सोशल मीडिया पर पानी में खड़े होकर नमाज पढ़ते लोगों की एक तस्वीर बांग्लादेश में आई बाढ़ से जोड़कर शेयर की जा रही है. बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि वायरल तस्वीर तीन साल पुरानी है.
गौरतलब है कि बांग्लादेश में सियासी उठापटक के बीच अब प्राकृतिक आपदा ने दस्तक दी है. भारी बारिश और नदियों के बढ़े हुए स्तर की वजह से बांग्लादेश के 11 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस आपदा में अबतक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 50 लाख लोग इससे प्रभावित हैं.
फेसबुक पर इस तस्वीर को शेयर करते हुए एक यूजर ने बांग्लादेश के हालातों पर तंज कसते हुए इसे हालिया बाढ़ का बताया. यूजर ने लिखा, 'इस समय बांग्लादेश में आई भयानक बाढ़ से हाल बेहाल. कर्म का फल मिलता है पर इतनी जल्दी मिलता है ये पहली बार देख रहा हूं..'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
एक्स पर भी एक वेरिफाइड यूजर ने इस तस्वीर को शेयर किया और लिखा, 'आज की सबसे सुंदर फोटो. पर खड़े होकर इबादत करने से नमाज कबूल होगी क्या?'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक
बूम ने पाया कि यह तस्वीर 8 अक्टूबर 2021 को बांग्लादेशी फोटोग्राफर शरवार हुसैन द्वारा बांग्लादेश के सतखीरा में ली गई थी. इसका बांग्लादेश में हाल में आई बाढ़ से कोई संबंध नहीं है.
रिवेर्स इमेज सर्च करने पर हमें इंटरनेशनल फोटो अवार्ड्स की वेबसाइट पर यह तस्वीर मिली, जिसका शीर्षक था 'प्रे फॉर मर्सी'. यहां तस्वीर के बारे में पूरी जानकारी मौजूद थी. इसके अनुसार यह तस्वीर फोटोग्राफर शरवार हुसैन द्वारा 8 अक्टूबर 2021 को ली गई थी.
इसमें यह भी बताया गया कि यह तस्वीर बांग्लादेश के सतखीरा में ली गई थी. सतखीरा, सुंदरबन का निचला तटीय इलाका है. उस समय यह क्षेत्र बाढ़ की चपेट में था इसलिए वहां लोगों को घुटने और छाती तक पानी के बीच नमाज अदा पड़ी. कुछ दिन बाद वहां की मस्जिद भी इस बाढ़ की चपेट में आ गई थी.
हमें शरवार हुसैन के इंस्टाग्राम पर 29 मार्च 2022 को पोस्ट की गई यह तस्वीर मिली, जहां उन्होंने बताया था कि 'वर्ल्ड वाटर डे फोटो कॉन्टेस्ट 2022' में तस्वीर ने दूसरा स्थान प्राप्त किया था.
शरवार के इंस्टाग्राम पर 16 सितंबर 2022 और 19 सितंबर 2023 के इससे संबंधित दो और पोस्ट मिले, जिनमें बताया गया था कि वायरल तस्वीर को 'इंटरनेशनल फोटोग्राफी अवार्ड' से भी नवाजा गया है.
इस पोस्ट में भी बताया गया था कि यह तस्वीर बांग्लादेश के सतखीरा में ली गई थी, जहां बाढ़ पीड़ित लोग आपदा से बचाने के लिए इबादत कर रहे थे. इससे साफ है कि करीब तीन साल पहले की तस्वीर को गलत तरीके से बांग्लादेश में आई बाढ़ का बताकर शेयर किया जा रहा है.