दक्षिणपंथी चैनल सुदर्शन न्यूज़ ने उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में मिलावटी मिठाईयों के कारखाने में ज़िला प्रशासन की छापेमारी के वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया. सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हाणके सहित कई दक्षिणपंथी सोशल मीडिया यूज़र्स ने वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि मुस्लिमों ने 'हिन्दू आबादी' कम करने के लिए दिवाली के अवसर पर रसगुल्लों में ज़हर मिलाया.
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. एसडीएम सदर, मुज़फ्फरनगर और स्थानीय पुलिस ने स्पष्ट किया इस पूरे मामले में किसी तरह का सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
भारत में दिवाली के मौक़े पर मिठाइयों की खपत बढ़ जाती है. ऐसे में मिलावटी मिठाई का कारोबार करने वाले लोग भी पूरी तरह से एक्टिव हो जाते हैं. बीते सप्ताह मुज़फ्फ़रनगर और मेरठ समेत यूपी के कई ज़िलों में मिलावटखोरों पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन ने कई जगह छापेमारी की.
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वायरल वीडियो में देख सकते हैं कि प्रशासनिक अधिक किसी कारखाने में रसगुल्लों की गुणवत्ता जांचते नज़र आते हैं. और वीडियो के अगले खंड में जेसीबी की मदद से रसगुल्लों को गड्डे में डालते हुए देखा जा सकता है.
वीडियो पर लिखा है - सावधान "अब्दुल्लाह + साथी" दीपावली पर हिन्दुओं की जन संख्या कम करने के लिए बना रहे थे विषैले रसगुल्ले.
साथ ही दावे में मुज़फ्फ़रनगर और मेरठ में ज़िला प्रशासन द्वारा ज़हरीला मावा पकड़कर नष्ट करने की बात कही गई है, जोकि वायरल वीडियो में भी नज़र आता है.
सुदर्शन न्यूज़ के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन दिया, "ख़ास हिंदुओं के लिए अब्दुल दिवाली पर लाया हैं, जनसंख्या नियंत्रण मिठाई."
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
अरुण पुदुर ने ट्विटर पर इसी वीडियो को शेयर किया और लिखा, "यूपी: मोहम्मद अब्दुल्ला और अब्बाशी #दीपावली के दौरान हिंदुओं को मारने के लिए 20,000 किलोग्राम रसगुल्ला, 5,200 किलोग्राम मावा और 4,000 किलोग्राम छेना जहर के साथ बेचने की तैयारी कर रहे थे. मेरठ प्रशासन ने पकड़कर नष्ट किया..."
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
सुदर्शन न्यूज़ ने 20 अक्टूबर 2022 को मुज़फ्फ़रनगर और मेरठ में मिलावटी मिठाई की बरामदगी पर मुस्लिम समुदाय पर निशाना हुए "सावधान ! दिवाली की मिठाई में है 'अली' का जहर !" नाम का शो चलाया.
इस शो में दावा किया गया कि मुस्लिम समुदाय के लोग साजिशन रसगुल्ला आदि में ज़हर मिलाकर हिन्दुओं की आबादी कम करना चाहते हैं.
ट्विटर पर एक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए अंग्रेज़ी भाषा में कैप्शन दिया, जिसका हिंदी अनुवाद है - "'हिंदू आबादी' को कम करने के लिए दीवाली के लिए बिक्री पर रसगुल्ले में जहर मिला रहे थे मोहम्मद अब्दुल्ला और अब्बासी !! जिला प्रशासन ने 200 क्विंटल जहरीले रसगुल्ला, मुजफ्फरनगर से 52 क्विंटल मावा और मेरठ से 40 क्विंटल जहरीला खोआ पकड़कर नष्ट कर दिया."
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
इसी दावे के साथ वीडियो को फ़ेसबुक पर भी शेयर किया गया है.
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फ़ैक्ट चेक
बूम को अपनी जांच के दौरान वायरल वीडियो से मिलता-जुलता एक वीडियो मिला, जिसे मुज़फ्फरनगर बुलेटिन नाम के फ़ेसबुक पेज से अपलोड किया गया था.
वीडियो के साथ दी गई जानकारी के अनुसार, चरथावल के कुल्हेड़ी गांव में रसगुल्ले बनाने की फ़ैक्ट्री पकड़ी गई. प्रशासन के छापे में 200 कुंतल मिलावटी रसगुल्ले बरामद हुए. दिवाली पर मिठाइयों की दुकान में इन रसगुल्लों की सप्लाई होनी थी.
