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फैक्ट चेक

बांग्लादेश में इस्कॉन सेवकों के राहत कार्य करने का वीडियो 2022 का है

बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि वायरल वीडियो साल 2022 में बांग्लादेश में आई बाढ़ के दौरान का है.

By - Shefali Srivastava |
Published -  24 Aug 2024 6:56 PM IST
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    Fact Check on Iskcon volunteers distributing relief packet in Bangladesh

    सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को लेकर दावा है कि बाढ़ से ग्रसित बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर के सेवक राहत कार्य कर रहे हैं.

    बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि पहला वीडियो साल 2022 में बांग्लादेश में आई बाढ़ का है जिसे हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है. जबकि दूसरा वीडियो पश्चिम बंगाल के मायापुर स्थित इस्कॉन मंदिर के महाप्रसाद बंटवारे का है.

    गौरतलब है कि सियासी संकट के बाद अब बांग्लादेश प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है. भारी बारिश और बढ़े हुए जलस्तर के कारण आई बाढ़ के कारण बांग्लादेश में 18 की मौत हो चुकी है. वहीं 11 जिलों में लगभग 9,44,548 लोग फंसे हैं.

    इससे पहले बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के विरोध में शुरू हुए आंदोलन से लेकर तख्तापलट के बाद फैली हिंसा में सैकड़ों लोगों ने जान गंवाईं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के खुलना डिविजन के मेहरपुर स्थित इस्कॉन मंदिर में हिंसक भीड़ ने तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी.

    बांग्लादेश में हिंसा और अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले को लेकर कई फर्जी दावे सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिनका बूम ने फैक्ट चेक किया.

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वेरिफाइड अकाउंट से वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'एक सप्ताह पहले मुस्लिमों ने बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर में आग लगा दी थी. अब जब बांग्लादेश में बाढ़ से हालात बदतर हो गए हैं तो इस्कॉन मंदिर के सेवक उन्हीं जिहादियों को खाना बांट रहे हैं. बस यही हिन्दूओं के पतन का कारण है जो दुनियादारी सीख नहीं पा रहे.'

    आर्काइव लिंक

    इसके अलावा एक वेरिफाइड यूजर ने दूसरा वीडियो शेयर करते हुए इस्कॉन मंदिर के सेवकों द्वारा बांटी गई राहत सामग्री बताया.

    यूजर ने लिखा, 'इस्लामवादियों ने बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर सहित दर्जनों हिंदू मंदिरों को जला दिया. इस समय बांग्लादेश भारी बारिश के बाद बाढ़ की आपदा से जूझ रहा है। इस्कॉन मंदिर इस कठिन समय में इन इस्लामवादियों और उनके परिवारों को मुफ्त भोजन परोस रहा है.'

    आर्काइव लिंक

    फैक्ट चेक

    बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि दोनों ही वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है.

    पहला वीडियो

    पहले वीडियो की पड़ताल के लिए हमने इस्कॉन बांग्लादेश की वेबसाइट खंगाली. वेबसाइट के होम पेज के लेटेस्ट न्यूज के कॉलम में हमें एक आर्टिकल मिला जिसमें सिलहट में इस्कॉन मंदिर की ओर से बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत कार्य करने का जिक्र था.



    यह आर्टिकल जून 2022 में बांग्लादेश के सिलहट में आई बाढ़ में इस्कॉन मंदिर की तरफ से मदद के बारे में था. आर्टिकल स्क्रॉल करने पर हमें वायरल वीडियो का एक फेसबुक पेज पर शेयर किया गया ब्रीफ वर्जन मिला. वीडियो के कैप्शन में लिखा था, 'ये खाना नहीं, करोड़ो रुपये का खजाना है!! देखिये थोड़े से खाने के लिए लोग कितने बेचैन हैं😥 "बाढ़ पीड़ितों के लिए इस्कॉन सिलहट के राहत कार्य में आप भी आगे आएं.' (बांग्ला से हिंदी अनुवाद)

    यह वीडियो 20 जून 2022 को फेसबुक पर इस्कॉन यूथ फोरम, सिलहट नाम के पेज पर शेयर किया गया था.

    बांग्लादेश में मई-जून 2022 को सिलहट समेत 9 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए थे. इस दौरान 74 की मौत हो गई थी.

    दूसरा वीडियो

    दूसरे वायरल वीडियो का इनविड टूल की मदद से कीफ्रेम लेकर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें अलग-अलग यूट्यूब वीडियो मिले जिसमें इसे मायापुर इस्कॉन मंदिर का बताया गया जो पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में स्थित है.

    हमने हमने फेसबुक पर संबंधित कीवर्ड से सर्च किया तो मायापुर इस्कॉन यात्रा नाम के फेसबुक पेज पर यह रील मिली. इसे 20 जुलाई 2024 को शेयर किया गया था. पोस्ट में पश्चिम बंगाल के नादिया जिले स्थित मायापुर में इस्कॉन मंदिर में वितरित होने वाले महाप्रसाद का जिक्र है.

    इसके अलावा हमने इस्कॉन बांग्लादेश के फेसबुक और यूट्यूब चैनल को खंगाला जहां हमें हाल में आई बाढ़ के दौरान राहत कार्य किए जाने को लेकर कोई पोस्ट या वीडियो नहीं मिला.

    अधिक जानकारी के लिए हमने इस्कॉन बांग्लादेश के जनरल सेक्रेटरी चारु चंद्र दास से संपर्क किया. जवाब मिलने पर स्टोरी अपडेट की जाएगी.

    Tags

    BangladeshBangladesh CrisisISKCON templeFloods
    Read Full Article
    Claim :   बाढ़ से ग्रसित बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर के स्वयंसेवकों ने राहत सामग्री बांटी.
    Claimed By :  verified X handles, Facebook posts
    Fact Check :  False
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