि वायरल तस्वीर का संबंध भारत से न होकर पड़ोसी देश बांग्लादेश से है. जांच के दौरान हमें यह तस्वीर कई मीडिया रिपोर्ट्स में मिली, जिसमें बताया गया था कि यह तस्वीर बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन से है.

हमने जांच को आगे बढ़ाते हुए कुछ संबंधित कीवर्ड्स के साथ खोज की तो अंग्रेजी वेबसाइट डेली मेल पर 5 मई, 2013 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में हमें वही तस्वीर मिली जो वायरल है.


रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश की राजधानी ढाका की सड़कों पर क़रीब 70 हजार से ज़्यादा प्रदर्शनकारी उतरे और ईशनिन्दा क़ानून की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की थी कि धर्म का अपमान करने पर सज़ा-ए-मौत का क़ानूनी प्रावधान हो. इस हिंसक प्रदर्शन में क़रीब 37 लोगों की मौत हुई जबकि सैकड़ों की तादाद में लोग घायल हुए.

आज तक की 6 मई 2013 की रिपोर्ट के अनुसार, हिफ़ाज़त-ए-इस्लामी संगठन ने अपनी 13 सूत्री मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए 'ढाका की घेरेबंदी' की थी.

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