क्रायोजेनिक टैंकर (Cryogenic Tanker) पर रिलायंस फाउंडेशन (Reliance Foundation) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के एक बड़े स्टीकर को चिपकाते हुए तीन लोगों का एक वीडियो एक फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल है. वीडियो शेयर करते हुए कहा जा रह है कि मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी सऊदी अरब द्वारा भेजी गई ऑक्सीजन के लिए क्रेडिट चोरी कर रही है.
देश में कोरोना के पहले वेव से ही जूझ रही स्वास्थ्य व्यवस्था को कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने घुटनों के बल ला दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑक्सीजन के अभाव में कई मौतों की सूचना दी गई है. टैंकरों की कमी और दूर के स्थानों से परिवहन के जटिल लॉजिस्टिक्स के कारण ऑक्सीजन का संकट पैदा हो गया है- ना कि लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) की कमी के कारण.
गाय के गोबर से बने उपले में देसी गाय का घी डालकर ऑक्सीजन पैदा करने का सच क्या है?
भारत की प्रमुख इस्पात और पेट्रोलियम कंपनियां अपनी सुविधाओं का उपयोग चिकित्सा ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए कर रही हैं. भारतीय रेलवे अपने ऑक्सीजन एक्सप्रेस के माध्यम से मेडिकल ऑक्सीजन को ट्रांसपोर्ट कर रहा है. भारतीय वायु सेना विदेशों से खाली क्रायोजेनिक टैंकरों को भी ले आ रही है. कई देश पीपीई किट, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेशन मुहैया कराकर ज़रूरत के समय में भारत की मदद के लिए आगे आए हैं.
वीडियो शेयर करते हुए एक यूज़र ने कैप्शन में लिखा कि "ऑक्सीजन सऊदी अरब से आया है और नाम रिलायंस का. #हद है नीचता की."
पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
फ़ेसबुक और ट्विटर बड़े पैमाने पर शेयर किया गया है.
बाइक पर लाश ढोते लोगों की ये तस्वीर क्या हालिया कोविड महामारी से जुड़ी है?
फ़ैक्ट चेक
1 मई, 2021 को रिलायंस इंडस्ट्रीज की वेबसाइट पर एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि कैसे कंपनी जामनगर में अपने रिफ़ाइनरी-कम-पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स से और देश के बाकी हिस्सों में मेडिकल ग्रेड लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए अपनी क्षमता और उत्पादन में तेजी ला रही है.
बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि रिलायंस ने सऊदी अरब, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड और थाईलैंड से एयरलिफ्ट करके भारत में 24 कंटेनरों को लिक्विड ऑक्सीजन के लिए 500 मीट्रिक टन (मीट्रिक टन) परिवहन क्षमता में जोड़ा था. ये कंटेनर रिलायंस की फैसिलिटी से ऑक्सीजन को ट्रांसपोर्ट करने में मदद करेंगे.
कंपनी ने इन कंटेनरों की सोर्सिंग और ट्रांसपोर्टिंग के लिए सऊदी अरब की दिग्गज तेल कंपनी अरामको, बीपी और भारतीय वायु सेना को धन्यवाद दिया है.
क्रायोजेनिक टैंकर, जो -180 डिग्री पर मेडिकल ऑक्सीजन स्टोर करते हैं, वे काफी महंगे हैं और इस तरह से खाली टैंकरों को भारतीय वायुसेना की मदद से विदेशों से भारत में लाया जा रहा है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक प्रवक्ता ने वीडियो पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन हमें विमान द्वारा भेजे जा रहे खाली कंटेनरों और जामनगर रिफ़ाइनरी में भरे जाने वाले ऑक्सीजन को दिखाने वाली तस्वीरें भेजी हैं.
बूम को अलग-अलग ऐसी समाचार रिपोर्टें मिलीं, जिनमें कहा गया था कि सऊदी अरब ने कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि में भारत को 80 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन भेजा है.
सोनिया गांधी से जोड़कर शेयर की जा रही इस तस्वीर का सच क्या है?
भारतीय दूतावास, रियाध ने 24 अप्रैल को उसी के बारे में ट्वीट किया था.
अडानी समूह के चेयरपर्सन गौतम अडानी ने भी ट्वीट किया कि 80 टन लिक्विड ऑक्सीजन के साथ 4 आईएसओ क्रायोजेनिक टैंकों की पहली खेप दम्माम से मुंद्रा की ओर आ रही थी.