सोशल मीडिया पर एक तस्वीर और उसके साथ टेक्स्ट में लिखा एक दावा वायरल हो रहा है. दावा ये है कि 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान भारतीय सेना की मुस्लिम रेजिमेंट (Muslim regiment) ने भारत की तरफ़ से युद्ध करने के लिये मना कर दिया था. ये तस्वीर पहले भी कई बार शेयर की जा चुकी है.
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साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिलसिलेवार 17 दिनों तक जंग चली थी. आज़ादी के बाद 1947 से ही कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत-पाकिस्तान का कई बार आमना-सामना हो चुका था.
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने एक तस्वीर शेयर किया जिसके ऊपर लिखा हुआ है 'कम लोगों को ही पता है कि 1965 के युद्ध में मुस्लिम रेजिमेंट ने पाक से युद्ध लड़ने से मना कर दिया था। जिसके बाद मुस्लिम रेजिमेंट समाप्त कर दी गई'.
पोस्ट के साथ कैप्शन में लिखा है 'यह है हकीकत...'.
मुस्लिम रेजिमेंट और भारत-पाक 1965 युद्ध?
बूम ने इस दावे का फ़ैक्ट चैक करने के लिये कीवर्ड सर्च किया तो पाया कि भारतीय सेना में कभी भी मुस्लिम रेजीमेंट नाम की कोई भी सैन्य टुकड़ी नहीं रही है. इस आधार पर प्रथमदृष्ट्या युद्ध में जाने से मना करने का दावा ही ग़लत है.
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The Wire की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना में क्षेत्र विशेष और अलग अलग अस्मिताओं की पहचान के आधार पर कई रेजिमेंट्स हैं मसलन: जाट रेजिमेंट, मराठा रेजिमेंट, गोरखा राइफ़ल्स, राजपूताना राइफल्स आदि. लेकिन तमाम खोजबीन करने के बाद भी कहीं भी इतिहास में मुस्लिम रेजिमेंट का ज़िक्र नहीं मिला. मुस्लिम सैनिकों की कभी भी भारतीय फ़ौज में अलग रेजिमेंट नहीं रही.
हमें Times of India की एक रिपोर्ट इसी मुद्दे से जुड़ी हुई मिली जिसमें देश के लगभग 120 पूर्व सेना अधिकारियों ने राष्ट्रपति को इस बारे एक पत्र लिखा था. पत्र में लिखा था कि सोशल मीडिया पर मुस्लिम रेजिमेंट का नाम से किये जा रहे साम्प्रदायिक और ग़लत दावों को रोका जाना चाहिये.
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रिपोर्ट में ही एक पूर्व सेना अधिकारी S A Hasnain ने कहा कि ये एक भ्रामक अभियान चलाया जा रहा कि 1965 के युद्ध में मुस्लिम रेजिमेंट ने लड़ने से मना कर दिया था, जबकि मुस्लिम रेजिमेंट नाम की कोई भी सैन्य टुकड़ी भारतीय फ़ौज में है ही नहीं. रहा सवाल 1965 का तो उसी युद्ध में परमवीर चक्र विजेता हवलदार अब्दुल हमीद ने पाकिस्तान के कई टैंकों को उड़ाकर शहादत पाई थी. अब्दुल हमीद भी एक मुसलमान ही थे जो उस युद्ध में शरीक़ थे.