इसके बाद, हमने संबंधित कीवर्ड के साथ खोज की तो दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट में बताया गया है कि मुज़फ्फरनगर के चरथावल थाना क्षेत्र के गाँव कुल्हेड़ी में एसडीएम सदर परमानंद झा भारी फ़ोर्स के साथ कुल्हेड़ी पहुंचे और रसगुल्ले बनाने वाली फैक्ट्री की जांच की. जांच के दौरान वहां बड़े पैमाने पर अखाद्य रसगुल्ले पाए गए.
रिपोर्ट में एसडीएम सदर के हवाले से बताया गया है कि क़रीब 200 क्विंटल अखाद्य रसगुल्लों को जेसीबी से गड्ढा खोदकर नष्ट करा दिया गया.
वहीँ, अमर उजाला की रिपोर्ट में बताया गया है कि ज़िला प्रशासन ने 400 क्विंटल सफ़ेद रसगुल्लों को ज़मीन में गड्ढा खोदकर नष्ट करा दिया.
इन दोनों रिपोर्ट में कहीं भी फैक्ट्री के मालिकों के बारे में जानकारी नहीं दी गई है, और ना ही ज़िला प्रशासन की छापेमारी में किसी प्रकार का सांप्रदायिक एंगल या मुस्लिमों द्वारा जानबूझकर रसगुल्लों या अन्य मिठाइयों में ज़हर मिलाने जैसी किसी बात का ज़िक्र किया गया हो.
दैनिक भास्कर की एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि मेरठ में क़रीब 40 क्विंटल मिलावटी मावा बरामद किया गया. शहज़ाद नाम के युवक ने पाउडर से मिलावटी मावा तैयार किया. खाद्य विभाग की टीम ने गाड़ी में मावा पकड़कर सीज़ कर दिया गया. हालांकि, रिपोर्ट में साजिशन ऐसा करने का कहीं ज़िक्र नहीं है.
एबीपी गंगा की एक रिपोर्ट में नकली और मिलावटी मावे की मात्रा क़रीब 4 हजार 500 किलो बताई गई है.
इसके बाद, हमने वायरल वीडियो के साथ किये गए दावे की पुष्टि के लिए एसडीएम सदर, मुज़फ्फरनगर परमानंद झा से संपर्क किया. हमने उन्हें छापेमारी के वीडियो के साथ किये गए दावे के बारे में बताया. जिसपर टिप्पणी करते हुए उन्होंने वायरल दावे को पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया.
उन्होंने कहा कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए. यह व्यापार है, व्यापार में सभी लोग मिलावटी काम कर रहे थे. उनको सज़ा मिलेगी. लेकिन साम्प्रदायिकता का रंग देना बिल्कुल ग़लत है.
एसडीएम सदर ने बताया कि रसगुल्ला बनाने की फैक्ट्री मुस्लिम समुदाय के लोगों की है. हमें शिकायत आई थी. वहां मैली अवस्था में रसगुल्ला बनाने का काम चल रहा था. मक्खी, मच्छर वगैरा भिनभिना रही थी. गंदे और जंग खाये बर्तन थे. लिहाजा जन स्वास्थ्य को देखते हुए इसे नष्ट कराया गया. और सैंपलिंग की कार्यवाई की गई है.
"व्यापार सभी करते हैं, हिन्दू भी करते हैं मुस्लिम भी करते हैं. पोहा पकड़ा गया, मावा पकड़ा गया जिसमें हिन्दू भी थे. इसे हिन्दू-मुस्लिम का रूप दिया रहा जिसका मैं खंडन करता हूँ", एसडीएम सदर परमानंद झा ने बूम को बताया.
हमने चरथावल पुलिस थाने के थानाध्यक्ष से संपर्क किया जो कुल्हेड़ी गाँव में छापेमारी के दौरान एसडीएम सदर और खाद्य विभाग की टीम को सपोर्ट देने के लिए वहां मौजूद थे. उन्होंने मुस्लिमों द्वारा जानबूझकर रसगुल्ले में ज़हर मिलाने के दावे को बकवास बताया.
"रसगुल्ला खाने योग्य नहीं था. इसलिए नष्ट कर दिया गया. रसगुल्ला हिन्दू खाये या मुसलमान खाये सबको नुकसान करेगा", चरथावल थाने के थानाध्यक्ष ने कहा.
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